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कांग्रेस के फायर ब्रांड नेता हार्दिक पटेल के सितारे इन दिनों गर्दिश में है। पाटीदारों के सबसे बड़े नेताओं में शुमार हार्दिक पटेल को उन्हीं की पार्टी ने दरकिनार कर दिया है। हार्दिक पटेल कांग्रेस की गुजरात यूनिट की कार्यशैली से खुश नहीं हैं। हार्दिक पटेल ने यह भी कहा है कि उन्हें स्टेट यूनिट में दरकिनार किया जा रहा है।
हार्दिक पटेल ने कहा है कि पार्टी नेतृत्व उनकी क्षमताओं का उपयोग करने की इच्छुक नहीं है। हार्दिक पटेल साल 2015 में भडके पाटीदार आंदोलन को लेकर चर्चा में रहे हैं। गुजरात में पाटीदार समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत आरक्षण देने की मांग को लेकर चलाए गए आंदोलन की उन्होंने अगुवाई की थी। हार्दिक पटेल ने पाटीदार नेता नरेश पटेल को कांग्रेस में शामिल कराने में हो रही देरी को लेकर भी पार्टी के नेतृत्व पर सवाल खड़ा किया है।
हार्दिक पटेल ने दावा किया कि पाटीदार आरक्षण आंदोलन ने 2015 के स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस को अच्छी सं?या में सीट जीताने में मदद दी. उन्होंने कहा कि आंदोलन के चलते 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को राज्य की 182 सीटों में से 77 सीटों पर जीत मिली। हार्दिक पटेल ने कहा, ‘इसके बाद क्या हुआ? कांग्रेस में भी कई लोग यह महसूस करते हैं कि 2017 के बाद पार्टी द्वारा हार्दिक का उचित उपयोग नहीं किया गया। ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि पार्टी में कुछ लोग सोचते होंगे कि आज अगर मुझे महत्व दिया गया तो मैं पांच या 1० साल बाद उनके रास्ते में आ जाऊंगा।’
देखा जाये तो राहुल गांधी ने हार्दिक पटेल को कभी वैसा भाव नहीं दिया जिसके वो हमेशा ही हकदार रहे जबकि हार्दिक पटेल की वजह से कांग्रेस को 2017 के गुजरात चुनाव में काफी फायदा हुआ था हालांकि उसके पीछे हार्दिक पटेल का अकेला ही योगदान नहीं था। हार्दिक पटेल के साथ साथ अल्पेश ठाकोर और युवा दलित नेता जिग्नेश मेवाणी की भी बड़ी भूमिका रही। एक दौर रहा है जब हार्दिक पटेल भी गुजरात के अरविंद केजरीवाल ही लगते थे। पाटीदार आंदोलन का नेतृत्व कर हार्दिक पटेल ने गुजरात में सत्ताधारी भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी थी।
ये पाटीदार आंदोलन ही था जिसके चलते तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल को कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। उसके छह महीने बाद ही चुनावों में बीजेपी ने बहुमत तो हासिल कर लिया लेकिन सीटों की संख्या सौ तक भी नहीं पहुंच सकी थी। तब हार्दिक पटेल जैसे युवा नेताओं की बदौलत ही राहुल गांधी का नया अवतार दर्ज किया जाने लगा था और उसी का नतीजा रहा कि गुजरात के साल भर बाद मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ चुनावों में कांग्रेस को मिली जीत का पूरा क्रेडिट राहुल गांधी को मिला था।
गुजरात चुनाव में प्रदर्शन से उत्साहित राहुल गांधी ने नतीजे आने से पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष का पद भी संभाल लिया था।कांग्रेस ज्वाइन करने के तीन साल बाद हार्दिक पटेल के भीतर का दर्द सामने आ गया है लेकिन बड़ी होशियारी से वो कांग्रेस नेतृत्व पर पाटीदारों के अपमान करने का भी आरोप लगा दे रहे हैं। समझना यह जरूरी है कि अगर कांग्रेस का रवैया नहीं बदला तो हार्दिक पटेल क्या कदम उठाते हैं?
