- प्रशासनिक कार्रवाई से नाराज पुत्र घंटे चढ़ा रहा टावर पर
- साथी युवक, ग्रामीणों के समझाने के बाद टावर से नीचे उतरा
जनवाणी संवाददाता |
हस्तिनापुर: वन विभाग की कार्रवाई से क्षुब्ध आत्मदाह करने वाले हस्तिनापुर थाना क्षेत्र के गांव अलीपुर मोरना गांव के किसान का पुत्र भी शनिवार को अधिकारियों की कार्रवाई से नाराज नजर आया। आत्मदाह करने वाले पिता को इंसाफ नहीं मिला तो पुत्र भी आत्महत्या करने के लिए टावर पर जा चढ़ा।
घंटे बाद ग्रामीणों के समझाने पर और प्रशासन द्वारा पिता को इंसाफ दिलाने के आश्वासन पर ग्रामीण युवक ने किसान के पुत्र को नीचे उतारा। शनिवार को प्रशासनिक अधिकारी परिजन और ग्रामीणों को समझने के लिए राज्यमंत्री दिनेश खटीक के साथ गांव पहुंचे। राज्य मंत्री दिनेश खटीक परिजन और ग्रामीणों को समझने के बाद वापस लौटे
तो किसान जगबीर का दो वर्षीय पुत्र आकाश गांव स्थित बीएसएनएल के टावर पर जा चढ़ा। ग्रामीण और प्रशासनिक अधिकारियों को सूचना मिली तो हड़कंप मच गया। आनन-फानन में सैकड़ों ग्रामीण और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और युवक को समझने का प्रयास किया। जानकारी के बाद साथी युवक विपिन और विकास भी आकाश के टावर पर चढ़ने की जानकारी मिलने के बाद समझने के लिए टावर पर चढ़ गए। दोनों युवक और ग्रामीणों के समझाने के बाद आकाश लगभग एक घंटे बाद टावर से नीचे उतरा।
आखिर क्यों नहीं लगाई गई सुरक्षा?
पूर्व में टावर पर चढ़ने की घटना के मद्देनजर किसी का ध्यान गांव स्थित तीन टावरों पर नहीं गया, जबकि गांव निवासी ही एक किसान अपनी मांगों को लेकर कई बार आत्महत्या के लिए गांव स्थित टावर पर चढ़ चुका है। टावर पर कोई सुरक्षा नहीं लगाई गई। जिसके चलते प्रशासनिक कार्रवाई से क्षुब्ध होने के बाद किसान का पुत्र पिता को इंसाफ दिलाने के लिए गांव स्थित बीएसएनएल के टावर पर चढ़ा। गमीनत रही कि ग्रामीणों की समझाने पर युवक लगभग एक घंटे बाद नीचे उतर आया।
मचान बनाकर खेत पर रहता था जगबीर
किसान जगबीर सालों से वन आरक्षित क्षेत्र के समीप स्थित खेतों पर सालों से मचान बनाकर रहता था। आसपास के किसानों का कहना है कि जगबीर मचान पर रहकर खेतों की रखवाली करता था। मचान बनाकर सालों से खेत पर रहने के चलते जगबीर का जुड़ाव अपनी भूमि से अधिक था। गुरुवार को हुई वन विभाग की कार्रवाई से जगबीर एकदम टूट गया और एसडीएम कार्यालय के बाहर पहुंचकर खुद को आपके हवाले कर दिया। वन आरक्षित जंगल होने के चलते विभागीय अधिकारियों के रसूख से क्षेत्र की जनता डरती है।
वन विभाग के अधिकारी आए दिन सेंचुरी क्षेत्र बता किसानों के साथ सरकारी कार्यों में भी बाधा खड़ी कर देते हैं। वन विभाग की कार्रवाई से क्षुब्ध किसान के आत्मदाह करने से पूर्व वन विभाग की कार्रवाई खादर क्षेत्र के सैकड़ों किसानों को भूखे मरने की लिए छोड़ दिया। भीमकुंड गंगा पर बने पुल का निर्माण कार्य 2007 में शुरू हुआ, लेकिन वन विभाग की रोक के चलते एक दशक के बाद पूरा हो सका। ऐसे अन्य सैकड़ों मामले हैं।
जिनमें वन विभाग की कार्रवाई लोगों की जान पर बन आती है। हाल ही में वन विभाग के खिलाफ खादर क्षेत्र के किसानों ने भीमकुंड गांव के समीप जाम लगा दिया था। पीड़ित किसान की माने तो दोष महज चलती बाइक से खाद का कट्टा वन विभाग की गाड़ी के आगे गिरना था। जो वन विभाग के अधिकारियों को नागवार गुजरा और उसकी पिटाई कर दी थी।