- यूक्रेन से निकलकर पिसोचीन पहुंचे भारतीय छात्र का बताया जा रहा आॅडियो
- 500 डॉलर प्रतिछात्र कैश वसूलने का आरोप
- भारतीय एजेंटों द्वारा धंधे को दिया जा रहा अंजाम
- पहचान और रसूखदारों को प्राथमिकता
जनवाणी संवाददाता |
किठौर: दो दिन पूर्व यूके्रन के बंकरों से निकलकर पैदल पिसोचीन पहुंचे छात्र का एक आॅडियो वायरल हुआ है। जिसमें भारतीय छात्रों को स्वदेश पहुंचाने के नाम पर मोटी रकम उगाही की बात सामने आई है। यह धंधा यूक्रेन में मौजूद उन भारतीय एजेंटों द्वारा किया जाना बताया गया है जो भारतीय छात्रों का यूक्रेन के विभिन्न शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश दिलाते हैं। एजेंटों पर पक्षपात के आरोप भी लगे हैं। छात्रों ने खाने के नाम पर दो सूखी ब्रेड व दो चॉकलेट दो दिन में दिया जाना बताया है।
गुरुवार को पैदल चलकर पिसोचीन पहुंचे यूक्रेन में अध्ययनरत भारतीय छात्र के वायरल हुए आॅडियो ने पिसोचीन व भारत के सरकारी सिस्टम पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। यदि आॅडियो में जरा भी सच्चाई है तो यह दोनों देशों के लिए बहुत शर्मनाक है। आॅडियो में बताया गया कि भारत सरकार द्वारा अपने छात्रों को स्वदेश बुलाने के नाम पर 120 बसें चलवाने का दावा खोखला है। पिसोचीन में एक दिन में सिर्फ दो बसें पहुंचती हैं।
इनमें लगभग 200 से 250 तक ऐसे छात्रों को स्वदेश लौटने के लिए प्राथमिकता से एयरपोर्ट पहुंचाया जा रहा है जो यूक्रेन और पिसोचीन में जमे भारतीय एजेंटों के संबंधी, रसूखदार पहचान के हैं या एजेंटों द्वारा जिनके यहां की विभिन्न यूनिवर्सिटीज में एडमिशन कराए गए हैं। एजेंटों पर स्वदेश भेजने में भी पक्षपात के आरोप लग रहे हैं। आरोप यह भी है कि संबंधी और रसूखदारों को भी 500 डॉलर प्रति छात्र नकद लेकर बसों में बिठाया जाता है। एजेंटों के पास सुरक्षा की कोई गारंटी नही है। ऐसी कई बसों पर रास्ते में हमले भी हो चुके हैं।
ऐसे हुआ संदेह
वायरल आॅडियो में बताया गया कि छात्रों ने 500 डॉलर नकद भुगतान के बजाय जब एजेंट से खाते में रकम डलवाने की बात कही तो उसने साफ इंकार कर दिया। कहा कि नकद लेकर ही बस में बैठाया जाएगा। आॅडियों में यह भी बताया गया है कि इस वक्त पिसोचीन में लगभग 800-900 विदेशी छात्र शरण पाए हुए हैं। जिनमें कुछ लड़कियां भी हैं। पिसोचीन के मौसम ने बहुत छात्रों को बीमार कर दिया है। खासतौर पर लड़कियां यहां बीमारी की ज्यादा शिकार हो रही हैं।
खाने के नाम पर दो ब्रेड और चॉकलेट
आॅडियो में बताया गया कि छात्रों की स्थिति बेहद खराब है। गुरुवार शाम वह भूखे-प्यासे पिसोचीन पहुंचे थे। जहां उन्हें ठहरने का ठिकाना मिल गया। कुछ देर बाद खाने के नाम पर छात्रों को दो-दो ब्रेड व चिकन सूप दिया गया। यह सूप मुस्लिम छात्रों ने वापस कर दिया। क्योंकि उन्हें अंदेशा था कि यह हलाली मीट का सूप नही है। बहरहाल सूखे दो ब्रेड खाकर रात बिताई। बताया कि शुक्रवार को सिर्फ दो-दो चॉकलेट छात्रों को दी गईं। जिन्हें खाकर पूरा दिन बिताया गया।
दावा सरकारी खर्चे का कमाई कर रहे एजेंट
छात्र का कहना है कि भारत सरकार दावा कर रही है कि यूक्रेन में फंसे अपने छात्रों को वह सरकारी खर्च पर स्वदेश बुला रही है। लेकिन हकीकत इससे एकदम जुदा है। कई एजेंट छात्रों के कमरों में आवाज लगाते हैं कि भारत की अमुक विधानसभा का कोई छात्र अगर स्वदेश जाना चाहता है तो बताए। इच्छुक छात्रों से 500 डॉलर कैश मांगा जाता है। रकम अदायगी में असमर्थता जताने पर उन्हें वहीं छोड़ दिया जाता है।