हार्दिक पटेल ने विधानसभा चुनावों के ठीक पहले जो कहा है। वो काफी महत्वपूर्ण है। गुजरात कांग्रेस में मेरी हालत उस दूल्हे जैसी है जिसकी शादी के बाद नसबंदी करा दी गई हो। हार्दिक पटेल को कांग्रेस ने 2020 में गुजरात का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था।
हार्दिक पटेल ने 2019 के आम चुनावी को देखते हुए कांग्रेस ज्वाइन की थी लेकिन वो चुनाव नहीं लड़ सके थे क्योंकि 2015 के हिंसा के मामले में उनको सजा हो गयी थी। पाटीदार समुदाय को संदेश देने के लिए कांग्रेस नेतृत्व ने हार्दिक पटेल को गुजरात कांग्रेस में पदाधिकारी तो बना दिया लेकिन प्रभावी लाबी ने धीरे धीरे दरकिनार कर दिया।
हार्दिक पटेल ऐसी नाराजगी तो पहले भी जताते रहे हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत से हि?मत काफी बढ़ी हुई लगती है। हार्दिक पटेल का कहना है, ‘मुझे प्रदेश कांग्रेस कमेटी की किसी भी बैठक में नहीं बुलाया जाता। कोई फैसला लेने से पहले वो मेरी राय भी नहीं लेते। तब इस पद का क्या मतलब है।’
हार्दिक पटेल ऐसे समय कांग्रेस नेतृत्व को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं जब नरेश पटेल के कांग्रेस ज्वाइन करने की खबर आ रही है। खोडलधाम ट्रस्ट के मुखिया नरेश पटेल पाटीदारों के लेउवा समाज से आते हैं जबकि हार्दिक पटेल कड़वा। नरेश पटेल के साथ प्लस प्वाइंट यह है कि उनकी दोनों ही समाज में अच्छी पैठ है। माना जा रहा है कि नरेश पटेल कांग्रेस ज्वाइन कर लेते हैं तो पार्टी को सौराष्ट्र और कच्छ की 50 से ज्यादा सीटों पर फायदा मिल सकता है।
नरेश पटेल के पहले आम आदमी पार्टी में जाने की संभावना जतायी जा रही थी। कहा तो यहां तक जाने लगा था कि नरेश पटेल को अरविंद केजरीवाल पंजाब से राज्य सभा भी भेज सकते हैं लेकिन राज्य सभा चुनावों के साथ ही ये कहानी खत्म सी हो गयी। जो पेंच फंसा होगा, वो इतना आसान भी नहीं होगा कि विधानसभा चुनाव से पहले कोई और रास्ता निकाला जा सके।
हार्दिक पटेल का कहना है कि नरेश पटेल के बारे में कोई फैसला न लेकर कांग्रेस पाटीदार समाज का अपमान कर रही है हालांकि, गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष जगदीश ठाकोर का कहना है कि पार्टी की तरफ से कोई रुकावट नहीं है. मतलब, अगर कहीं कोई बात फाइनल नहीं हो पा रही है तो वो नरेश पटेल की तरफ से ही है।
नरेश पटेल का कांग्रेस ज्वाइन करना हार्दिक पटेल के लिए कोई खुशी की वजह तो नहीं लगती, लेकिन वो राजनीतिक फायदा उठाने का कोई मौका भी नहीं छोड़ रहे हैं। हार्दिक पटेल अपने बाद नरेश पटेल को भी कांग्रेस के इस्तेमाल करने का शक जता रहे हैं। हार्दिक की बातों से यही लगता है कि वो मान चुके हैं कि कांग्रेस ने पाटीदार नेताओं का इस्तेमाल तो खूब किया लेकिन कभी विश्वास नहीं किया।
हार्दिक पटेल का कहना है, ‘मैं टीवी पर देख रहा हूं। कांग्रेस 2022 चुनाव के लिए नरेश पटेल को पार्टी में लाना चाहती है। मैं उम्मीद करता हूँ कि वो 2027 चुनावों के लिए कोई और पटेल न खोजें। कांग्रेस उन लोगों का इस्तेमाल ही क्यों नहीं करती जो पार्टी में हैं?’
कांग्रेस में अगर हार्दिक पटेल का यही हाल रहा या नरेश पटेल के कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद मुश्किलें बढ़ी तो वे क्या करेंगे? भाजपा विरोध के साथ तो उनकी राजनीति ही शुरू हुई है। और अब हार्दिक पटेल का पहले की तरह असर भी नहीं रहा कि वो अपनी पार्टी खड़ी कर सकें। ऐसे में हार्दिक पटेल के सामने एक ही विकल्प नजर आता है – आम आदमी पार्टी।
2017 के विधानसभा चुनावों से पहले कई बार ऐसा लगा कि हार्दिक पटेल और अरविंद केजरीवाल हाथ मिला सकते हैं । बात शायद इसलिए भी नहीं बन पायी क्योंकि हार्दिक पटेल कांग्रेस के साथ भी डील कर रहे थे। राहुल गांधी से मुलाकात भी हुई थी लेकिन हार्दिक पटेल की हाई डिमांड कांग्रेस नेतृत्व को मंजूरी नहीं थी। 2016 में अरविंद केजरीवाल और हार्दिक पटेल को ट्विटर पर एक दूसरे का सपोर्ट करते भी देखा गया था।
तब देखने में आया था कि अरविंद केजरीवाल, हार्दिक पटेल की हर पोस्ट वे रीट्वीट करते थे जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या अमित शाह से जुड़ी होती थी।यहां तक कि जब हार्दिक पटेल ने ट्विटर पर अपने फेसबुक पेज का लिंक शेयर किया था और अपना आफिशियल पेज बताते हुए लाइक करने को कहा, उसे भी अरविंद केजरीवाल ने रीट्वीट किया – क्या ये सब फिर से होने वाला है?
अशोक भाटिया
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