अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति एवं रिपब्लिकन पार्टी से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार 78 वर्षीय डोनाल्ड ट्रंप ने पेनसिल्वेनिया के बेथेल पार्क निवासी 20 वर्षीय थॉमस मैथ्यू क्रूक्स के द्वारा 13 जुलाई को उन पर किए गए हमले के तुरंत बाद अपने देशवासियों से एकजुटता और दृढ़ता बनाए रखने का आह्वान किया। दरअसल, उन्हें पता है कि रिपब्लिकन और डेमोक्रैट पार्टियों के बीच पहले से ही जारी तनातनी और गर्मा-गर्मी यदि और बढ़ी तो देश में खून-खराबा और अराजकता बढ़ेगी। यदि ऐसा हुआ तो वर्तमान राष्ट्रपति एवं डेमोक्रैट की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडेन और उनकी पार्टी उन घटनाओं के लिए उन्हें ही जिम्मेदार ठहराएंगे, जिसका खामियाजा ट्रंप को भुगतना पड़ सकता है। बता दें कि दोनों ही दलों और उनके राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों की ओर सेअमेरिका में चलाए जा रहे चुनाव प्रचार अभियानों में बाइडेन के पिछड़ने और ट्रंप के आगे रहने के कारण पिछले कुछ समय से दोनों नेताओं और उनके समर्थकों के बीच तल्खियां काफी बढ़ गई हैं। ट्रंप के समर्थकों की ओर से तो यह आशंका भी जताई जाती रही है कि बाइडेन और उनके समर्थकों द्वारा चुनाव में गड़बड़ियां किए जाने की पूरी आशंका है। जैसे-जैसे अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की तिथि निकट आ रही है, वैसे-वैसे दोनों ही दलों और उनके नेताओं की ओर से ध्रुवीकरण रूपी हथियार को धार देने का कार्य भी तेज होता जा रहा है।
हमले के बाद ट्रंप के समर्थकों की ओर से यह कहा गया कि जब बाइडेन डिबेट में पिछड़ गए तो इस प्रकार ट्रंप पर हमले करा रहे हैं। वहीं, ट्रंप भी सोशल मीडिया पर राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर एक अलग प्रकार का नैरेटिव चलाने की कोशिश करते प्रतीत होते हैं। ट्रंप जब मुट्ठी भींचकर हवा में लहराते हुए सभी अमेरिकियों को एकजुट होने…मजबूत और दृढ़ संकल्पित बने रहने तथा बुराई को न जीतने देने की बात कह रहे थे तो अनायास ही वे अमेरिकियों के लिए एक राष्ट्रवादी चेहरा बनकर देश का नेतृत्व करने के लिए समर्थन मांगते हुए दिखाई पड़ रहे थे, जबकि दूसरी ओर बाइडेन की छवि पहले से ही वामपंथी विचारों के पोषक और विशुद्ध रूप से वॉशिंगटन की राजनीतिक संस्कृति में पले-बढ़े राजनीतिज्ञ की बनी हुई है।वे देशवासियों की समस्याओं और जरूरतों पर पारंपरिक दृष्टि रखने वाले एक वृद्ध नेता के रूप में जाने जाते हैं।
एक ओर ट्रंप के समर्थक इस हमले को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हुए इसका चुनावी लाभ लेने के लिए उद्धत दिखाई देते हैं तो दूसरी ओर डेमोके्रट नेताओं की ओर से लगातार ऐसे बयान दिए जा रहे हैं, जो यह दिखाने की कोशिश करते हैं कि ट्रंपको हमले में कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है। इसलिए इसे तूल देने की जरूरत नहीं है। अन्य नेताओं को तो छोड़िए, उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के उस बयान को भी इसी कड़ी में देखा जा रहा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि उन्हें इस बात से ‘राहत’ मिली है कि ट्रंप गंभीर रूप से घायल नहीं हुए हैं। उपराष्ट्रपति हैरिस के इस हल्के-फुल्के बयान से ट्रंप के समर्थकों को लगता है कि उन्होंने ट्रंप पर हुए हमले को कम करके दिखाने की कोशिश की है, जबकि वास्तव में यह 1981 में तत्कालीन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन को गोली मारे जाने के बाद से अमेरिका के किसी राष्ट्रपति या राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की हत्या की सबसे संगीन कोशिश थी। तात्पर्य यह कि अपने-अपने राजनीतिक लाभ-हानि को ध्यान में रखकर ही ट्रंप पर हुए हमले के संदर्भ में भी दोनों ओर से बयानबाजियां की जा रही हैं, जो अमेरिकी राजनीति में आई गिरावट को दर्शाती हैं और बताती हैं कि अमेरिकी लोकतंत्र बुरी तरह से घायल हो चुका है।
वैसे इस घटना की टाइमिंग भी संदेह पैदा करती है। गौरतलब है कि ध्रुवीकरण से आहत अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में अब महज चार महीने ही शेष हैं। यही नहीं, 15 जुलाई को मिलवाउकी में ‘रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन’ शुरू होने से ठीक दो दिन पहले इस घटना को अंजाम दिया जाना भी आशंकित करता है, क्योंकि इसी कन्वेंशन में ट्रंप को औपचारिक रूप से राष्ट्रपति चुनाव के लिए पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया जाना है। जो भी हो, अमेरिका की राजनीतिक परिस्थितियां यह संकेत देने लगी हैं कि अमेरिकी लोकतंत्र में राजनीतिक साजिश और हिंसा की जड़ें गहरी हो चुकी हैं। ऐसे में यह प्रश्न उठना लाजिमी है कि कहीं ट्रंप की उम्मीदवारी को रोकने की नीयत से तो नहीं उन पर हमला कराया गया। यह प्रश्न इसलिए भी पूछा जाना चाहिए, क्योंकि जिस 20 वर्षीय थॉमस मैथ्यू क्रूक्स ने एआर-15 राइफल से दनादन पांच गोलियां चलाकर डोनाल्ड ट्रंप पर जानलेवा हमला किया, उसके संबंध में प्राप्त जानकारियां हिला देने वाली हैं। बता दें कि थॉमस क्रूक्स कोई पेशेवर अपराधी नहीं, बल्कि गणित का चैंपियन विद्यार्थी था। गणित के क्षेत्र में अपने विशिष्ट ज्ञान के लिए एक बार ‘नेशनल मैथ एंड साइंस इनीशिएटिव’ से उसने 500 डॉलर का अवार्ड भी जीता था। वैसे तो वह ट्रंप का ही समर्थक था। उसने हाल ही में ट्रंप के पक्ष में वोट करने के लिए अपना नाम पंजीकृत कराया था, लेकिन एक बार ‘एक्ट-ब्लू’ नामक एक पोलिटिकल कमेटी, जो राष्ट्रपति बाइडन की पार्टी के लिए चंदा जुटाने का काम करती है, को 15 डॉलर का दान भीदिया था।
बहरहाल, इस बार ट्रंप बाइडेन पर हर प्रकार से भारी पड़ते दिखाई दे रहे हैं। वहीं, इस हमले के बाद अब उन्हें अमेरिकी नागरिकों की सहानुभूति मिलनी भी तय मानी जा रही है। इसलिए आश्चर्य नहीं कि डोनाल्ड ट्रंप पर हुआ हमला आगामी राष्ट्रपति चुनाव का निर्णायक मोड़ साबित हो।