Saturday, April 5, 2025
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क्या मणिपुर में अब थम जाएगी हिंसा?

Samvad 47

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इससे कई अटकलों को भी जन्म दिया है। दरअसल, चर्चा थी कि विपक्ष मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में था। ऐसे में मुख्यमंत्री बीरेन सिंह पर इस्तीफे को लेकर काफी दबाव था और विपक्ष लंबे समय से मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की मांग कर रहा था। अब जब मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया है, ऐसे में लोगों के मन में सवाल है कि इस्तीफा देने के बाद क्या राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है? जब तक नया मुख्यमंत्री नहीं बन जाता, वहां की सरकार कौन चलाता है? इसको लेकर नियम क्या है? आगे बढ़ने के सबसे पहले इसे जानना जरुरी है ।

भारतीय संविधान में किसी भी राज्य में सरकार चलाने को लेकर कुछ नियम बनाए गए हैं। अगर किसी राज्य का मुख्यमंत्री इस्तीफा दे देता है तो राज्य का पूरा दायित्व राज्यपाल के पास आ जाता है। ऐसे में राज्यपाल नए मुख्यमंत्री के चुनाव तक मौजूदा मुख्यमंत्री को एक्टिंग मुख्यमंत्री के पद पर बने रहने का आदेश दे सकते हैं। हालांकि, एक्टिंग मुख्यमंत्री की शक्तियां सीमित होती हैं। विधानसभा में राजनीतिक संकट या फिर विशेष परिस्थितियों में राज्यपाल राष्ट्रपति शासन की सिफारिश भी कर सकते हैं। इसके बाद राष्ट्रपति इस पर विचार करते हैं और फैसला लेते हैं। फिलहाल मणिपुर में सत्तारूढ़ भाजपा के पास विधानसभा में पर्याप्त बहुमत है, ऐसे में राजनीतिक संकट की स्थिति नहीं है। सूत्रों के हवाला से बताया कि मई 2023 में हिंसा भड़कने के बाद भाजपा के ही 12 विधायक मुख्यमंत्री के इस्तीफे पर जोर दे रहे थे। इसके अलावा कॉनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी ने भी भाजपा से समर्थन वापस ले लिया था। ऐसी संभावना थी कि फ्लोर टेस्ट में पार्टी व्हिप का उल्लंघन होगा। इस संभावना को टालने के लिए मुख्यमंत्री सिंह ने केंद्रीय नेतृत्व से बात कर पद छोड़ दिया। एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पीएम मोदी और भाजपा पर जमकर निशाना साध रहे है । राहुल गांधी ने कहा कि सार्वजनिक दबाव, सुप्रीम कोर्ट की जांच और कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव ने मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को इस्तीफे के लिए मजबूर कर दिया है। उन्होंने कहा कि करीब दो साल तक भाजपा के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने मणिपुर में विभाजन भड़काया और पीएम मोदी ने उन्हें मणिपुर में हिंसा, जानमाल के नुकसान और भारत के विचार के विनाश के बावजूद बने इस पद पर बना रहने दिया।

बताया जाता है कि इस सप्ताह की शुरुआत में, एक नया विवाद तब खड़ा हो गया था जब सुप्रीम कोर्ट ने जातीय हिंसा में सिंह की भूमिका का आरोप लगाने वाली लीक हुई आॅडियो क्लिप की प्रामाणिकता को लेकर एक सीलबंद फोरेंसिक रिपोर्ट मांगी थी। इस्तीफा देने से पहले बीरेन सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। एन. बीरेन सिंह को राज्य में जातीय संघर्ष से निपटने के तरीके को लेकर विपक्ष के निशाने पर रहे हैं। लगातार हो रही आलोचनाओं के बीच बीरेन सिंह का इस्तीफा आया है। कांग्रेस विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने पर चर्चा कर रही है। जानकारी के मुताबिक बीरेन सिंह कांग्रेस द्वारा प्रस्तावित अविश्वास प्रस्ताव से बचना चाहते थे, क्योंकि उन्हें अपनी पार्टी के विधायकों के समर्थन का भरोसा नहीं था। इसलिए उन्होंने इस्तीफा देना बेहतर समझा। हालांकि, पिछले दिसंबर में एके भल्ला की राज्यपाल के रूप में नियुक्ति के बाद से ही उनका इस्तीफा तय लग रहा था। उनका इस्तीफा मणिपुर में सोमवार से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र से पहले नए सिरे से राजनीतिक उथल-पुथल के बीच आया है।

भाजपा के शीर्ष नेता संबित पात्रा मणिपुर में डेरा डाले हुए हैं। जिसकी वजह से कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। फिलहाल मुख्यमंत्री पद के लिए बीरेन सिंह के मुखर आलोचक पूर्व स्पीकर वाई खेमचंद का नाम भी चर्चा में है, इसके अलावा युमनाम खेमचंद सिंह और टी विश्वजीत सिंह के नाम का भी जिक्र चल रहा है, लेकिन इस पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ हेै। अब जब मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, ऐसे में लोगों के मन में सवाल है कि इस्तीफा देने के बाद क्या राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है? जब तक नया मुख्यमंत्री नहीं बन जाता, वहां की सरकार कौन चलाता है? इसको लेकर नियम क्या है? भारतीय संविधान में किसी राज्य में सरकार चलाने को लेकर कुछ नियम बनाए गए हैं। अगर किसी राज्य का मुख्यमंत्री इस्तीफा दे देता है तो राज्य का पूरा दायित्व राज्यपाल के पास आ जाता है। वहीं इस हालात में राज्यपाल नए मुख्यमंत्री के चुनाव तक मौजूदा मुख्यमंत्री को एक्टिंग मुख्यमंत्री के पद पर बने रहने का आदेश दे सकते हैं। हालांकि, इस दौरान एक्टिंग मुख्यमंत्री की शक्तियां सीमित होती हैं। विधानसभा में राजनीतिक संकट या फिर विशेष परिस्थितियों में राज्यपाल राष्ट्रपति शासन की भी सिफारिश भी कर सकते हैं। इसके बाद राष्ट्रपति इस पर विचार करते हैं और अपना फैसला लेते हैं। फिलहाल मणिपुर में भाजपा के पास विधानसभा में पर्याप्त बहुमत है, ऐसे में राजनीतिक संकट की स्थिति नहीं है।

दूसरी ओर भाजपा सूत्रों ने उम्मीद जताई कि सिंह के इस्तीफे से राज्य के दो मुख्य जातीय समुदायों के बीच शांति स्थापित करने के लिए केंद्र द्वारा किए जा रहे प्रयासों को बल मिलेगा। मुख्यमंत्री कोई भी हो यह यक्ष प्रश्न हमेशा से बना रहेगा कि आखिर मणिपुर में शांति बहाल कैसे होगी? क्या मुख्यमंत्री बदलना ही पर्याप्त होगा?

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