Saturday, July 5, 2025
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अनेक बीमारियों का कारण है उदर की गैस

Sehat 2


पूनम दिनकर |

वर्तमान समय में गैस की तकलीफ ऐसी बीमारी है जिसकी गिरफ्त में आबाल-वृद्ध नारी अवश्य ही फंसे हुए हैं। यह बीमारी कोई स्वतंत्र रोग न होकर पाचनतंत्र की कमजोरी से उत्पन्न होने वाली एक लक्षण मात्र है। इसकी व्यापकता एवं तीव्रता ऐसी होती है कि यह किसी बीमारी से कम नहीं लगती। पेट में स्थित वायु जब किसी कारण से कुपित हो उठती है तो अनेक उपद्रव करने लगती है। पेट की गैस के प्रति अगर हम प्रारम्भ में ही ध्यान नहीं देते तो हमें अनेकानेक बीमारियों एवं समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

जब किसी कारणवश मलाशय में मल अपाचित अवस्था में पहुंच जाता है और शरीर से बाहर न निकलने के कारण सड़ता रहता है तो उससे गैस बनकर गुदा मार्ग से बाहर निकल जाती है। अगर यह गैस अधिक मात्रा में बनती है तो यही गुदा मार्ग के अलावा मुख मार्ग से डकार के रूप में निकलना चाहती है और ऊपर की ओर चढ़ने लगती है। इस क्रम में गैस जिन-जिन अंगों में पहुंचती है, वहां अपना असर दिखाना शुरू कर देती है।

अगर वायु उर्ध्वगति में होती है तो यह डकार के रूप में निकलती है। अधिक मात्रा में आने पर यह हिचकी का रूप ले लेती है। जब यही वायु मुख एवं गुदा दोनों मार्गों में से निकल नहीं पाती है तो यह शरीर के अंदर ही फैलने लगती है और जिस अंग में पहुंचती है, उस अंग में परेशानी उत्पन्न कर देती है।

यह गैस जब सीने में पहुंचती है, तो घबराहट पैदा कर देती है। इस स्थिति में रोगी पसीने से तर-बतर होकर अपनी सांस को रुकता महसूस करने लगता है। जब यह सीने से ऊपर पहुंच जाती है तो सिर में भारीपन तथा तेज दर्द के साथ जकड़न पैदा कर देती है।

गैस के आंतों में पहुंच जाने पर पेट में गुडगुड़ाहट के साथ ही पेट फूलना शुरू हो जाता है। हाथ या पैरों में गैस के पहुंचने पर उनमें स्फुरण के साथ ही दर्द भी शुरू हो जाता है। जब गैस का दबाव मूत्रशय पर पड़ता है तो बार-बार पेशाब आने लगता है। पेशाब करने में जोर लगाना पड़ता है तथा पूरा पेशाब एकबार में नहीं उतरता।

गैस जब स्त्री के प्रजननांगों में चली जाती है तो योनिस्फुरण के साथ वायु निकलती है। अगर इस स्थिति में स्त्री के साथ शारीरिक संबंध बनाया जाता है तो वायु कुपित होकर स्त्री की योनि में मरोड़ व तीव्र दर्द शुरू कर देती है, जिससे स्त्री को असहनीय वेदना का भी सामना करना पड़ सकता है। कुपित वायु भी स्त्री में श्वेतप्रदर जैसी बीमारी पैदा कर देती है।
गैस को आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार अपान वायु कहा जाता है।

यह अगर उचित प्रकार से शरीर में रहती है, तो शरीर को स्वस्थ बनाये रखने में अपना योगदान देती है, किन्तु जब यह बिगड़ जाती है तो शरीर को रोगग्रस्त बना देती है। आयुर्वेद मतानुसार शरीर में वात, पित्त तथा कफ, ये तीन ऐसे स्तम्भ होते हैं जो शरीर की कार्यप्रणाली में सहयोग प्रदान करते हैं।

आहार का उचित रूप से न पचना, गरिष्ठ पदार्थों, अधिक तीखे, जलन पैदा करने वाले पदार्थों का अत्यधिक सेवन, दिन भर कुछ न कुछ खाते रहने की आदत, अत्यधिक उपवास, खाने का निश्चित समय न होना, दिन में शयन करना, मानसिक तनाव आदि ऐसे अनेक कारण होते हैं जिनसे गैस का उपद्रव शुरू हो जाता है।

-अजवायन में थोड़ा-सा नमक डालकर चबाने से गैस की व्याधि दूर हो जाती है।

-भोजन के बाद एक चम्मच तुलसी एवं नींबू का रस मिलाकर पीने से गैस शान्त होती है।

-भोजन से पहले छिले हुए अदरक के छोटे टुकड़ों को नमक लगाकर चूसने से गैस नहीं बनती है।

-भोजन के बाद समान मात्रा में हरड़, सोंठ के चूर्ण के साथ थोड़ा-सा काला नमक मिलाकर आधे चम्मच की मात्रा में लेते रहने से गैस की शिकायत दूर हो जाती है।

-बच्चों में गैस की शिकायत होने पर हींग को पानी में पीसकर उसके नाभि के पास लेप लगा देने से राहत मिलती है।

-कुमारी लड़कियों को गैस की शिकायत होने पर पुदीना, लहसुन एवं काली मिर्च को मिलाकर चटनी बनाकर सेवन कराते रहने से आराम मिलता है।

-गैस को मामूली समझकर उसकी उपेक्षा करना हानिप्रद होता है।

-मेथीदाना और गुड़ को पानी में डालकर उबाल लें और इस पानी को छानकर पी लें, गैस में आराम मिलेगा। (जिन लोगों का शरीर कमजोर हो, चक्कर आते हों या गर्म तासीर वाली चीजें हजम न होती हों वे मेथीदाना का इस्तेमाल न करें)

-दो चुटकी पिसी हुई हल्दी में दो चुटकी नमक मिलाकर गर्म पानी के साथ पिएं।

-भुनी हींग व काला नमक मिलाकर गर्म पानी के साथ खाएं, आराम होगा।

-खाने के साथ टमाटर, मूली, खीरे पर काला नमक डालकर खाएं, फायदा होगा।

-अदरक के टुकड़े पर काला नमक लगाकर मुंह में डालकर चूसते रहें, धीरे -धीरे गैस बनना बंद हो जाएगी।

-एक चम्मच जीरा लें और इसे दो कप पानी में 10-15 मिनट के लिए उबालें। अब इसे ठंडा होने दें और भोजन के बाद इसे पियें।

-मूली के जूस में काला नमक और हींग मिलाकर पिएं। ज़्यादा से ज़्यादा पानी पिएं, इससे पेट साफ होगा और गैस नहीं बनेगी।

-प्याज के रस में काला नमक और हींग पीसकर व मिलाकर पीने से पेट की गैस और गैस का दर्द ठीक हो जाता है।
सेब के सिरके की दो चम्मच गुनगुने पानी में मिलाकर पीने से गैस में तुरंत राहत मिल जाती है।
चुटकी भर भुना जीरा, काला नमक और पुदीना छाछ में मिलाकर खाना खाने के बाद पीने से गैस की समस्या आमतौर पर नहीं उभरती।


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