Tuesday, June 24, 2025
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जब बच्चा करे खाने में ना नुकर

BALWANI


सुनीता गाबा |

आजकल बच्चों को खाना खिलाना माता-पिता के लिए समस्या बनता जा रहा है। अधिकतर पैरेंटस बच्चों के साथ हो रही फूड फाइट से परेशान रहते हैं। अगर इसका आंकलन हम अन्य देशों के बच्चों से भी करें, वहां भी यही स्थिति है। बच्चों को अगर उनकी पसंद का जंक फूड खाने को दें तो उन्हें भूख भी लगी होती है और वह उसे खुशी से भी खाते हैं पर प्लेट में हरी सब्जी, दाल, ताजे फल देखकर भूख न लगने का बहाना बनाते हैं। इसके पीछे इंस्टेंट फूड की बढ़ती लोकप्रियता ही कारण है।

जंकफूड या बाहरी खाने में उन्हें नमक, चीनी और फैट्स की मात्र इतनी मिल जाती है कि कुछ समय बाद बच्चों ंका वजन बढ़ना प्रारंभ हो जाता है। शरीर में पोषण की कमी आती जाती है। इन सब गलत परिणामों को देखते हुए कई देशों ने स्कूल में छोटे बच्चों को ब्रेकफास्ट और लंच देने की प्रक्रि या को अपना लिया है। एक पीरियड में टीचर बच्चों में हैल्दी फूड के प्रति जागरूकता पैदा करने की कोशिश करते हैं।

बच्चों को एक फल सब्जी दिखा कर उसके रोचक स्वाद के बारे में बताया जाता है ताकि बच्चों के मन में उन्हें खाने की लालसा उत्पन्न हो। टीचर्स इस बात का ध्यान रखते हैं कि सब्जी फल से मिलने वाले पोषण की चर्चा अधिक नहीं करते बल्कि उसके टेस्ट की चर्चा अधिक करते हैं जैसे किस फल का स्वाद खट्टा है, मीठा है, खाने में नर्म है या सख्त, कौन से रंग में कौन कौन से फल और सब्जियां आती हैं, अगर पानी में इन्हें डाला जाए तो पानी कौन से रंग का हो जाता है, यही बताते हैं रोचक किस्से कहानियां सुना कर।

इंडियन मदर्स को भी कुछ नए अंदाज अपनाने चाहिएं ताकि अपने बच्चों को वो सब खिला सकें जो उनके लिए सेहतमंद हैं।

आइए जानें:-

-कुछ भी नया टेस्ट पैदा करने के लिए उसकी प्लेट में कम मात्र सर्व करें। प्रयास कर उसे आकर्षक बनाएं। हो सकता है धीरे धीरे उस स्वाद को पसंद कर ज्यादा खाना शुरू कर दें।

-उनकी प्लेट में जो भी परोसें, वही सब अपनी प्लेट में भी परोसें। जब बच्चा स्वयं खाने वाला हो जाए तो उसके साथ बैठकर वही खाएं जो वह खा रहा है। अगर छोटा है तो अपनी प्लेट में भी वही डालकर साथ में रखें ताकि बच्चा समझ सके कि यही खाने में बना है।

-बच्चों के लिए थोड़ी कलरफुल क्र ाकरी रखें ताकि बच्चे एक ही बर्तन में खाकर बोर न हो। हो सके तो प्लेट गोल चोकोर खरीदें।

-छुट्टी वाले दिन कोई एक चीज बनाते समय बच्चे की मदद लें ताकि उसे जिज्ञासा हो कि कैसे बनाया जाता है। इसी प्रकार फ्रूट काटने में भी मदद लें। कभी राउंड स्लाइस, कभी छोटे टुकड़ों में, कभी लंबे टुकड़ों में फ्रूट काटकर दें। खाने में या फ्रूट सलाद में उनसे नमक, चाट मसाला, कालीमिर्च पाउडर डलवाएं ताकि उन्हें स्वाद चेक करने की इच्छा हो कि कैसा बना है।

-बच्चों को भूख लगने पर ही खाने को दें ताकि भूख के सिगनल को समझ सकें और खाने के बाद पेट भरने के सिंगनल को। जब बच्चे को भूख लगी हो तो वह खाने से समझौता आसानी से कर लेते हैं।

-बच्चों को छोटी उम्र से ही सिखाना जरूरी है कि वो भूख के सिगनल को पहचान सके। अगर आप थोड़ी थोड़ी देर में उसे खुद खाने को देते रहेंगे तो उसे भूख का सिगनल समझ नहीं आएगा और नखरे अधिक करेगा।

-बच्चों को कलरफुल सब्जियां बना कर दें, इसी प्रकार परांठा, पूड़ी, रोटी भी सब्जियों को पीसकर आटा गूंथ कर दें ताकि उनका आकर्षण खाने में बढ़े।

-किशोरावस्था में लड़के तथा लड़कियों को बाहर के खाने का स्वाद अधिक पड़ जाता है। लड़कियों को उनकी ब्यूटी बरकरार रखने के लिए हैल्दी फूड के बारे में उन्हें बताएं और पीरियड्स में हुए ब्लड लॉस को पूरा करने के लिए हेल्दी खाना ही बेहतर आप्शन होता है। लड़कों को स्ट्रांग बॉडी बनाने के लिए हेल्दी फूड ही उनके लिए बेहतर है, उन्हें बताएं।


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