Friday, July 4, 2025
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करोड़ों खर्च के बाद हालात बद से बदतर

  • गांव कैसे बने स्वच्छ और सुंदर
  • स्वच्छता के नाम पर करोड़ों खर्च के बाद भी गंदगी की समस्या जस की तस
  • स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए गए कूड़ा निस्तारण प्लांट
  • घर-घर कूड़ा उठाने के लिए नहीं हैं पैसा और कर्मचारी
  • सहयोग के लिए प्रति घर टैक्स की योजना भी नहीं कर रही काम

जनवाणी संवाददाता |

सरधना: गांवों को स्वच्छ और सुंदर बनाने का भारत सरकार का सपना परवान नहीं चढ़ पा रहा है। कूड़ा निस्तारण के लिए करोड़ों रुपये खर्च करके बनाए गए प्लांट संचालित होने का इंतजार कर रहे हैं। क्योंकि प्लांट संचालित करने के लिए ग्राम पंचायतों पर न तो पैस है और न ही कर्मचारी हैं। इस कारण गांवों में बने यह ठोस एवं तरल अवशिष्ट प्रबंधन प्लांट धूल फांक रहे हैं।

घर-घर कूड़ा उठाने के लिए लगाए जाने वाले टैक्स की योजना भी काम नहीं कर पा रही है। इस कारण करोड़ों खर्च के बाद भी गांवों में गंदगी की समस्या जस की तस बनी हुई है। प्रत्येक गांव में सड़क किनारे कूड़े के ढेर लगे देखे जा सकते हैं। यदि इस ओर कोई ठोस नीति लागू की जाए तो गांवों को स्वच्छ बनाया जा सकता है।

स्वच्छ भारत मिशन के तहत सरकार की योजना है कि प्रत्येक शहर से लेकर गांव-गांव स्वच्छ और सुंदर बनें। इसके लिए सरकार मोटे बजट पास करके ग्राम पंचायतों को पैसा भी जारी कर रही है। सफाई कराने से लेकर शौचालय बनाने तक पर फंड जारी हो रहे हैं। क्योंकि समय के साथ गांवों से भी बड़े स्तर पर कूड़ा निस्तारण की समस्या होने लगी है। इसको देखते हुए सरकार ने तय किया कि ग्राम पंचायतों में कूड़ा निस्तारण प्लांट लगवाए जाएं।

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ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के तहत घर-घर से कूड़ा उठवाकर मंगवाया जाए और उसका निस्तारण करें। इससे न केवल गांवों का कूड़ा निस्तारण होगा, बल्कि रोजगार के अवसर भी खुलेंगे। पिछले एक साल में प्रत्येक ब्लाक में यह प्लांट तैयार कराए गए। सरधना ब्लॉक की बात करें तो यहा 10 ग्राम पंचायत चिंहित की गई। जिनें से छह गांव में प्लांट तैयार हो गए हैं। दो गांव में प्लांट का काम जारी है।

वहीं बाकी दो गांव में भूमि नहीं मिल पा रही है। प्रत्येक प्लांट को तैयार करने की अनुमानित लागत करीब 10 लाख रुपये है। अब यह प्लांट बनकर तो तैयार हो गए हैं। मगर किसी काम के नहीं हैं। क्योंकि प्लांट तक कूड़ा की नहीं पहुंच रहा है। घर-घर से कूड़ा उठाने के लिए कर्मचारी लगाए जाने हैं। उनके वेतन की व्यवस्था ग्राम पंचायत को खुद प्रत्येक घर पर टैक्स लगाकर करनी है। मगर गांव में कोई टैक्स देने को तैयार नहीं है।

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यही कारण है कि यह प्लांट किसी काम के नहीं हैं। करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी प्लांट संचालित नहीं हो रहे हैं। यानी गांव में गंदगी की समस्या जस की तस है। प्रत्येक गांव के बाहरी छोर पर या तालाबों के आसपास कूड़े के ढेर देखे जा सकते हैं। कुल मिलाकर इस स्थिति में सरकार की यह योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है। यदि इस कोर कोई ठोस योजना बनाई जाए तो शायद गांवों को स्वच्छ व सुंदर बनाया जा सकता है।

स्वयं सहायता समूह को मिलेगा काम

लांट तैयार होने से न केवल गांवों की गंदगी खत्म होगी। बल्कि रोजगार के अवसर खुलेंगे। प्लांट में प्लास्टिक, पॉलिथीन, गोबर, सब्जी-फल के अवशेष आदि को अलग करके निस्तारण किया जाएगा। गीले कूड़े से खाद बनाई जाएगी। वहीं प्लास्टि, पॉलिथीन व बोतल आदि को भी अलग करके बेचा जाएगा। जिससे ग्राम पंचायत की आय बढ़ेगी। प्लांट से बनने वाले पैसे से ही स्वयं सहायता समूह को प्रतिशत के रूप में मुनाफा दिया जाएगा।

सरधना के इन गांवों में बने प्लांट

सरधना ब्लॉक की बात करें तो यहा दस ग्राम पंचायत चिंहित की गई है, जिनमें ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के प्लांट बनने हैं। इनमें ग्राम पंचायत सरधना देहात, सलावा, रार्धना, कैली, कपसाड़ व कुशावली में प्लांट बनकर तैयार हो चुके हैं। वहीं खेड़ा व दादरी गांव में प्लांट के निर्माण का कार्य चल रहा है। इसके अलावा रुहासा व सकौती गांव में प्लांट लगाने के लिए अभी तक भूमि नहीं मिल पाई है।

ग्राम पंचायत को खुद लगाने हैं कर्मचारी

इस योजना में सबसे बड़ी समस्या यहीं आ रही है कि ग्राम पंचायत को घर-घर से कूड़ा उठवाने के लिए अपने स्तर से कर्मचारी लगाने हैं। व्यवस्था को लागू करने के लिए प्रत्येक घर पर सुविधा अनुसार टैक्स लगाया जाना है। टैक्स के पैसे से कर्मचारियों को वेतन दिया जाना है। मगर गांवों में टैक्स देने के लिए कोई राजी नहीं है।

सरधना ब्लॉक की दस ग्राम पंचायत में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के प्लांट बनने हैं। 6 गांव में प्लांट तैयार हो चुके हैं। बाकि में काम चल रहा है। घर-घर से कूड़ा उठाने के लिए ग्राम पंचायत को अपने स्तर से कर्मचारी लगाने हैं। उम्मीद है कि जल्द प्लांट संचालित होने लगेंगे। -सुनील कुमार, एडीओ सरधना

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