Wednesday, June 18, 2025
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बच्चों का करें सही मार्गदर्शन

BALWANI


बच्चों का सही मार्गदर्शन करते हुए परवरिश करना माता-पिता का प्रथम कर्तव्य होता है और यह तभी संभव हो सकता है जब आपको अपने बच्चे की पूरी दिनचर्या की सटीक जानकारी हासिल हो। अंतत: आज से ही भागदौड़ वाली जिंदगी में बच्चों के मामले में उचित समय निकालकर मार्गदर्शन करते हुए उज्जवल भविष्य संवारने के लिए दृढ़ संकल्प लें। तभी आपके बच्चे का कैरियर गतिमान होकर उज्जवल भविष्य की ओर अग्रसर हो सकेगा अन्यथा कदापि नहीं। देखने में आया है कि महानगरों में माता-पिता का कामकाजी होना अक्सर बच्चों के लिए नुक्सानदायक साबित होता है। दरअसल, वह बच्चों को सभी सुख-सुविधाएं तो दे देते हैं परंतु बच्चों की सही देखरेख करने में असमर्थ हो जाते हैं। फलस्वरूप, बच्चों का भविष्य सही दिशा में न पहुंचकर किसी गलत संगत में पड़ने के कारण अंधेरे में खो कर रह जाता है।

हालांकि मंहगे एवं नामी-गिरामी स्कूलों में पढ़ाने और महंगी ट्यूशन लगा देने मात्र से ही पति-पत्नी संतुष्टि कर बैठते हैं जबकि हकीकत यह है कि इन सब के बावजूद भी बच्चों के प्रति उनकी यह जिम्मेदारी सही मायनों में पूर्ण नहीं होती बल्कि माता-पिता को चाहिये कि वे बच्चों की दैनिक दिनचर्या के अलावा उनकी हर एक हरकतों पर भी पैनी निगाहें गड़ाये रखें।

इस दौरान यदि बच्चा सही दिशा की ओर जा रहा है तो बेहतर है अन्यथा तुरंत बच्चों के लड़खड़ाते कदमों को सहारा देकर बहकने से रोक सकते हैं। कई बार यह बात सामने आई है कि जिन बच्चों के माता-पिता सदैव किसी न किसी काम में मशगूल रहते हैं, उनके बच्चे अपने माता-पिता को उतना सम्मान नहीं देते जितना बाकी अन्य दूसरे बच्चे देते हैं।
ऐसे में यदि माता-पिता बच्चों के साथ सख्ती से पेश आते भी हैं तो नतीजा कुछ खास निकलकर सामने नहीं आता।

इसलिए माता-पिता को चाहिये कि वह अपने व्यस्त कार्यों में से कुछ समय निकालकर अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए खर्च करें। निस्संदेह, ऐसा करने से जहां उनकी भावना और विचारों में बदलाव आयेगा, वहीं दूसरी ओर उनके मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ेगा जोकि विचार की उग्रता के अनुरूप मस्तिष्क पर रेखाएं खिंचने के कारण जीवन का कायाकल्प हो सकता है। इससे बच्चों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है।

हकीकत में ये समस्त बातें भले ही आपको बहुत अजीबो-गरीब मालूम पड़ें लेकिन हर एक दृष्टि से यह आपके बच्चों के भविष्य को अंधेरे से रोशनी में ला खड़ा कर देगी। इतना ही नहीं, प्रेम के रसायन द्वारा बच्चों की अनेक मानसिक व्याधियों को भी दूर किया जा सकता है। इस रसायन में लोभ और स्वार्थ रूपी भावनाएं स्वत: पूरी तरह घुलकर नष्ट हो जाती हैं। और तो और, बच्चों में भी घृणा, ईर्ष्या और जलन की भावनाएं मिट जाती हैं।

