- महानगर में आटो और ई-रिक्शा से सफर तय करता है 13 लाख की जनसंख्या का बड़ा हिस्सा
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मेरठ महानगर बस सेवा के नाम पर विभाग के पास 30 इलेक्ट्रिक, 80 सीएनजी और आठ वोल्वो बसों का बेड़ा है। जिनके माध्यम से मेरठ जनपद की 34 लाख से अधिक और महानगर की 13 लाख से आबादी को सेवा देने का दावा परिवहन विभाग कर रहा है। इसके विपरीत वास्तविकता यह देखने को मिलती है कि महानगर के अधिकांश लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट के रूप में आटो और ई-रिक्शा से सफर करते हैं।
कुछ साल पहले महानगर बस सेवा के लिए अलग से महाप्रबंधक और सहायक क्षेत्रीय अधिकारी समेत अधिकारियों कर्मचारियों को पर्याप्त संख्या में तैनात करते हुए नगर क्षेत्र में लो फ्लोर बसों का संचालन शुरू किया गया। इन्हीं मे से कुछ बसों को मवाना, हस्तिनापुर, सरधना समेत कई ग्रामीण क्षेत्रों में भेजने का सिलसिला शुरू किया गया। देखते ही देखते अधिकांश बसों का रुख महानगर से देहात के मार्गों की ओर मोड़ दिया गया।
इसके पीछे विभागीय अधिकारियों ने महानगर में बढ़ते ट्रैफिक के साथ-साथ आटो और ई-रिक्शाओं के प्रचलन का हवाला दिया। मौजूदा स्थिति यह है कि महानगर में बसों के संचालन के नाम पर 30 इलेक्ट्रिक, 80 सीएनजी और आठ वोल्वो बसों में 2-3 मिनी बसों को रेलवे स्टेशन से मेडिकल तक ही महानगर के भीतर लगाया जाता है। बाकी सभी बसों को मेरठ महानगर से देहात के विभिन्न क्षेत्रों के बीच चलाया जा रहा है।
इस संबंध में सिटी बसों का कार्य देख रहे आरएम केके शर्मा का कहना है कि जिन बसों को देहात क्षेत्र में चलाया जाता है, वे महानगर का करीब 80 प्रतिशत हिस्सा महानगर की सीमा का कवर कर लेती हैं। नगरीय सीमाओं का विस्तारीकरण होने के चलते इससे यात्रियों को सुविधा मिल रही है। भीड़ भरे मार्गों के साथ-साथ छोटे मार्गों पर और कम दूरी के लिए यात्री आटो और ई-रिक्शा का प्रयोग करते हैं।
वैसे भी मेट्रो का काम प्रगति पर होने के कारण महानगर के भीतरी रास्तों से बड़े वाहनों का आवागमन दुश्वारी पैदा कर देता है। आरएम का कहना है कि नगर और देहात क्षेत्र में सिटी बस सेवाओं को एक साथ दिए जाने से यात्रियों को पर्याप्त सुविधा मिल रही है।