Sunday, April 20, 2025
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एकाग्रता बढ़ाने के लिए अपनाएं यह आसन, होंगे कई फायदे

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉट कॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन है। आज के समय में बच्चों की सबसे बड़ी समस्या है पढ़ाई में ध्यान न लगना, याददाश्त कमजोर होना। बच्चों की इन समस्यों को दूर करने के लिए योग को अपना सकते हैं इससे न केवल मन प्रश्न रहेगा बल्कि सेहत भी अच्छी रहेगी। तो आइये जानते हैं तीन योगासन के बारे में…

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पश्चिमोत्तानासन

पश्चिमोत्तानासन मूल रूप से हठ योग की मुद्रा है। पश्चिमोत्तानासन, तनाव को दूर करने वाला आसन है। ये क्रोध और टेंशन को दूर करके दिमाग को शांत और एकाग्र करता है। इसका अभ्यास एक बार में 30-60 सेकेंड तक किया जा सकता है। इस आसन का फोकस पीठ की ओर अधिक होता है। आसन का अभ्यास खाली पेट और शौच जाने के बाद ही करें।

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ऐसे करें पश्चिमोत्तानासन

योग मैट पर दोनों पैरों को एकदम सीधे फैलाकर बैठ जाएं। दोनों पैरों के बीच में दूरी न हो और जितना संभव हो पैरों को सीधे रखें। गर्दन, सिर और रीढ़ की हड्डी को भी सीधा रखें। दोनों हथेलियों को दोनों घुटनों पर रखें। सिर और धड़ को धीरे से आगे की ओर झुकाएं। घुटनों को बिना मोड़े हाथों की उंगलियों से पैरों की उंगलियों को छुएं।

गहरी श्वास लें और धीरे से श्वास को छोड़ें। सिर और माथे को दोनों घुटनों से छूने की कोशिश करें। बांहों को झुकाएं और कोहनी से जमीन को छूने की कोशिश करें। श्वास को पूरी तरह छोड़ दें और इसी मुद्रा में कुछ देर तक बने रहें। कुछ सेकेंड के बाद वापस पहली वाली मुद्रा में आ जाएं। सामान्य रूप से श्वास लें और इस आसन को 3 से 4 बार दोहराएं।

उष्ट्रासन

उष्ट्रासन, आपकी पीठ और कंधों को मजबूत करता है और स्ट्रेच देता है। ये मुद्रा चक्रों को ठीक करने के साथ ही एकाग्रता और संतुलन स्थापित करता है। इसका अभ्यास कम से कम 30-60 सेकेंड के लिए करना चाहिए।

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ऐसे करें उष्ट्रासन

योग मैट पर घुटनों के बल बैठ जाएं। हाथ अपने हिप्स पर रख लेंं। घुटने और कंधे एक ही लाइन में हों। पैरों के तलवे छत की तरफ रहेंगे। सांस खींचते हुए रीढ़ की निचली हड्डी को आगे की तरफ जाने का दबाव डालें। इस दौरान पूरा दबाव नाभि पर महसूस होना चाहिए। कमर को पीछे की तरफ मोड़ें।

धीरे से हथेलियों की पकड़ पैरों पर मजबूत बनाएं। गर्दन को ढीला छोड़ दें। गर्दन पर बिल्कुल भी तनाव न दें। आसन को 30 से 60 सेकेंड तक बनाए रखें। सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे आसन को छोड़ दें और पुरानी अवस्था में लौट आएं।

वृक्षासन

वृक्षासन करने से एकाग्रता और समय अवधि एक साथ चलते हैं। हालांकि इस मुद्रा को करते समय एक पैर पर खड़ा होना पड़ता है। योगासन करने के दौरान अपनी आंखें खुली रखें और संतुलन बनाए रखने के लिए आगे रखी किसी वस्तु पर ध्यान केंद्रित करें। यह तंत्रिका तंत्र को शांत करता है और शरीर में शून्यता की स्थिति को दूर करता है।

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ऐसे करें वृक्षासन 

योग मैट पर सावधान की मुद्रा में सीधे खड़े हो जाएं। दोनों हाथ को जांघों के पास ले आएं। धीरे-धीरे दाएं घुटने को मोड़ते हुए उसे बायीं जांघ पर रखें। बाएं पैर को इस दौरान मजबूती से जमीन पर जमाए रखें। बाएं पैर को एकदम सीधा रखें और सांसों की गति को सामान्य करें। धीरे से सांस खींचते हुए दोनों हाथों को ऊपर की तरफ उठाएं।

दोनों हाथों को ऊपर ले जाकर ‘नमस्कार’ की मुद्रा बनाएं। दूर रखी किसी वस्तु पर नजर गड़ाए रखें और संतुलन बनाए रखें। रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। शरीर मजबूत के साथ ही लचीला भी रहेगा। गहरी सांसें भीतर की ओर खींचते रहें। सांसें छोड़ते हुए शरीर को ढीला छोड़ दें। धीरे-धीरे हाथों को नीचे की तरफ लेकर आएं। अब दायीं टांग को भी जमीन पर लगाएं। वैसे ही खड़े हो जाएं जैसे आप आसन से पहले खड़े थे। इसी प्रक्रिया को अब बाएं पैर के साथ भी दोहराएं।

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