Sunday, January 19, 2025
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स्वच्छता के नाम पर ‘साफ’ हो रहा सरकारी खजाना

  • पालिका ने नगर में लगवाए थे करीब 250 कूड़ेदान
  • इक्का-दुक्का के अलावा नगर में कहीं नजर नहीं आते कूड़ेदान

जनवाणी संवाददाता |

सरधना: सरकार की सबसे महत्वकांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन सरधना में दम तोड़ रही है। नगर में स्वच्छता के नाम पर महज सराकारी खजाना लूटाया जा रहा है। धरातल पर स्वच्छता मिशन खुद बीमार नजर आ रहा है। सरधना में नगर पालिका की ओर से ग्यारह लाख रुपये से अधिक खर्च करके लगवाए गए कूड़ेदान खुद कूड़े में तबदील हो चुके हैं।
कस्बे में लगे अधिकांश कूड़ेदान गायब हो चुके हैं।

इक्का-दुक्का जिन स्थानों पर कूड़ेदान बचे हैं, उनकी हालत भी किसी काम की नहीं है। यहां तक की नगर पालिका के मुख्य द्वार पर लगा कूड़ेदान भी गायब हो गया। ऐसे में स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर लाखों रुपये कूड़ा होते नजर आ रहे हैं। नगर स्वच्छ हो न हो, लेकिन सरकारी खजाना जरूर साफ हो रहा है। जो हम सब के लिए शर्म की बात है। क्योंकि कूड़ेदान तोड़ने या गायब करने वाले हमारे बीच में रहने वालों में से हैं।

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स्वच्छ भारत मिशन के तहत सभी नगर निकायों में स्वच्छता के प्रचार-प्रसार से लेकर साफ-सफाई की बेहतर व्यवस्था के लिए सरकार की ओर से अतिरिक्त धन आवंटित किया जा रहा है। ताकि शहर से लेकर कस्बे और गांवोंं को सपनों का भारत बनाया जा सके। सरकार के इसी सपने को पंख लगाने के लिए नगर पालिका ने करीब दो वर्ष पूर्व कस्बे में ढाई सौ स्थानों पर कूड़ेदान लगवाए थे।

उस समय एक कूड़ेदान को लगाने में करीब पांच हजार रुपये खर्च हुए थे। जिसमें नीला और हरा दो रंग के डस्टबिन लगाए गए हैं। ताकि सूखा और गीला कूड़ा अलग-अलग डाला जा सके। इसके लिए पालिका ने करीब 11 लाख रुपये से अधिक खर्च किए थे। नगर के सभी संभावित स्थानों पर कूड़ेदान लगवाए गए। यह सोचकर कि कस्बे को गंदगी से छुटकारा मिल जाएगा। मगर नगर साफ होने के बजाए सरकार खजाना साफ हो गया।

मतलब कस्बे में लगे अधिकांश कूड़ेदान गायब हो चुके हैं। इक्का-दुक्का स्थानों पर जो कूड़ेदान बचे हैं, उनकी हालत भी किसी काम की नहीं है। नगर को स्वच्छ बनाने के लिए खर्च किया गया पैसा बर्बाद हो रहा है। अर्थात नगर स्वच्छ हुआ या नहीं पर सराकारी खजाना जरूर साफ हो गया। डस्टबिन लगाने के बाद पालिका ध्यान रखना ही भूल गया। गंभीरता इस बात से नजर आती है कि नगर पालिका के मुख्य द्वार पर लगाया गया कूड़ेदान तक गायब हो गया। मगर इस ओर कोई ध्यान देने वाला नहीं है।

ऐसी दशा में सरकार का स्वच्छ भारत का सपना साकार होता नजर नहीं आ रहा है। वहीं, इस संबंध में चेयरपर्सन नगर पालिका सरधना सबील अंसारी का कहना है कि नगर में जो प्लास्टिक के कूड़ेदान लगवाए गए थे। अधिकांश चोरी हो गए थे। सरधना कोतवाली में चोरी की एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी। उनके बाद अधिकांश स्थानों पर लोहे के कूड़ेदान लगवा दिए गए थे। सरधना को स्वच्छ बनाने में जनता को नगर पालिका का सहयोग करना चाहिए।

कहां गायब हो गए डस्टबिन?

तहसील रोड की बात करें तो नगर पालिका के मुख्य द्वार पर लगाया गया कूड़ेदान स्टैंड समेत गायब हो गया। यही हाल बाकी सरकारी भवनों का है। सीएचसी से लेकर कोतवाली और तहसील परिसर तक से कूड़ेदान चोरी हो गए। इक्का-दुक्का जगह पर कूड़ेदान नजर आते हैं। उनमें भी कही स्टैंड गायब हैं तो कहीं डस्टिबिन लेकिन डस्टबिन गायब हैं। कुछ जगहों पर एक डस्टबिन है तो दूसरा गायब हो चुका है।

आखिर कब सुधरेंगे हम लोग?

ऐसा नहीं है कि नगर पालिका खुद ही डस्टबिन या पूरा कूड़ेदान हजम कर गई हो। कूड़ेदान तो लगाए जा रहे हैं, लेकिन साथ के साथ गायब भी होते चले गए। कूड़ेदान लगने के एक महीने बाद ही उनके गायब होने का सिलसिला शुरू हो गया था। उन्हें तोड़ने वाले या फिर चोरी करने वाले इसी समाज के लोग हैं। मगर शर्म की बात है कि हम लोग अपने नगर को स्वच्छ बनाने में सहयोग तो क्या देंगे, उलटा सरकार द्वरा किए जा रहे प्रयासों को भी तोड़ने में लगे हुए हैं। हमें चाहिए कि अपने आसपास लगे कूड़ेदान का उपयोग करें। रास्ते में कूड़ा नहीं डालें और कूड़ेदान को तोड़ने वाले या चोरी करने वालों के खिलाफ अधिकारियों से शिकायत करें। इन्हीं छोटे प्रयासों से स्वच्छ सरधना और स्वच्छ भारत का सपना पूरा हो जाएगा।

लगातार किया जा रहा जागरूक

रास्ते में कूड़ा नहीं डाले। गीला और सूखा कूड़ा अलग-अलग डाले। इन सभी बातों को समझाने के लिए सरकार द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है। नगर पालिका द्वारा हर वार्ड में कार्यक्रम कराए गए। उम्मीद थी कि लोग समझ गए और कूड़ा रास्ते में डालने के बजाए इन कूड़ेदानों में डालेंगे। मगर कचरा कूड़ेदान में तो तभी डलेगा, वह अपनी जगह पर बचेंगे।

कूड़ेदान लगाने में खर्च हुए 11 लाख

पालिका द्वारा नगर में करीब ढाई सौ कूड़ेदान लगवाए गए थे। प्रत्येक कूड़ेदान की कीमती करीब 47 सौ रुपये बनती है। इस हिसाब से कूड़ेदान लगाने में पालिका द्वारा करीब 11 लाख रुपये से अधिक खर्च किए गए हैं। मगर जिस तरह से कूड़ेदान लगते ही गायब हो रहे हैं। लगता है कि सरकारी धन का कचरा हो रहा है।

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