Saturday, April 20, 2024
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प्रमुख रोगों में क्या हो रोगियों का आहार?

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आहार शरीर के लिए आवश्यक होता है क्योंकि इसी से शरीर को ऊर्जा (शक्ति) प्राप्त होती है, परंतु बीमारी की अवस्था में प्राय: खाद्य संबंधी आवश्यकताएं परिवर्तित हो जाया करती हैं। प्राय: ऐसा भी माना जाता है कि भोजन भी कई बीमारियों की जड़ होता है। कुछ बीमारियां तो ऐसी होती हैं कि उनमें अन्नाहार लेने से वे उग्र रूप धारण कर लिया करती हैं।

रोग उत्पन्न करने एवं मनुष्य को स्वस्थ रखने में भी आहार का महत्वपूर्ण हाथ होता है। शरीर की जरूरत से अधिक कैलरी वाला भोजन मोटापा और उससे जुड़ी कई समस्याओं को उत्पन्न कर सकता है। मोटापे के अलावा मधुमेह जैसे रोगों में भी आहार में परिवर्तन करके उसे नियंत्रण किया जा सकता है। उच्च रक्तचाप की बीमारी में नमक व चर्बीयुक्त भोजन को एक सीमा तक कम करके उस पर काबू पाया जा सकता है। कहावत है कि हजार बीमारी का एक उपचार होता है ‘संयम’। संयम अर्थात खान-पान पर नियंत्रण रखकर अनेक बीमारियों पर काबू पाया जा सकता है। यहां पर कुछ प्रमुख रोगों में मोटे तौर पर आहार संबंधी बातें बतलायी जा रही हैं ताकि उन पर अमल कर जटिल से जटिल बीमारियों पर काबू पाया जा सके।

बुखार के रोगी का आहार

वायु, पित्त और कफ जब आहार-विहार के दोष से बिगड़ जाते हैं तो वे आमाशय में पहुंच जाते हैं। वहां खायी गई वस्तुओं से जो ताजा रस (आमरस) बना होता है, उसे वे बिगाड़ देते हैं। उसके प्रभाव से पाकस्थली की अग्नि मंद हो जाती है और बाहर फैलकर ज्वर को जन्म देती है। इसी अग्नि के बाहर आने की वजह से बुखार में शरीर तवे के समान जलता रहता है। प्राय: सभी तरह के बुखारों में शरीर की प्रोटीन, कार्बोहाइडेÑट, विटामिन्स और पानी की आवश्यकताएं बढ़ जाती हैं। आराम करवाने के साथ-साथ रोगी को चाय, जौ का पानी, काफी, नारियल पानी, सादा पानी आदि तरल पदार्थ अधिकाधिक मात्र में देते रहना चाहिए। हल्के ज्वर में रोगी को भोजन के रूप में चपातियां, दाल चावल, उबली हरी सब्जियां व हल्का-फुल्का सुपाच्य भोजन देते रहना चाहिए ताकि शरीर को कैलोरियों की आपूर्ति होती रहे। मसालेदार, तले व भुने भोजन से परहेज रखना चाहिए।

पीलिया के रोगी का आहार

पीलिया या जॉण्डिस एक खतरनाक रोग होता है। संक्रामक यकृत शोथ के कारण ही आंखों में पीलापन हो जाता है। चूंकि इस रोग में यकृत कमजोर हो जाता है अत: रोगी को भूख कम लगती है तथा उल्टियां होती हैं या जी मिचलाता रहता है। आहार में फलों का रस, गन्ने का रस, ग्लूकोज इत्यादि प्रचुर मात्रा में लिया जाना चाहिए। मीठे फल-पपीता, केला आदि लिए जा सकते हैं। भोजन में दाल, उबली हरी सब्जियां, चावल आदि शामिल करने चाहिएं। अधिक चर्बीयुक्त आहार जैसे-घी, तेल,चाय, तला भोजन, मसाले सिगरेट, शराब, हल्दी युक्त खाद्य पदार्थों का त्याग कर देना चाहिए।

