नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉट कॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। आज मंगलवार को सावन का आखिरी मंगलागौरी व्रत है। बताया जाता है कि, सावन माह में मगंलवार मां गौरा यानि पार्वती को समर्पित है। इस दिन माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
दरअसल, मां मंगला गौरी आदि शक्ति माता पार्वती का ही मंगल रूप हैं। इन्हें मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी के नाम से भी जाना जाता है। मंगला गौरी का व्रत अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखा जाता है।
इसलिए विवाहित महिलाएं सावन में इस व्रत को विधि-विधान के साथ रखती हैं और मां मंगला गौरी की पूजा करती हैं। तो चलिए जानते हैं मंगला गौरी व्रत और पूजा विधि के बारे में…
ऐसे करें मंगलागौरी व्रत पूजा
सबसे पहले मंगला गौरी व्रत वाले दिन सूर्योदय से पहले जागकर स्नानादि करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर एक साफ लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर उसपर मां पार्वती की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
इसके बाद व्रत का संकल्प करें और आटे से बना हुआ दीपक प्रज्वलित करें। धूप, नैवेद्य फल-फूल आदि से मां गौरी की पूजा कर ”मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये” मंत्र का जाप करें।
यहां जानें मंगलागौरी व्रत का महत्व
ये व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है। कहा जाता है कि मंगला गौरी व्रत में विधि पूर्वक मां गौरी की पूजा करने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है और दांपत्य जीवन में अथाह प्रेम बना रहता है।
साथ ही यदि आप संतान पाने की इच्छा रखतीं हों। तो यह व्रत बहुत शुभ फलदायी रहता है। इसके अलावा यदि किसी के दांपत्य जीवन में समस्याएं बनी हुई हैं, तो उन्हें मंगला गौरी व्रत करना चाहिए। ऐसा करने से दांपत्य जीवन का कलह-कष्ट व अन्य सभी समस्याएं दूर होती हैं।
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