- प्रदूषण कंट्रोल करने के लिये ग्रीन एनर्जी को दी जा रही प्राथमिकता
- सिटी में 1200 किलो मीटर बिछाई जा चुकी पीएनजी गैस लाइन
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शहर में जहां एक तरफ घरेलू गैस सिलेंडर के लिए गैस एजेंसी पर जाना पड़ता है, फिर एजेंसी के टोल फ्री नंबर पर कॉल करके गैस सिलेंडर को उपभोक्ता द्वारा बुक कराना पड़ता है। वहीं, पीएनजी गेल गैस एलपीजी गैस से सस्ती-सुलभ एवं सुरक्षित होने के कारण लोगों के द्वारा काफी संख्या में कनेक्शन लिए जा रहे हैं। सिटी में 2009 में पीएनजी के प्रोजेक्ट पर कार्य शुरू हुआ था। जिसमें वर्ष 2012 से लोगों के घरों में पीएनजी की सप्लाई शुरू हो गई थी।
लोगों का रूझान आज, घरेलू रसोई के लिए एलपीजी की जगह पीएनजी के प्रति बढ़ता जा रहा है। अब तक 45000 लोगों के घर-पीएलजी कनेक्शन पहुंच गए हैं। आखिर बढेÞ भी क्यों न दोनों में यदि अंतर देखा जाये तो एलपीजी गैस की तुलना में पीएनजी गैस प्रदूषण कंट्रोल करने के लिए ग्रीन एनर्जी के रूप में देखी जा रही है। सिटी क्षेत्र में अब तक करीब 1200 किलोमीटर पीएनजी की पाइप लाइन बिछाई जा चुकी है।
सिटी में जहां एक तरफ वातावारण लगातार प्रदूषित होता जा रहा है। वहीं, दूसरी ओर गेल गैस के कनेक्शन की संख्या लगातार शहर में बढ़ती जा रही है। जिसमें पीएनजी गैस की तुलना यदि एलपीजी गैस से की जाये तो वह काफी सस्ती एवं सुरक्षित एवं सुलभ तरीके से लोगों के घरों में पहुंच जाती है। पीएजनी कंपनी के मैनेजर विनय कुमार ने बताया कि मेरठ शहर में वर्ष 2009 में कंपनी की शुरुआत हुई थी। जिसमें वर्ष 2012 तक शहर में पाइप लाइन बिछाते हुए लोगों को पीएनजी गेल गैस की सप्लाई शुरू कर दी गई थी।
यदि वर्तमान में देखा जाये तक करीब 1200 किलोमीटर पाइप लाइन शहर में बिछा दी गई है। जिसमें अब तक करीब 45000 लोगों ने गेल गैस का कनेक्शन लिया है। जिसमें कनेक्शन भी आसानी से दिया जा रहा है। जिसमें 500 रुपये के रजिस्ट्रेशन पर एक कनेक्शन 4500 रुपये में दिया जाता है, यदि किसी की क्षमता एक साथ इतने रुपये देने की नहीं होती तो पांच रुपये प्रतिमाह बिल में जोड़कर भेज दिए जाते हैं। पीएनजी 52 रुपये 52 पैसे प्रति यूनिट है,जबकि एलपीजी का रेट उससे कहीं अधिक है। शहर में 18 जगहों पर सीएनजी के फिलिंग स्टेशन भी खोले गए हैं।
जिन क्षेत्रों में सीएनजी व पीएनजी आसानी से उलब्ध होती है। वहां पर वाहनों में लोगों के द्वारा पेट्रोल आदि की जगह सीएनजी डलवाई जाती है। वहीं रसोई गैस के रूप में एलपीजी की जगह लोगों द्वारा पीएनजी को तहरीज दी जा रही है। पीएनजी गैस,एलपीजी गैस से हल्की होती है, यदि कोई आग लग जाए तो पीएनजी गैस से एलपीजी के मुकाबले कम नुकसान होगा।
पीएनजी गैस हल्की होने के कारण वह हवा में उड़ जाती है, जबकि एलपीजी गैस भारी होने के कारण जमीन पर फैल तक जाती है। एलपीजी की अपेक्षा पीएनजी वातावारण को कम प्रदूषित करती है। एलपीजी का सिलेंडर घर में रखना जरूरी होता है, जिसमें कभी भी हादसा होने का डर बना रहता है, जबकि पीएनजी को घर में रखने की जरूरत नहीं होती।