Saturday, June 14, 2025
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मेडा के करोड़पति क्लर्कों की सम्पत्ति की जांच के आदेश

  • सीएम को भेजी गई थी शिकायत, जांच को मेडा में पहुंची

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: भ्रष्टाचार में संलिप्त मेरठ विकास प्राधिकरण के छह कर्मचारियों पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप लगे हैं। आय से अधिक संपत्ति एकत्र करने के मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री के यहां से एक शिकायती पत्र पर जांच के आदेश के साथ मेरठ विकास प्राधिकरण में पहुंचा है। इस मामले में सचिव चंद्रपाल तिवारी ने जांच के आदेश दिए हैं।

फिलहाल अधिष्ठान अनुभाग में संबंधित कर्मचारियों के द्वारा दिए गए शपथ पत्र की छानबीन की जा रही है। यह शिकायत मुकेश गुप्ता ने की है। शिकायत में कहा गया है कि क्लर्क गंगा चरण गुप्ता, पीपी सिंह, आशु, अवस्थी और यशवीर सिंह तथा मेट ऋषिपाल सिंह तथा जय भगवान के द्वारा आय से अधिक संपत्ति एकत्र करने का आरोप लगाया गया है। कहा गया है कि लंबे समय से यह क्लर्क वे मेट गरीब जनता का कार्य करने के बदले में उनके भवन में भूखंड को रजिस्ट्री करने में आनाकानी करते हैं तथा पत्रावली गायब करने में भी इनकी अहम भूमिका है।

सुविधा शुल्क लेकर ये लोग महत्वपूर्ण पत्रावली तक गायब कर देते हैं। आरोप है कि इन सभी ने करोड़ों की संपत्ति अर्जित कर रखी है। यह संपत्ति क्लर्क अपने नाम से अपने रिश्तेदारों के नाम से व अपने ससुराल पक्ष के नाम से भी संपत्ति अर्जित की गई है। जांच का विषय यह है कि मेरठ विकास प्राधिकरण के इन सभी कर्मचारियों की संपत्ति की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो आइबी से कराई जाए, जिससे मेरठ विकास प्राधिकरण मेरठ में हो रहे भ्रष्टाचार को रोका जा सके। वर्तमान में शिकायतकर्ता ने इसकी भी जांच की मांग की है कि मेरठ विकास प्राधिकरण में लगे सीसीटीवी कैमरों की भी जांच कराई जाए, जिसमें क्लर्क सुविधा शुल्क लेते हुए दिखाई देंगे।

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इनकी जांच पड़ताल होने के बाद भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा। शिकायतकर्ता ने यह शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश के राज्यपाल और कमिश्नर से की है। मुख्यमंत्री के यहां से इस शिकायत पर मेरठ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों से जवाब मांगा है। शिकायती पत्र पर सचिव ने प्रभारी अधिकारी अधिष्ठान को मार्क करते हुए जिन क्लर्क पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, उनकी सेवा पुस्तिका में शपथ पत्र की जांच और अन्य भ्रष्टाचार के मामलों की जांच कराने के आदेश दिए हैं।

नियम ये है कि सरकारी कर्मचारी एक सौ मीटर से ज्यादा का प्लाट खरीद सकता हैं। इससे बड़ा प्लाट नहीं खरीद सकता। यदि खरीदा है और उसमें मकान बनाया है तो उसका हिसाब देना होगा। प्लाट व मकान खरीदने के लिए कहां से पैसा आया? इसको बताना होगा। कृषि भूमि की जॉब में आने के बाद खरीद की है तो उसका भी हिसाब देना होगा। इन तमाम बिन्दुओं को लेकर जांच पड़ताल मेडा में चल रही हैं। अब देखना ये है कि क्लर्कोंं पर क्या शिकंजा कस पाएगा या फिर नहीं?

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