- पानी की टंकी का निर्माण हुआ 2008 में, फिर भुगतान 2018 में क्यों दर्शाया?
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नगर निगम का ‘महाखेल’ सामने आए हैं। खेल भी एक-दो लाख का नहीं, बल्कि 15.5 करोड़ का है। अब नगर निगम जो दावा कर रहा है कि 2018 में अमृता योजना से 15.5 करोड़ की लागत से जिटौली गांव में पेयजल आपूर्ति के लिए पानी की टंकी का निर्माण किया गया। इसका बाकायदा नगर निगम ने बुधवार को शिलापट भी लगा दिया, जिसमें तमाम वीआईपी के नाम भी अंकित कर दिए।
अब इस नगर निगम के ‘महाखेल’ का पता जिटौली के लोगों को लगा तो ग्राउंड स्तर पर की गई छानबीन में पता लगा कि 2008 में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल में जिटौली, जो शहर का वार्ड-40 है, में पेयजल आपूर्ति करने के लिए पानी की टंकी स्वीकृत हुई थी। इसकी धनराशि तभी जारी कर दी गई तथा इसका काम भी 2008 में ही आरंभ कर दिया गया था।
2012 में पानी की टंकी बनकर तैयार हो गई और लोगों के घरों में नगर निगम द्वारा पेयजल आपूर्ति करने के लिए पानी के कनेक्शन भी दे दिए गए थे। अब महत्वपूर्ण बात यह है कि नगर निगम की तरफ से बुधवार को एक शिलापट जिटौली में पानी की टंकी के पास लगाया, जिस पर लिखा था अमृता योजना के तहत 15.5 करोड़ से पानी की टंकी का निर्माण किया गया, जो निर्माण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में हुआ।
इस शिलापट को पढ़कर लोग नाराज हो गए तथा लोगों ने नगर निगम द्वारा किए जा रहे इस घोटाले का विरोध कर दिया। लोगों का कहना है कि जब 2008 में पानी की टंकी का निर्माण कार्य शुरू हुआ और 2012 में पानी की टंकी बनकर तैयार हो गई। इसके बाद पेयजल की आपूर्ति भी आरंभ कर दी तो फिर 2018 में अमृता योजना से इसमें 15 करोड़ रुपये कैसे खर्च कर दिए गए? यह बड़ा सवाल है। दरअसल, नगर निगम ने 21 दिसंबर 2021 को पानी की टंकी का निर्माण पूरा होना दर्शाया है।
यही नहीं, 2018 में अमृता योजना आई है, जबकि इसका निर्माण कार्य पूर्ण 2012 में हो चुका है। फिर यह बड़ा सवाल है कि अमृता योजना के आने से पहले 2008 में पानी की टंकी का कार्य आरंभ हो चुका था। यही नहीं, 2012 में ही इस पानी की टंकी का निर्माण कार्य पूर्ण भी हो चुका।
फिर अमृता योजना से इसमें 15.5 करोड़ का खर्च कैसे दर्शा दिया गया है। इस तरह से नगर निगम के अधिकारियों ने इस पानी की टंकी के निर्माण को लेकर दो बार खजाना खाली करके घोटाला कर दिया है। इसी को लेकर जिटौली के लोगों ने पूरे मामले की जांच कराने की मांगी है, ताकि इस घोटाले का खुलासा किया जा सके।
नगर निगम के अधिकारी 2012 में पूर्ण हुई पानी की टंकी के निर्माण को वर्तमान में अमृता योजना से क्यों दर्शा रहे हैं? इसमें करोड़ों का घोटाला किया जा रहा है। आखिर इस खेल में कौन कौन शामिल हैं? इसकी जांच होने के बाद संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
ये बोले-लोग
जिटौली निवासी विनोद का कहना है कि नगर निगम पानी की टंकी को लेकर घोटाला कर रहा है। जब इसका काम 2012 में पूर्ण हो चुका। पानी आपूर्ति के लिए कनेक्शन भी नगर निगम ने दे दिया तो फिर कैसे अमृता योजना से इसका निर्माण दर्शा दिया गया? इसमें बड़ा घोटाला किया जा रहा हैं। पुराने काम का भुगतान अमृता योजना से निकाला जा रहा है, इसकी जांच होनी चाहिए।
सीएम का बोर्ड लगा रहे लोगों को ग्रामीणों ने खदेड़ा
विकास के नाम पर अंधाधुन बोर्ड लगाने के मामले में जाटौली गांव में प्रशासन के प्रति आक्रोश फैल गया। पेयजल की आपूर्ति के लिए बसपा के शासन में लगाई गई पानी की टंकी के बाहर बुधवार को कर्मचारियों द्वारा भाजपा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बोर्ड लगाया जा रहा था।
इस पर ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया और लताड़ लगाते हुए कर्मचारियों को गांव से खदेड़ दिया। उन्होंने इस संबंध में जल निगम के जी से फोन पर बात की। जिन्होंने खुद को लखनऊ होना बताया। ग्रामीणों ने दो टूक कहा कि विकास के झूठे दावे मान्य नहीं होंगे।
इसके बाद कर्मचारी वहां से भाग निकले। जाटौली गांव में बुधवार को कुछ कर्मचारी पहुंचे और 2008 में पेयजल की आपूर्ति के लिए बनाए गए पानी की टंकी के बाहर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा लोकार्पण करने का बोर्ड लगाने लगे। इस पर ग्रामीण भड़क गए।
भारतीय किसान यूनियन के पूर्व जिलाध्यक्ष विनोद जाटौली, रालोद के प्रदेश उपाध्यक्ष गौरव जाटौली और भारतीय किसान यूनियन के जिला प्रवक्ता बबलू जाटौली के नेतृत्व में एकत्र होकर ग्रामीण मौके पर पहुंच गए और हंगामा किया।
उन्होंने बताया कि यह टंकी गांव में पेयजल की आपूर्ति करने के लिए 2008 में बसपा के शासन में बनाई गई थी और लगभग 2013 में सपा के शासन में पेयजल आपूर्ति शुरू हुई थी।