यही नहीं, इससे बदले की भावना, अपराध की इच्छा तथा मन की अनेक अन्य व्याधियां खुद-ब-खुद दूर होकर समाप्त हो जाती हैं। जिस प्रकार अम्ल का उपाय क्षार है, आग बुझाने का उपाय कार्बन-डाईआॅक्साइड गैस है, ठीक उसी प्रकार बच्चों में एकांत में रहने के कारण उत्पन्न घृणा, ईर्ष्या व प्रतिशोध को स्नेह, प्रेम और शांति द्वारा उपशम किया जा सकता है। ‘प्रेम सलिल’ से बच्चों में उपजते द्वेष का सारा मैल पल भर में ही घुल जाएगा और वह अपने मन से माता-पिता के प्रति घृणा को बाहर निकाल फेंकेगा। साथ ही मन की स्थिति में भी परिवर्तन कर देगा।

इस प्रक्रिया के दौरान अपने बच्चों की दिनचर्या जानने हेतु यह गौर फरमाएं कि बच्चा प्रतिदिन क्या करता है? और किन लोगों के बीच उठता-बैठता है? क्या शौक रखता है? किस वक्त पढ़ाई करता है और कितने समय तक पढ़ता है? क्या वह इंटरनेट यूज करता है और क्यों करता है? किस साइट पर ज्यादा विजिट करता है? कितने घंटे इंटरनेट पर व्यतीत करता है? इत्यादि।

अगर इन सभी उपरोक्त बातों का सही-सही जवाब मिलता है तो समझ लीजिए उसकी संगत ठीक है तथा उसके दोस्त भी अच्छे ही होंगे और आप भी उन पर आंख मूंद कर भरोसा कर सकते हैं। यदि जवाब टालमटोल वाला मिलता है तो सतर्क हो जाइये और उस पर कड़ी दृष्टि के साथ सच्चाई की जांच कीजिए नहीं तो आपका बच्चा कब बिगड़ कर गलत माहौल में जा मिले और आगे चलकर आपको भी परेशानी का सामना करना पड़े, कुछ नहीं कहा जा सकता।

सो, अक्सर प्रयास करें कि आप बच्चे से शाम को घर आते वक्त उसके पूरे दिन के कार्यों का ब्यौरा मांगें पर ऐसा करते समय ध्यान रहे कि आपके पूछने का अंदाज माता-पिता की भांति न होकर एक अच्छे दोस्त की तरह ही हो ताकि बच्चा भी दोस्त मानते हुए खुलकर निडर होकर सच-सच आपको अपनी संपूर्ण दिनचर्या बयां कर सके।

इसके अतिरिक्त आफिस में बैठे-बैठे भी एक या दो बार बच्चों से मोबाइल पर बातें करें ताकि बच्चों को यह महसूस होता रहे कि उनके माता-पिता की निगाहें अप्रत्यक्ष रूप से पीछा कर रही हैं। साथ ही, बच्चों के स्कूल भी अक्सर जाएं। ऐसे में बच्चे के स्कूल टीचर और ट्यूशन टीचर से लगातार संपर्क कर जानकारी लेते रहें और गलत हरकत मालूम पड़ते ही उसकी हर एक एक्टीविटी पर नजरें दौड़ायें और कमजोर कड़ी को भांप कर फौरन कड़ी को बदलकर जोड़ते हुए सही मार्गदर्शन कर कंट्रोल करें।

वैसे भी, बच्चों का सही मार्गदर्शन करते हुए परवरिश करना माता-पिता का प्रथम कर्तव्य होता है और यह तभी संभव हो सकता है जब आपको अपने बच्चे की पूरी दिनचर्या की सटीक जानकारी हासिल हो। अंतत: आज से ही भागदौड़ वाली जिंदगी में बच्चों के मामले में उचित समय निकालकर मार्गदर्शन करते हुए उज्जवल भविष्य संवारने के लिए दृढ़ संकल्प लें। तभी आपके बच्चे का कैरियर गतिमान होकर उज्जवल भविष्य की ओर अग्रसर हो सकेगा अन्यथा कदापि नहीं।

                                                                                                                                अनूप मिश्रा

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