अनिश्चितता के दौर में युवा क्या करें। अनिश्चितता का डर बना हुआ है उससे उनके मन में असुरक्षा की भावना उत्पन्न हो रही है, जो स्वाभाविक है। महामारी और मंदी की वजह से युवाओं में आत्मविश्वास की कमी देखी गई है। कुछ उपाय हैं जिन्हें अपना कर इस अनिश्चित समय में भी भरोसा बनाए रखा जा सकता है…
भविष्य की चिंता में समय नष्ट न करें
जब ये समझ में नहीं आता है कि आखिर भविष्य में क्या होने वाला है, तो ऐसे में हम अपना अधिकतर समय केवल बातें करने में बिता देते हैं। अगर आपको यह चिंता सताए कि 35 की उम्र पार करते हुए आप आखिर करियर के किस मुकाम पर होंगे तो तुरंत ही अपना फोकस वर्तमान पर ले आएं। वर्तमान में रहते हुए अपनी कोशिशें जारी रखें। भविष्य की चिंता से अपना ध्यान हटाने के लिए या खुद को व्यस्त रखने के लिए आज ही अपना कवर लेटर लिख कर रख सकते हैं।
‘अगर ऐसा ना हुआ तो’- यह मत सोचिए
यह संभव है कि बहुत से युवा इन दिनों यह भी सोच रहे हों कि अगर भविष्य में कभी कोई काम या नौकरी नहीं मिली, तो क्या करेंगे? आपकी यह सोच केवल एक विचार तक ही सीमित होनी चाहिए। इसे गंभीरता से न लें। कठिन समय में भी जहां तक हो अपनी भावनाओं पर नियंत्रण बनाए रखें और अभी आप जो कुछ भी सोच-विचार कर रहे हैं उसको तर्क देने के लिए अपने तथ्यों को एक डायरी में लिखना शुरू करें। ऐसा कुछ समय तक करते रहें।
अपनी बेचैनी जाहिर न करें, खुद पर ध्यान दें
दिनभर बेकार की बातें सोच कर, बेचैन होकर अपने थेरेपिस्ट या माता-पिता को फोन कर अपने जीवन की मुश्किलें उनके सामने न रखें। इस तरह आप केवल उनके आश्वासन के लिए रुके हैं जबकि यह वक्त है जब आपको खुद पर ध्यान देना चाहिए और आत्म-आश्वासन पर फोकस करना चाहिए। ऐसे में आप किसी पुरानी मुश्किल स्थिति का ध्यान कर सकते हैं और यह सोच सकते हैं कि कैसे उस कठिन दौर में से आपने खुद को निकाल लिया था।
किसी तरह का पछतावा ना करें
आपको किसी चीज का घोर पछतावा हो रहा है तो वह पछतावा किस चीज का है उसे पहचानने की कोशिश कीजिए। एक बार जब आप उसे पहचान लें तो बजाय उस पर दुखी होने के या यह सोचने के कि आपने कैसे इसे अनदेखा कर दिया, अपनी इस पछतावे की भावना का सदुपयोग कीजिए।