जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: धारा घटाना-बढ़ाना तो कोई मेरठ पुलिस से सीखे। 11 नवंबर 2021 को शास्त्रीनगर गुरुद्वारे के पास से एक व्यक्ति से मोबाइल लूट लिया। यह लूट की घटना दोपहर 2 बजे की है। इसकी तहरीर पीड़ित तरुण निवासी शास्त्रीनगर ने नौचंदी थाने में मोबाइल लूट की तहरीर दी।
पुलिस ने पीड़ित से दुबारा तहरीर लिखवाई कि मोबाइल लूटा नहीं गया, बल्कि सड़क पर जाते हुए गिर गया था। पुलिस ने धमकाकर मनमाफिक तहरीर लिखवा ली। मोबाइल के गुम होने की रिपोर्ट थाने में लिखी गई। थाने में जब भी पीड़ित मोबाइल बरामदगी के लिए जाता, तभी उन्हें धमकाकर भागा दिया जाता। कहा जाता कि मोबाइल बरामद करने का पुलिस के पास समय नहीं है। इस तरह से महीनों तक पीड़ित भटकता रहा।
इसके बाद तरुण के बेटे ने गुगल पर चेक किया तो उनके ई-मेल आईडी चेक करने पर पता चला कि उनके जिस मोबाइल को बदमाशों ने लूट लिया था, वो मोबाइल किसी अन्य नंबर पर चल रहा है। इसकी सूचना पुलिस को दी, लेकिन पुलिस ने ध्यान नहीं दिया। बाद में पीड़ित एसएसपी आॅफिस पहुंचा, जहां से साइबर सेल में भेज दिया गया।
यहां तरुण के पुत्र ने साइबर सेल में तैनात पुलिस कर्मियों को बताया कि उनका जो मोबाइल लूटा गया था, वो एक अन्य नंबर पर चल रहा है। इस नंबर को भी पुलिस को दिया गया। पुलिस कर्मियों ने कुछ दिनों बाद लूटा गया मोबाइल तो बरामद कर लिया, लेकिन लुटेरे कौन थे? इसे पुलिस हजम कर गई।
पुलिस ने मोबाइल तरुण को दे दिया, लेकिन जब पूछा गया कि मोबाइल लूटने वाले बदमाश कौन थे? उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की? इस पर पुलिस कर्मियों ने तरुण को धमकाया कि आपका मोबाइल मिल गया, क्या ये काफी नहीं हैं? इस तरह से पुलिस ने मोबाइल लूटने वाले बदमाशों को बचाने का काम किया।