- शिकायतों के बाद भी आखिर क्यों नहीं लिया जा रहा एक्शन?
जनवाणी संवाददाता |
मोदीपुरम: सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में चल रही नियुक्ति प्रक्रिया की शिकायत राज भवन में लगातार शिकायतें हो रही है। उसके बावजूद नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक नहीं लग रही है। नियुक्ति प्रक्रिया की शिकायत सच संस्था के अध्यक्ष संदीप पहल एवं शास्त्रीनगर निवासी सुनील तनेजा द्वारा राजभवन को पत्र भेजकर की गई है, लेकिन अभी तक राज भवन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आरके मित्तल का कार्यकाल 14 जुलाई को समाप्त होगा विश्वविद्यालय के कुलपति में 10 जुलाई को विश्वविद्यालय की प्रबंध समिति की मीटिंग बुलाई है। अपने कार्यकाल समाप्त होने से चार दिन पूर्व मीटिंग में कुलपति टीचिंग और नॉन टीचिंग भर्ती के लिफाफे खोलने की फिराक में है।
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिरकार कुलपति प्रो. आरके मित्तल द्वारा ऐसा क्यों किया जा रहा है। उधर, राजभवन में लगातार जा रही शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई न होना सवालिया निशान उठा रहा है। ऐसे में अगर भर्ती प्रक्रिया में पूर्णरूप से पारदर्शिता नहीं बरती जाएगी तो विश्वविद्यालय के कुलपति और राजभवन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठने लाजिमी है।
कृषि विवि की छवि हो रही धूमिल
कृषि विवि के कुलपति प्रो. आरके मित्तल द्वारा कृषि विश्वविद्यालय में नियम कायदे कानून को ताक पर रखने का आरोप निरंतर उन पर लगता आ रहा है। कृषि विवि रैगिंग में 15 स्थान पर था, लेकिन कुलपति प्रो. आरके मित्तल के बाद विश्वविद्यालय में रैगिंग के क्षेत्र में बदनामी हुई है।
बताया गया कि वर्तमान कुलपति ऐसे प्रतिबंधित समय में नियुक्तियों पर ध्यान दे रहे हैं। जबकि रिसर्च प्रसार पर कोई ध्यान नहीं है। जिसके चलते विश्वविद्यालय की छवि धूमिल हो रही है।
पश्चिम के लोगों से किनारा, बाहरी को तवज्जो
कुलपति प्रो. आरके मित्तल नियुक्ति प्रक्रिया में पश्चिम उत्तर प्रदेश में रहने वाले लोगों से दूरी बना रहे और बाहरी लोगों को नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश खासकर मेरठ के युवाओं के उत्थान के लिए इस यूनिवर्सिटी को स्थापित किया गया था और यहां के युवा ही नियुक्ति प्रक्रिया से दूर हैं, जो यहां के युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।
नियम, कायदे, कानून ताक पर
कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति पर आरोप है कि वह अपने चहेतों को अपनी कमेटी में शामिल करने के लिए सारे नियम कायदे कानून ताक पर रख देते हैं और नियम के विरुद्ध जाकर अपने चहेतों को लाभ के पद पर का काबिज कर देते हैं। हालांकि कुलपति ने इन सभी आरोपों को निराधार बताया है।
स्थानीय भाजपा के नेता भी खामोश
भाजपा के सांसद विधायक और पदाधिकारी भी नियुक्ति प्रक्रिया से अनजान बने हुए हैं। बताया गया कि कृषि विश्वविद्यालय में 200 के करीब नियुक्तियां हो रही है। बाहरी लोगों को इनमें शामिल किया जा रहा है। इसके बावजूद यहां के भाजपा के नेता खामोश बैठे हैं। ऐसे में उनके खामोश होने से भी सवालिया निशान अब उठने लगे हैं।