- मार्च 2020 से गायब है दो पैसेंजर ट्रेनें, स्टेशन सुपरिटेंडेंट को भी नहीं जानकारी
- कोरोना गाइड लाइनों के कारण हटाई गई थी ट्रैक से
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: आम लोगों के लिए सस्ते सफर का सबसे अच्छा जरिया है ट्रेन है, लेकिन पिछले दो साल से दो सवारी गाड़िया जाने कहां है? किसी को इसकी जानकारी नहीं है। इन ट्रेनों के पटरियों से गायब होने की वजह से हजारों की संख्या में यात्री परेशान है। दोनों ट्रेन कब वापस ट्रैक पर लौटेंगी यह जानकारी किसी के पास नहीं है।
दिल्ली से अंबाला व हरिद्वार के बीच चलने वाली पैसेंज गाड़ियां पिछले दो साल से ट्रैक से गायब है। यह दोनों सवारी गाड़ियां उन यात्रियों के लिए वरदान थी, जो सस्ते सफर का लाभ उठाते हैं, लेकिन पिछले दो साल से यह यात्री इनका लाभ नहीं ले पा रहे हैं। दिल्ली से अंबाला व हरिद्वार के बीच चलने वाली ट्रेन से बड़ी संख्या में लोग सफर करते थे, लेकिन मार्च 2020 में इन ट्रेनों को कोरोना के चलते ट्रैक पर चलाने से रोक दिया गया था। अब कोरोना गाइडलाइन समाप्त हो गई है, दैनिक यात्रियों के लिए सभी तरह की सेवाएं फिर से शुरू हो चुकी है। मगर यह दोनों पैसेंजर टेÑन अभी तक शुरू नहीं हुई है।
गर्मियों में बढ़ जाती है यात्रियों की संख्या
गर्मियों में स्कूल बंद होने से बड़ी संख्या में लोग परिवार के साथ घूमने जाते हैं। इनमें से ऐसे परिवार जो महंगे सफर के बदले सस्ता व सुगम सफर चाहते हैं। वह पैसेंजर ट्रेनों को पसंद करते हैं। गर्मियों में हरिद्वार जाने वाले यात्रियों के लिए हरिद्वार पैसेंजर ट्रेन सबसे मुफीद साबित होती थी। इसी तरह दिल्ली से अंबाला जाने वाले यात्रियों के लिए अंबाला पैसेंजर ट्रेन चलती थी। जोकि अब नहीं चल रही है।
आधे से भी कम होता है पैसेंजर ट्रेनों का किराया
एक्सप्रेस व मेल ट्रेनों के मुकाबले पैसेंजर ट्रेनों का किराया आधे से भी कम होता है। साथ ही पैसेंजर ट्रेनों में रिजर्वेशन की भी आवश्यकता नहीं होती है, इसी कारण पैसेंजर ट्रेनों में बड़ी संख्या में यात्री सफर करना पसंंद करते हैं। हालांकि पैसेंजर ट्रेनों में सफर करने का समय अधिक होता है। यानी हम कह सकते हैं कि अगर किसी यात्री को मेरठ से हरिद्वार जाना है तो उसे एक्सप्रेस के मुकाबले पैसेंजर ट्रेन में करीब दो घंटे का समय अधिक लगता है, लेकिन किराया कम होने की वजह से यात्री पैसेंजर ट्रेन का लाभ लेना ज्यादा पसंद करते हैं।
सिटी स्टेशन के स्टेशन सुपरिटेंडेंट आरपी सिंह का कहना है कि दो साल पहले कोरोना के चलते दिल्ली मुख्यालय से इन दोनों ट्रेनों को अनिश्चितकाल के लिए रद कर दिया गया था, लेकिन दो साल बीतने के बाद भी मुख्यालय ने इन ट्रेनों को क्यों शुरू नहीं किया, इसकी कोेई जानकारी नहीं है।