- अधिशासी से लेकर मुख्य अभियंता तक दबाव में!
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: लोक निर्माण विभाग इंजीनियरों का विभाग कहा जाता है। यहां के इंजीनियर बड़े बड़े प्रोजेक्ट को हैंडल करते हैं। कई बड़े पुलों से लेकर सड़कों तक पर अपने हुनर की कारीगिरी दिखाते हैं, लेकिन इस समय मेरठ में पीडब्ल्यूडी के कुछ अभियंताओं पर मानो ग्रहण की काली छाया है। यह काली छाया कैसे दूर होगी इसी उधेड़ बुन में यहां के कुछ अभियंता परेशान हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार इस काली छाया को दूर करने के लिए कुछ परेशान अभियंता अपने अपने अफसरों पर दबाव की राजनीति का खेल खेल रहे हैं।
हस्तिनापुर में गंगा के ऊपर बना चेतावाला पुल क्या टूटा मानों पीडब्ल्यूडी में ही बाढ़ आ गई हो। इस बाढ़ में कई अभियंता डूबने को भी तैयार हैं। ऐसा नहीं है कि इन अभियंताओं से तैरना नहीं आता या फिर ये तैराकी में नौसीखिये हों, लेकिन बाढ़ का प्रकोप इतना जबरदस्त है कि पानी रोके नहीं रुक रहा है।
चेतावाला पुल तो हस्तिनापुर में क्षतिग्रस्त हुआ है, लेकिन बाढ़ का पानी मेरठ पीडब्ल्यूडी दफ्तर तक में भर गया है और कई इंजीनियर इसमें तैर रहे हैं। जो इंजीनियर तैर रहे हैं अब उनकी नैया डूबेगी या फिर पार होगी यह तो आने वाला वक्त ही बताऐगा, लेकिन विभागीय सूत्र बताते हैं कि इन इंजीनियरों ने अपनी नैया को डूबने से बचाने के लिए कई हथकंडे अपनाए हैं।
पता चला है कि क्षतिग्रस्त हुए गंगा पुल के मामले में जो अभियंता दोषी हैं उनके नामों की एक प्रकार से स्क्रीनिंग चल रही है। पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता राजीव कुमार ने अधिशासी अभियंता से वो नाम मांगे हैं जो इस पुल के निर्माण से संबधित हैं। बस इसी को लेकर इन अभियंताओं में खलबली मची हुई है। कुछ दिन पहले इसी प्रकरण में अभियंताओं का एक दल चीफ इंजीनियर से मिलने भी गया था।
पता यह चला है कि चीफ ने अधिशासी अभियंता से जो नाम मांगे हैं, वो नाम चीफ तक न पहुंचे इसी को लेकर ही अधिशासी से लेकर मुख्य अभियंता तक पर दबाव बनाया जा रहा है। अब इंजीनियर हैं तो कारीगिरी भी जरूर होगी, लेकिन देखना यह है कि इन इंजीनियरोें की यह कारीगिरी कहां तक सफल होती है। मामले की विजिलेंस जांच भी चल रही है। छह अभियंताओं के बयान दर्ज हो चुके हैं। आने वाले कुछ दिन पीडब्ल्यूडी में उथल पुथल पैदा कर सकते हैं।