हृदय रोगी का आहार

हृदय वाहिकाओं से संबंधित रोगियों को कार्बोहाइडेट युक्त आहार जैसे-रोटी, चावल आदि लेते रहना चाहिए। मांसाहार में प्रोटीन और चर्बी की मात्रा अधिक मिलती है अत: इनका त्याग कर देना ही बेहतर होता है। नमक का रक्तचाप से घनिष्ठ संबंध होता है। अधिक नमक रक्तचाप को बढ़ा देता है अत: उच्च रक्तचाप के रोगियों को आहार में नमक की मात्रा अत्यंत कम कर देनी चाहिए। चौबीस घंटों में 1.5 ग्राम से अधिक नमक नहीं खाना चाहिए। मांस, चर्बी, दूध, मक्खन, घी का सेवन कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ाता है। सोयाबीन, सरसों, बिनौला, मूंगफली इत्यादि के सेवन से कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नहीं बढ़ती, अत: इनका सेवन हानिप्रद नहीं होता। इसके अलावा शराब, सिगरेट, तंबाकू का सेवन एकदम से बंद कर देना चाहिए।

कैंसर के रोगी का आहार

माना जाता है कि अस्सी प्रतिशत कैंसर भोजन और वातावरण में उपस्थित अन्य कारकों द्वारा ही होते हैं। यह पाया गया है कि अधिक वसायुक्त आहार बड़ी आंतों के कैंसर को जन्म देते हैं। वसायुक्त भोजन (वसा की अधिक मात्रा) लेने से स्तन कैंसर को बढ़ावा मिलता है अत: अधिक मात्र में चर्बी या वसायुक्त भोजन लेने से बचना चाहिए। रेशे की मात्रा आंतों के कैंसर को रोकने में सहायक होती है अतएव हरी सब्जियां, टमाटर, फलों और सलाद को भोजन के साथ अधिक लेना चाहिए। विटामिन सी तथा सेलेनियम शरीर की कैंसर से रक्षा करते हैं, इसीलिए नींबू, अमरूद, आंवला, नारंगी आदि का सेवन प्रचुर मात्रा में करना चाहिए। रोटी, चावल, आलू, दूध, दही आदि को आहार में लेना चाहिए। शराब, सिगरेट व डिब्बेबंद खाद्य पदार्थों का उपयोग बंद कर देना चाहिए।

मधुमेह के रोगी का आहार

मधुमेह अर्थात डायबिटीज के रोग का प्रकोप तेजी से बढ़ता जा रहा है। मधुमेह रोग में लंबे समय तक रक्त-ग्लूकोज अनियंत्रित रहने से सभी अंगों पर प्रतिकूल असर पड़ता है। अनियंत्रित मधुमेह के मरीजों को हार्ट अटैक, स्ट्रोक (फालिज), बार-बार संक्रमण, यौन समस्याएं, आंखों के रोगों की संभावनाएं बढ़ जाती है। मधुमेह के रोगियों के लिए वर्जित आहार उनके पेट के अंदर पेंक्रियाज को प्रभावित करता है। यह पेंक्रियाज पेट के अंदर भोजन को पचाने के लिए इंसुलिन स्राव करता है। जब इस क्लोम में इंसुलिन कम पैदा होने लगता है, तब आहार रस की शर्करा का पाचन नहीं हो पाता। मधुमेह के रोगियों को हरा साग, ककड़ी, मक्खन, म_ा (तक्र ), जौ की रोटी, जौ के आटे की खिचड़ी, परमल, गूलर के कच्चे फल का साग उत्तम पथ्य माना जाता है। आलू, चावल, मैदे के पकवान, मिठाई, गेहूं का बारीक आटा, खटाई, मिर्च, शक्कर, घी, तेल चटपटी वस्तुएं, खटाई व अति स्त्री संसर्ग कुपथ्य माना जाता है। इनका त्याग कर देना चाहिए।


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