- किठौर में तेंदुए की दस्तक, दहशत
- भगवानपुर बांगर में किसानों पर गुर्राया तेंदुआ
- शावक देख वन विभाग की टीम ने की मादा तेंदुए की पुष्टि
- धरपकड़ के लिए गांव में कैंप किए हैं वन विभाग की टीम
जनवाणी संवाददाता |
किठौर: कस्बे में एक बार फिर तेंदुए ने दस्तक दी है। इस बार किसानों को देख वह गुर्राया भी। तेंदुए की हरकत से खौफजदा किसान दौड़कर गन्ने के खेत में जा छुपे। तेंदुए के आगे बढ़ते ही किसानों ने 112 पर कॉल की। लाठी-डंडे लेकर उसको तलाशा भी गया, लेकिन पता नहीं चला।
कांबिंग के दौरान ग्रामीणों को एक शावक मिला है, जिसे मौके पर पहुंची पुलिस ने वनकर्मियों के सुपुर्द करा दिया। टीम ने शावक को दूध पिलवाकर निर्धारित स्थान पर रखवा दिया। रात से वन टीम गांव में कैंप किए हुए हैं। रविवार को डीएफओ ने भी घटनास्थल का निरीक्षण कर सतर्कता के निर्देश दिए।
किठौर का भगवानपुर बांगर निवासी भूरे पुत्र बुद्धू दंपति शनिवार शाम करीब 5:30 बजे गांव के किसानों रतनवीर, कर्मवीर व राजू के साथ खेत में गन्ना छिलाई कर रहा था। तभी एक अद्भुत जानवर उधर से गुजरा। जो ग्रामीणों को देखकर जोर-जोर से गुर्राने लगा।
जानवर को देख ग्रामीणों के होश उड़ गए और लोग दौड़कर ईख में जा छुपे। जानवर के जाने के बाद किसान बाहर निकले और 112 पर कॉल करते हुए पेड़ों से लाठी-डंडे काटकर जानवर की तलाश शुरू की। कुछ दूर चलने के बाद ईख में किसान राजू को एक शावक पड़ा मिला। पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने वन विभाग को घटना से अवगत कराया।
जिस पर रेंजर जगन्नाथ कश्यप वन दारोगा संजीव को लेकर पहुंचे और शावक को देख जंगल में मादा तेंदुआ होने की पुष्टि की। उन्होंने ग्रामीणों से शावक को दूध पिलवाया और फिर उसी स्थान पर रखवा दिया, जहां से शावक उठाया गया था। शावक को मां से मिलवाने और ग्रामीणों से दूर रखने के लिए वनकर्मी रातभर भगवानपुर में ही कैंप किए रहे। रविवार को दिन निकलते ही शावक को पुन: दूध पिलवाया गया। दोपहर बाद डीएफओ राजेश कुमार ने घटनास्थल का निरीक्षण कर वन विभाग की टीम और ग्रामीणों को सतर्कता बरतने के निर्देश दिए।
चतुर प्राणी है तेंदुआ
रेंजर जगन्नाथ कश्यप ने बताया कि तेंदुआ चतुर प्राणी है। आदमी की गंध को बहुत दूर से महसूस कर लेता है। यदि आदमी उसके शावक को अपने हाथों से स्थानांतरित कर दे तो वह खुद पकड़े जाने के भय से शावक को दूध पिलाने भी उसके पास नहीं जाती।
ऐसे में शावक के भूखों मरने की नौबत आ जाती है। उन्होंने बताया कि देखा गया तेंदुआ मादा है। उसका शावक भी दो सप्ताह का है। ऐसे में अगर मादा को शावक नहीं मिला, वह खूंखार हो सकती है। इसलिए वनाधिकारियों की प्राथमिकता शावक को मां से मिलवाना है। मानव गंध खत्म करने के लिए शावक के शरीर पर उसका ही शौच लगाया जाएगा।
चौकसी के निर्देश
रेंजर ने ग्रामीणों को फिलहाल चैकसी बरतने के निर्देश दिए हैं। कहा कि ग्रामीण ज्ञान के अभाव में जंगली जानवरों के शावकों को पकड़ लेते हैं। उनसे खेलते हैं, जबकि ऐसा करना शावक और इंसान के लिए बहुत खतरनाक है।
बेनतीजा रहा आॅपरेशन
किठौर में तेंदुए का यह नया मामला नहीं। 2014 में वाइल्ड लाइफ की टीम ने जड़ौदा से कड़ी मशक्कत के बाद खटके से घायल तेंदुआ बेहोश कर पकड़ा था। गत वर्ष फतेहपुर-भड़ौली और जड़ौदा असीलपुर के जंगल में भी लगभग 20 दिन तेंदुआ परिवार रहा। धरकपड़ के लिए चले आॅपरेशन भी बेनतीजा साबित हुए।
मां की ममता न मिली तो रहना पड़ेगा चिड़ियाघर में
बिल्ली प्रजाति के जानवरों के लिये गंध सबसे बड़ी समस्या है। मां और शावक के बीच का मधुर रिश्ता इसी गंध पर टिका होता है। अगर मादा तेंदुये को इस बात का अहसास हो जाए कि उसके शावक को किसी अन्य ने स्पर्श किया है तो वो उसे नकारने में देर नहीं लगाती है। किठौर के भगवानपुर बांगर के खेत में मिले शावक को लेकर इसलिये वन विभाग परेशान है कहीं मादा तेंदुआ इसे नकार न दे नहीं तो पूरी जिंदगी शावक को कैदी के रुप में चिड़ियाघरों में गुजारनी पड़ेगी।
मेरठ का तेंदुओं से रिश्ता गहराता जा रहा है। गत माह पल्लवपुरम में एक घर में तेंदुआ घुस गया था। इसके अलावा गत सप्ताह परतापुर में हवाई पट्टी के पास भी तेंदुये को टहलते हुए देखा गया था। आबूलेन और कैंट अस्पताल में भी तेदुंआ घूम कर जा चुका है। अब किठौर के भगवानपुर बांगर गांव में तेंदुये का सामना ग्रामीणों से हो गया।
जिस तरह तेंदुये के शावक को ग्रामीणों ने उठाकर अपनी गोद में लेकर सैर कराई उससे भले कुछ लोगों को आनंद आया हो लेकिन ग्रामीणों की इस हरकत ने तेंदुये और उसके शावक को परेशानी में डाल दिया है। अहम् सवाल यह उठ रहा है कि शावक के शरीर पर इंसानी गंध समा गई होगी और रात में अगर मादा तेंदुआ आती है और शावक में इंसानी गंध महसूस करती है तो बहुत अधिक संभावना यह है कि वो बच्चे को साथ ही न ले जाए।
वन विशेषज्ञों का कहना है कि तेंदुआ बहुत ही चालाक और तीक्ष्ण गंध को महसूस करने वाला होता है। जिला वन अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि तीन दिन तक तेंदुआ अपने शावक की तलाश करती है और तमाम सुरक्षा को देखने के बाद अगर उसे शावक उसी जगह मिल जाता है तो लेकर चली जाती है।
अगर ऐसा नहीं हुआ तो शासन उसे गोरखपुर, लखनऊ या फिर कानपुर स्थित जू में रखने का आदेश कर सकती है। बताया कि पूरी कोशिश की जा रही है मां से बिछुड़े बच्चे को मिलवा दिया जाए। गौरतलब है कि बिल्ली प्रजाति के जानवरों के बच्चे अपने जन्म काल में काफी नाजुक और संवेदनशील होते है ऐसे में मादा तेंदुये का मिलना बेहद जरूरी है।