जनवाणी ब्यूरो ।
नई दिल्ली: रूस के सबसे करीबी व पड़ोसी देशों में शुमार कजाखस्तान ने यूक्रेन जंग में मदद के लिए अपनी सेना भेजने से इनकार कर दिया है। कजाख्स्तान पूर्व सोवियत संघ का हिस्सा रहा है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि महाशक्ति देश रूस ने कजाखस्तान से कब व क्यों सैन्य मदद मांगी है।
सोवियत संघ का हिस्सा रहे कजाखस्तान के एक अधिकारी ने कहा कि वह रूस द्वारा यूक्रेन के स्वतंत्र हिस्से घोषित डोनेत्स्क व लुहांस्क को भी मान्यता नहीं देगा। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने इन दोनों शहरों को स्वतंत्र देश घोषित करने के बाद ही यूक्रेन के खिलाफ जंग छेड़ी है। रूस के राष्ट्रपति ने मिंस्क समझौते के विपरीत गत सोमवार को इन दोनों शहरों को स्वतंत्र देश घोषित कर दिया है।
कजाखस्तान का फैसला चौंकाने वाला है, क्योंकि वह रूस का परंपरागत सहयोगी रहा है। बहरहाल इस फैसले का अमेरिका ने स्वागत किया है। कजाखस्तान इन दिनों अमेरिका का सहयोगी है। अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने कहा कि हम कजाखस्तान की घोषणा का स्वागत करते हैं। अमेरिका ने कहा कि हम यूक्रेन के दो शहरों को मान्यता नहीं देने के कजाखस्तान के निर्णय का स्वागत करते हैं। हम यूक्रेन में पुतिन की सेना की मदद के लिए सेना भेजने से इनकार करने का भी स्वागत करते हैं।
उल्लेखनीय है कि रूस व यूक्रेन के बीच तीन दिन से घमासान जंग जारी है। रूस यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जे की कोशिश में जबर्दस्त बमबारी कर रहा है। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने आज की रात को सबसे मुश्किल रात कहा है। उन्होंने वीडियो संदेश में रूस के समक्ष आत्म समर्पण नहीं करने व लोहा लेने का एलान किया है। उधर, रूस ने शुक्रवार को ब्रिटेन की विमानन कंपनियों पर रोक के बाद स्वीडन व फिनलैंड को भी चेतावनी दी है। रूस ने इन दोनों देशों से कहा कि वे नाटो की सदस्यता न लें, वरना बुरा अंजाम होगा।