Thursday, January 2, 2025
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इस निर्माण को क्या नाम दूं, नया या फिर पुराना…

  • होटल का विधिवत हो गया उद्घाटन भी, बिल्डिंग भी हो गई चालू
  • वैध की स्वीकृति में हो गया अवैध निर्माण, फिर भी जिम्मेदार बने हैं खामोश

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: जब से नींव भरनी शुरू हुई। तब से जनवाणी अवैध निर्माण पर लगातार प्रहार कर रहा हैं। जब से होटल बनना शुरू हुआ, तब इस पर सील लगी। इसके बाद होटल का विधिवत उद्घाटन भी हो गया। बिल्डिंग चालू भी हो गई। निर्माण वैध की स्वीकृति में हो गया। हाल ही में मेरठ विकास प्राधिकरण में भीड़ ने धावा बोला तो मजबूरीवश आकाओं ने पुराने अवैध निर्माणों को पुराना कहकर अभयदान प्रदान कर दिया।

अभयदान वाले दिन ये भी कहा गया कि नये निर्माण नहीं होने दिया जाएगा। नये निर्माण भी पेंट होने के बाद पुरानी वाली सूची में आ जाएंगे। तीन अवैध निर्माण जरुर तोड़ दिये हैं, जो बाइपास पर किसानों के निर्माण थे। किसी भी धन्नासेठ या फिर व्यापारी के निर्माण को कोई आंच नहीं आयी हैं। ये अवैध निर्माण केवल अवैध निर्माण ही नहीं, बल्कि अवैध धंधों की पनाहगाह भी है। क्योंकि करीब 72 अवैध ओयो होटल बनकर तैयार हैं।

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इनमें कौन से अवैध धंधे चलते हैं, इसको शासन-प्रशासन भी जानते हैं। शिवा ढाबे पर मार-मारकर एक युवक की जान ले ली गई। ये शिवा ढाबा भी अवैध हैं, इसकी खबरे भी प्रमुखता से प्रकाशित हुई थी, जिस पर सील भी लगी, लेकिन वर्तमान में ढाबा बनकर उद्घाटन भी हो गया हैं। अब शिवा ढाबे पर टूरिस्टों को पीट-पीटकर मौत के घाट उतारा जा रहा हैं। इस निर्माण को भी प्राधिकरण ने अभयदान दे दिया ? ढाबे पर इतना बड़ा कांड हो गया, लेकिन फिर भी इस पर कोई कार्रवाई प्राधिकरण नहीं कर रहा हैं। आखिर इस अवैध ढाबे पर प्राधिकरण के इंजीनियर क्यों मेहरबान हैं? ये चर्चा खूब हो रही हैं।

एनएच-58 पर इरा गार्डन कॉलोनी के मुख्य गेट के बराबर में पिछले तीन माह से एक अवैध रेस्टोरेंट का निर्माण चल रहा हैं। अभी ये निर्माण नया हैं। इस पर सील भी मेडा की तरफ से लगाई गयी। अब इस अवैध निर्माण पर प्लास्टर का काम चालू कर दिया गया हैं। फिर पेंट भी कर दिया जाएगा। इस तरह से एक माह बाद ये निर्माण भी पुराना हो जाएगा। इसके बाद तो प्राधिकरण वीसी अभिषेक पांडेय कह चुके है कि नये निर्माण पर बुलडोजर चलेगा, पुराने निर्माण पर नहीं। इस तरह से इस अवैध निर्माण को भी अभयदान मिल जाएगा।

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क्योंकि पहले प्राधिकरण के इंजीनियर इस पर कार्रवाई करने वाले नहीं हैं। इसी तरह से शोभापुर पुलिस चौकी के ठीक पीछे एक हलवाई का होटल बनकर तैयार हो गया। पहले ये भी नया था। अब पेंट हो गया। उद्घाटन के लिए होटल तैयार हैं। कभी भी इसका उद्घाटन हो सकता हैं। इस पर सील भी लगी। थाने में एफआईआर दर्ज कराने के लिए तहरीर भी दी गई, लेकिन कार्रवाई तो हुई नहीं, बल्कि होटल बनकर तैयार हो गया।

इतनी सख्ती प्राधिकरण उपाध्यक्ष अभिषेक पांडेय द्वारा की जा रही हैं, फिर भी अवैध निर्माणों को कैसे अभयदान दिया जा रहा हैं? ये भी बड़ा सवाल हैं। अवैध निर्माण तो गिरा दिये जाएंगे, लेकिन जिन इंजीनियरों ने निर्माण कराये हैं, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज क्यों नहीं कराई जा रही हैं। इंजीनियरों के प्रति प्राधिकरण उपाध्यक्ष इतने सॉफ्ट क्यों हैं? सजा अवैध निर्माण करता और इंजीनियरों को भी। इंजीनियर यदि चाह लेंगे तो अवैध निर्माण हो नहीं पाएंगे।

ये निर्माण ही ले लो, जो ईरा गार्डन के बराबर में बन रहा हैं। रेस्टोरेंट सील लगने के बाद एक तरह से निर्माण पूरा हो गया। सील भी तोड़ दी। एफआईआर नहीं की। अब प्लास्टर का काम तेजी से चल रहा हैं। इस अवैध निर्माण को जनवाणी पहले दिन से लिख रहा हैं, मगर इंजीनियर है कि संज्ञान नहीं ले रहे हैं। लगता है पेंट होने के बाद ये पुराना निर्माण हो जाएगा, जिसके बाद ही इस पर फिर से निशानदेही की जाएगी। इसके बाद जनता एकत्र हो जाती हैं। मेडा आॅफिस पर प्रदर्शन करने पहुंच जाती हैं।

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इस तरह से विरोध प्रदर्शन आरंभ हो जाते हैं। आज कल तो कुछ वैसा ही हो रहा हैं। ये नया निर्माण हैं। अब देखना ये है कि मेडा इंजीनियर इसे कब तक तोड़ पाते हैं या फिर नहीं। शोभापुर पुलिस चौकी के ठीक पीछे बना है आलीशान होटल। इसमें भी सील लगी थी। सील कहीं नहीं दिखती हैं। होटल बनकर तैयार हो गया। पेंट भी हो गया। सजावट भी पूरी हो गयी। लाइटिंग कर दी गई। अब ये अवैध होटल उद्घाटन के लिए तैयार हो गया हैं। कभी भी किसी नेता से समय मिलने के बाद इसका उदघाटन भी कर दिया जाएगा।

बड़ा सवाल ये है कि इस तरह से अवैध होटल बिना मानचित्र स्वीकृति के बनते रहेंगे। इन पर मेडा इंजीनियर आखिर क्यों लगाम नहीं लगा पा रहे हैं। इसके लिए किसकी जवाबदेही हैं। प्राधिकरण उपाध्यक्ष ने जोनल अर्पित यादव को बनाया हैं। उनकी तरफ से भी इसमें कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही हैं। अर्पित यादव पर पूरा भरोसा कर प्राधिकरण उपाध्यक्ष ने जोनल की जिम्मेदारी दी थी, फिर भी कार्रवाई क्यों नहीं हो रही हैं।

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