- आॅक्सीजन की भारी कमी से गई थी सैकड़ों की जान
- अपनों को खोने वाले परिवारों को आज भी याद है वह दौर
- जब अस्पतालों में मची थी अफरा-तफरी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: एक साल पहले इन्हीं दिनों के बीच कोरोना की दूसरी लहर ने सैकड़ों लोगों की जान ले ली थी। आज भी उन दिनों को याद करते हुए वह परिवार सहम जाते हैं, जिन्होंने अपनों को खोया था। दर्जनों परिवारों पर कोरोना की दूसरी लहर ने कहर बरपाया था जिसकी यादे आज भी जिंदा है।
केस-1
पेशे से शिक्षक ग्रेगरी रेमेंड रॉफैल के दो जुड़वा बेटे पिछले साल 13 व 14 मई को कोरोना की दूसरी लहर के दौरान आॅक्सीजन की कमी के चलते इस दुनिया से चले गए थे। पिता ने भरे गले से उन दिनों को याद करते हुए बताया कि दोनो बेटे काफी होनहार थे। एक बेटा जोफे्रड वर्गिस हैदराबाद में हुडई कंपनी में आईटी इंजीनियर था और पिछले दो सालों से वहीं जॉब कर रहा था।
कंपनी ने उन्हें हैदराबाद से बाहर जानें की इजाजत नहीं दी थी, लेकिन हाथ में चोट लगने के कारण वह डेढ़ माह की छुट्टियां लेकर 12 मार्च 2021 को मेरठ आया था। 29 अप्रैल को वापस जाने की तैयारी थी, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था, वह वापस नहीं लौट सके। जबकि दूसरा बेटा रैल्फ्रेड जार्ज ग्रैगरी दो साल से गुरुग्राम की एक कंपनी में आईटी इंजीनियर था। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान वह वर्क फ्रॉम होम पर था। दोनो बेटों को कोरोना ने अपनी चपेट में ले लिया जिसके बाद उन्हें आनंद हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। लेकिन पहले बेटे की 13 मई जबकि दूसरे बेटे की 14 मई 2021 को मौत हो गई।
अस्पताल ने कहा-आॅक्सीजन का खुद करे इंतजाम
ग्रेगरी रेमेंड रॉफैल ने बताया कि दोनो बेटों को आनंद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दोनों को ही आॅक्सीजन की कमी हो गई थी और अस्पताल में आॅक्सीजन का इंतजाम नहीं था। अस्पताल के डाक्टरों ने परिजनों से कहा कि वह स्वयं आॅक्सिजन का इंतजाम करे। इसके बाद पिता घंटों लाइन में लगे किसी तरह एक सिलेंडर का इंतजाम हुआ लेकिन वह दोनों के लिए काफी नहीं था। आॅक्सीजन की कमी के चलते दोनो बेटों की मौत हो गई।
24 को है दोनों का जन्मदिन
पेशे से आईटी इंजीनियर दोनों बेटे एक ही दिन पैदा हुए थे। 24 अप्रैल को उनका जन्मदिन होता है, लेकिन इस बार दोनों परिवार के साथ नहीं है। माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। दोनों अपने जुड़वा बेटों को खोने का दर्द आज भी महसूस कर रहे है। माता-पिता सेंट थॉमस इंग्लिश मीडियम स्कूल में टीचर है, स्कूल की प्रिंसपल ने बताया कि एक साल होने को आ रहा है लेकिन माता-पिता आज भी दोनो बेटों को खोने के सदमे से उबर नहीं पाए है। उनकी काउंसलिंग भी की जा रही है।
केस-2
मुकेश चंद बीएसएनएल में नौकरी करते थे, वह भी अपने परिवार मेंं इकलौते कमानें वाले थे। 25 अप्रैल 2021 को अचानक उन्हें सांस लेने में परेशानी हुई तो भाई ने उन्हें मेडिकल कॉलेज में भर्ती करा दिया। उस समय किसी भी अस्पताल में मरीजों को भर्ती करने के लिए बैड उपलब्ध नहींं थे। मेडिकल में भी बड़ी मुश्किल से एक बैड मिल सका था, जिसके बाद मुकेश को वहां भर्ती कराया गया।
पत्नी से आखिरी बार बात हुई थी तो कहा था कि मेडिकल में भी आॅक्सीजन की कमी हो गई है। मुकेश की पत्नी ममता ने बताया कि 25 अप्रैल की शाम को मेडिकल में भर्ती होने के बाद मुकेश से फोन पर बातचीत हो रही थी। 26 अप्रैल की शाम करीब सात बजे मुकेश ने पत्नी को बताया कि उन्हें सांस लेने में काफी परेशानी हो रही है, जिस बैड पर वह है उसपर भी आॅक्सीजन की कमी हो गई है। इसके बाद मुकेश का फोन बंद हो गया, कई बार फोन मिलानें की कोशिश की गई लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। रात आठ बजे उनकी मौत हो गई। परिवार में पत्नी के अलावा दो बेटे है जिनकी जिम्मेदारी अब पत्नी को ही उठानी है।