Monday, January 20, 2025
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रुद्राक्ष धारण करने से होंगे यह सभी दुख दूर, अनंत सुखों की होगी प्राप्ति

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉट कॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और ​अभिनंदन है। श्रावण का महीना भोलेनाथ का सबसे प्रिय होता है। यदि हम पर एक बार शिव जी का आर्शिवाद बन जाए तो हमें कभी किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।

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हमारे भोले बाबा को सिर्फ भक्ती चाहिए होती है। वह फिर यह भी नहीं सोचते की इसने कितने बुरे कर्म किए हैं आखिर वो हैं ही भोले भंडारी…लेकिन क्या आप जानते है पौराणिक मान्यता के अनुसार, रुद्राक्ष को देवों के देव भगवान शिव का स्वरूप ही माना गया है। बताया जाता है कि, रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रु से हुई है।

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साथ ही जो भी व्यक्ति इसे पहनता है उससे इंसान की मानसिक और शारीरिक परेशानियां दूर होती हैं। साथ ही जो इसे धारण कर भोलेनाथ की पूजा करता है उसे जीवन के अनंत सुखों की प्राप्ति होती है। लेकिन आपको बता दें कि, रुद्राक्ष के हर एक मुख का अलग महत्व होता है, आइए जानते हैं इस विशेष बात को..

एकमुखी रुद्राक्ष

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एक मुखी इसे साक्षात शिव का स्वरूप कहा गया है। इसे धारण करने से जीवन में किसी तरह की कमी नहीं रहती। एकमुखी रुद्राक्ष दुर्लभ माना जाता है कि इसे धारण करने से व्यक्ति को यश की प्राप्ति होती है।

दो मुखी रुद्राक्ष

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दोमुखी रूद्राक्ष को शिव-शक्ति का स्वरूप माना जाता है। इसे धारण करने से आत्मविश्वास और मन की शांति प्राप्त होती है एवं इसे धारण करने से कई तरह के पाप दूर होते हैं।

तीन मुखी रुद्राक्ष

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इस रूद्राक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश की त्रिगुणात्मक शक्तियां होतीं हैं। यह परम शांति, खुशहाली दिलाने वाला रुद्राक्ष है। इसे धारण करने से घर में सुख-संपत्ति, यश, सौभाग्य का लाभ होता है।

चार मुखी रुद्राक्ष

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इसे ब्रह्मा का रूप माना जाता है। यह इंसान को जीवन का उद्देश्य, काम और मोक्ष देने वाला है। त्वचा के रोगों, मानसिक क्षमता, एकाग्रता और रचनात्मकता में इसका विशेष लाभ होता है।

पांच मुखी रुद्राक्ष

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इसे रूद्र का साक्षात स्वरूप बताया है। यह पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होता है। माला के लिए इसी रूद्राक्ष का उपयोग किया जाता है। इसको पहनने से मंत्र शक्ति और ज्ञान प्राप्त होता है।

छः मुखी रुद्राक्ष

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इसे भगवान कार्तिकेय का रूप माना गया है। इसे ज्ञान और आत्मविश्नास के लिए खास माना जाता है। इसे दाहिने हाथ में पहनना चाहिए।

सात मुखी रुद्राक्ष

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इसको सप्तऋषियों का स्वरूप माना जाता है। इसको धारण करने से आर्थिक संपन्नता प्राप्त होती है। इसके धारण से मंत्रों के जप का फल प्राप्त होता है।

अष्टमुखी रुद्राक्ष

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यह रुद्राक्ष अष्टभुजा देवी और देवों में सबसे पहले पूजे जाने वाले गणेशजी का स्वरूप है। इसे धारण करने से दिव्य ज्ञान की प्राप्ति और मुकदमों में सफलता प्राप्त होती है। अष्टमुखी रुद्राक्ष अनेक प्रकार के शारीरिक रोगों को भी दूर करता है।

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