Monday, June 16, 2025
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अफसरों को कोर्ट में घसीटने की तैयारी

  • कोचिंग सेंटरों के अलावा भी बहुत कुछ बेसमेंट

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: कोचिंग सेंटरों के नाम पर मेरठ में चल रही गैस चैंबरों के लिए जिम्मेदार अफसरों को हाईकोर्ट में घसीटने की पूरी तैयारी है। एक दो नहीं बल्कि करीब दर्जन भर जनहित याचिका इसको लेकर दायर की जा रही हैं। वहीं दूसरी ओर सवाल पूछा जा रहा है कि मेरठ विकास प्राधिकरण के अफसर को क्या दिल्ली हादसे का इंतजार है?

दिल्ली के राजेन्द्र नगर इलाके में बेसमेंट में चल रही कोचिंग सेंटर में पानी भर जाने की वजह से आईएएस बनने का सपना देखने वाले तीन युवाओं की मौत के बाद ही मेडा प्रशासन की नींद टूटी। होनहार तीन युवाओं की मौत से देश भर में गम और गुस्सा देखा जा रहा है। लोग चाहते हैं कि कोचिंग के नाम पर दोनों हाथों से लूट मचाने वाले इन धनपशुओं के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। इनकी जिम्मेदारी तय की जाए। पूरे शहर में इनका

मकड़जाल फैला हुआ है। कोचिंग सेंटरों के नाम पर खुली मनमानी चल रही है। लाखों की फीस वसूलने वाले कोचिंग सेंटर संचालक पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा के प्रति कितने गंभीर हैं, इस पर बहस छिडी हुई है। पार्टी लाइन से ऊपर तमाम दलों के नेता अवैध रूप से संचालित किए जा रहे कोचिंग सेंटरों को लेकर आवाज उठा रहे हैं। सभी का मानन है कि यह बेदह गंभीर मामला है। कांग्रेस पीसीसी के पूर्व सचिव चौधरी यशपाल सिंह ने कोचिंग सेंटर में मौत की घटना को गंभीर बताया है।

साथ ही जिम्मेदारी तय किए जाने पर जोर दिया है। शिक्षाविद मनीष प्रताप ने शहर के अवैध कोचिंग सेंटरों के मसले एक पत्र केंद्रीय मंत्री चौधरी जयंत चौधरी को लिखा है। मनीष प्रताप सिंह ने बताया कि बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। दिल्ली की घटना बेहद गंभीर है। आरटीआई एक्टिविस्ट मनोज चौधरी ने बताया कि शहर के अवैध कोचिंग सेंटरों और उनको संरक्षण देने वाले अफसरों को कोर्ट में घसीटने की तैयार कर ली गयी है।

तमाम साक्ष्य जुटा लिए गए हैं। बहुत जल्द जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर की जाएगी। उन्होंने बताया कि मुख्य रूप से पीएल शर्मा रोड, नेहरू रोड, तिलक रोड, सिटी सेंटर, बच्चापार्क के अलावा तमाम आवासीय सोसाइटी व शहर के पुराने इलाकों में घरों में भी अवैध कोचिंग सेंटर संचालित किए जा रहे हैं। कई अन्य आरटीआई एक्टिविस्ट ने भी इस मामले में जनहित याचिका दायर करने की बात कही है।

उच्च शिक्षा मंत्री को भेजा पत्र

मेरठ में अवैध रूप से बेसमेंट में चल रही कोचिंग सेंटरों पर कार्रवाई के लिए भाजपा नेता अंकित चौधरी ने प्रदेश उच्च शिक्षा मंत्री (स्वतंत्र प्रभारी) योगेन्द्र उपाध्याय को बुधवार को पत्र लिखा है। उन्होंने बताया कि उन्होंने उच्च शिक्षा मंत्री से बात भी की है और कहा है कि मेरठ में 500 कोचिंग सेंटर चल रहे हैं

जिनमें से बामुश्किल बीस से तीस ही कायदे कानूनों के मुताबिक संचालित किए जा रहे हैं। कोचिंग सेंटर संचालक भारी भरकम फीस वसूल रहे हैं और सुरक्षा मानकों के प्रति पूरी तरह से लापरवाही बरते हैं। ऐसे कोचिंग सेंटरों के खिलाफ उन्होंने कठोर कार्रवाई की मांग की है।

बेसमेंट में अवैध गतिविधियों के लिए अफसर जिम्मेदार

शहर भर में बेसमेंट में चल रही अवैध व्यवसायिक गतिविधियों के लिए तमाम विभागों के अफसरों का गुनाह शामिल है। इन अफसरों को तभी ड्यूटी याद आती है जब कोई हादसा हो जाता है और उस हादसे के बाद शासन का चाबुक चलता है। उससे पहले ऐसे अफसरों को अपनी ड्यूटी भी याद नहीं आती। दिल्ली के राजेन्द्र नगर में बेसमेंट सरीखा हादसे की मेरठ के संदर्भ में यदि बात करें तो पुख्ता संभावनाए हैं। राजेन्द्र नगर में चल रहे बेसमेट में दो घंटे की बारिश के बाद पानी भरा था।

मेरठ में तो एक घंटे यदि जमकर बारिश का पानी भर जाए तो पूरा शहर ही टापू में तब्दील जा जाता है। घुटनों-घुटनों पानी भर जाता है। उसकी वजह नालों की तल्लीझाड़ सफाई का ना होना। नालों की सफाई की जहां तक बात है तो उसके लिए तो जिले के प्रभारी मंत्री धर्मपाल नगरायुक्त समेत पूरे निगम स्टॉफ को फटकार लाग चुके हैं, यह बात अलग है कि उसके बाद भी मेरठ में जलभराव होता है। वैसे अब निगम अफसरों ने शहर में होने वाली जलभराव का ठीकरा दूसरे पर फोड़ना सीख लिया है।

शहर में तमाम इलाकों में नाले बनाए जा रहे हैं, ये नाले सिंचाई विभाग बनाता है। निगम अफसरों का आरोप है कि नाले सही नहीं बनाए गए हैं। जिनकी वजह से पानी की निकासी नहीं हो रही है। ये तो बात हुई जलभराव की वजह से बेसमेंट में आने वाली आफत की जिसकी चर्चा आज पूरे शहर में है। अब बात फायर एनओसी की। नियमानुसार कोचिंग सेंटर चलाने के लिए फायर एनओसी अनिवार्य है, लेकिन एक दो को यदि अपवाद मान लिया जाए तो शहर के किसी भी कोचिंग सेंटर संचालक ने फायर एनओसी नहीं ली है। यह बात खुद सीएफओ संतोष राय कह रहे हैं।

बेसमेंट में कोचिंग सेंटर समेत दूसरी अवैध रूप से संचालित की जा रही गतिविधियोें को लेकर जब सीएफओ से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि किसी भी कोचिंग सेंटर संचालक ने एनओसी नहीं ली है और न ही आवेदन किया है। उन्होंने यह भी बताया कि अभी उनके विभाग की ओर से किसी को नोटिस भी जारी नहीं किया गया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोचिंग सेंटरों को लेकर मेरठ के तमाम विभाग के अधिकारी खासतौर से उच्चशिक्षा विभाग के अधिकारी समेत तमाम दूसरे अफसर कितने गंभीर हैं।

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