- मेडा भी नहीं लगा रहा अवैध निर्माण पर रोक, जिम्मेदारों पर कौन करेगा कार्रवाई?
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भू-माफिया के खिलाफ सख्ती किये हुए हैं। कार्रवाई भी हो रही हैं। एक दिन पहले कमिश्नर कुमारी सेल्वा जे ने मंडल भर के अफसरों की मीटिंग लेकर दो टूक कह दिया कि भू-माफिया के खिलाफ कार्रवाई करें। एक तरह से भू-माफिया की कमर तोड़ने का काम किया जाए, लेकिन रोहटा रोड पर वक्फ बोर्ड की जमीन आपस में कैसे उलट-पुलट हो गई।
इस सम्पत्ति को कैसे खुर्द-बुर्द किया जा सकता हैं। ये बात पहले भी सामने आयी थी कि वक्फ बोर्ड की जमीन को लेकर नगर निगम जिम्मेदार होगा। कोई भी जमीन पर कब्जा करता है तो निगम इसमें पार्टी बनकर कार्रवाई करेगा। बड़ा सवाल ये भी है कि वक्फ बोर्ड की जमीन में सिजरे के अनुसार जो रास्ता था, उसमें भी छेड़छाड़ की गई। इसके लिए जवाबदेही तो तहसीलदार की बनती हैं। कैसे सरकारी दस्तावेज में छेड़छाड़ की जा सकती हैं।
जिम्मेदारों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही हैं। वक्फ बोर्ड के यहां कब्रिस्तान हैं, इन पर कब्जे को लेकर लंबे समय से निगाह कुछ लोगों की लगी हुई थी। दीवार इसमें की जा रही हैं। आॅन रोड फ्रंट पर दुकानों का निर्माण करने के लिए पिलर्स बनाने की जगह छोड़ी जा रही हैं। दीवार खड़ी की जा रही हैं। पांच फुट से ऊंची दीवार खड़ी कर दी गई हैं। कब्रिस्तान की दीवार लगाने के लिए क्या अनुमति मेडा या फिर तहसील से मांगी गई?
वास्तविकता ये है कि इसकी अनुमति ही नहीं, बल्कि तहसील टीम ने किसी तरह का निर्माण करने पर रोक लगाई थी, फिर भी लगातार निर्माण किया जा रहा हैं। इस पूरे प्रकरण को लेकर तहसीलदार रामेश्वर दयाल भी मौन साधे हुए हैं। उनकी मौन स्वीकृति के पीछे बड़ा रहस्य छुपा हुआ हैं।
इसकी शिकायत कुछ मुस्लिमों ने डीएम से भी की हैं तथा पूरे प्रकरण की जांच कराने की मांग करते हुए जमीन का आदान-प्रदान करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की हैं। वक्फ बोर्ड के लखनऊ में सचिव बैठते हैं, उनसे भी इसकी अनुमति नहीं ली गई। इस तरह से करोड़ों की जमीन पर कब्जा कर सड़का का निर्माण कर दिया गया हैं। इसके लिए आखिर जवाबदेही किसकी हैं? वक्फ की जमीन जहां भी हैं, उसमें इसी तरह के विवाद सामने आ रहे हैं।