Monday, February 17, 2025
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24 करोड़ के भूमि घोटाले में दो की अग्रिम जमानत खारिज

  • यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के सीईओ समेत दो दर्जन से अधिक आरोपी
  • एंटी करप्शन कोर्ट का मदनपाल और नीरव तोमर को जमानत से इंकार

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: एंटी करप्शन कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पवन कुमार शुक्ला ने यमुना एक्सप्रेस वे के लिये ली गई हाथरस के ग्राम मिधावली में 23 करोड़ 92 लाख 41 हजार 724 रुपये कीमत के जमीन घोटाले दो आरोपियों मदन पाल और नीरव तोमर को अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया।

यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण के सीईओ पीसी गुप्ता, सतीश कुमार अपर सीईओ समेत दो दर्जन से अधिक लोग आरोपी बनाए गए थे। मुख्य कार्यपालक अधिकारी, यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण की आख्या का अवलोकन करने के उपरान्त अध्यक्ष यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण द्वारा पाया गया कि जनपद हाथरस के ग्राम मिधावली में एक्सप्रेस वे प्राधिकरण द्वारा उपरोक्त वर्णित जमीन खरीदी गई।

जिसके सम्बन्ध में कुल 16,15,28,032 रुपये और यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी पीसी गुप्ता व अन्य अधिकारियों तथा इनके जानने वाले रिश्तेदारों, दलालों का अन्य सम्बन्धित जानकारो के साथ मिलकर षडयन्त्र के तहत पूर्व नियोजित तरीके से बिना किसी जरूरत / उपयोग के भूमि यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण के लिये खरीदी गई तथा प्राधिकरण को एक बड़ी वित्तीय हानि पहुंचाई गई

जो कि शासकीय धन के दुरूपयोग तथा शासकीय कर्मचारियों द्वारा किये गये भ्रष्टाचार को प्रमाणित करता है। इसमें तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी पीसी गुप्ता व अन्य द्वारा बाहरी व्यक्तियों व इनके रिश्तेदार, जानने वाले तथा दलालों के साथ दुरभि संधि करके ग्राम मिधावली में जगह-जगह किसानो से भूमि खरीदवाई गयी तथा फिर उस जमीन को यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण द्वारा आपसी सहमति के आधार पर निर्धारित दर से अधिक दर पर खरीद लिया गया।

उल्लेखनीय है कि प्रश्नगत भूमि पर आज तक न तो प्राधिकरण का कोई कब्जा है और न ही इस पर कोई योजना बनाई गयी है। तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी एवं अन्य अधिकारियों तथा बाहरी व्यक्तियों, जिनके पते दिल्ली, गाजियाबाद, बुलन्दशहर, आगरा इत्यादि के है, ने यह भूमि ग्राम के मूल काश्तकारों से पूर्व नियोजित तरीके से अत्यन्त कम मूल्य पर क्रय की तथा फिर उसी भूमि को प्राधिकारण को पूर्व नियोजित षडयन्त्र कर निर्धारित दरों से अधिक दरों पर विक्रय किया गया तथा प्राधिकरण को 23,98,41,724 /- रुपये ब्याज सहित सभी ने मिलकर गलत रूप से आर्थिक लाभ प्राप्त किया।

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