Tuesday, July 8, 2025
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Karwa Chauth 2024: इस समय रहेगा करवा चौथ पर भद्रा का साया,भूलकर भी व्रत के दौरान न करें ये काम

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है।सनातन धर्म में अनेक त्योहार होते है और का अपना खास महत्व होता है। इनमें से एक है करवा चौथ का पर्व। इस पर्व में सुहागिन महिलाएं व्रत रखती है। इस दिन निर्जला व्रत रख सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं। यह व्रत शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही खुलता हैं। इस वर्ष करवा चौथ 20 अक्तूबर को मनाया जाएगा।

इस दौरान करवा माता, भगवान गणेश और चंद्रमा की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। इस साल करवा चौथ पर भी भद्रा का साया रहेगा। ऐसे में आइए जानते हैं इस दौरान सुहागिनों को किन कार्यो को नही कर

भद्रा का समय

भद्राकाल को अशुभ घड़ी माना जाता है। कहा जाता है कि भद्रा शुभ कार्यों में बाधा उत्पन्न करती है। इस वर्ष करवा चौथ पर 20 अक्तूबर को 21 मिनट तक भद्रा का साया रहेगा। करवा चौथ के दिन पूजा का शुभ समय 20 अक्तूबर 2024 को शाम 5:46 बजे से शुरू हो रहा है। यह शुभ मुहूर्त 19:02 तक रहेगी। करवा चौथ के दिन भद्रा सुबह 06:24 से 06:46 तक रहती है। करवा चौथ व्रत की शुरुआत भद्रा काल शुरू होने से पूर्व ही हो जाएगी। ऐसे में व्रती सूर्योदय से पहले स्नान कर सरगी ग्रहण कर लें और व्रत का संकल्प ले लें।

व्रत के दौरान न करें ये काम

  • करवा चौथ व्रत वाले दिन सुहागिनें अपने श्रृंगार में सफेद और काले रंग की वस्तु का प्रयोग न करें। सुहागिन महिलाएं यदि करवा चौथ पर इन रंगों का उपयोग करती हैं तो उनके जीवन में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ सकता है।
  • भद्रा काल के दौरान कोई संपत्ति या व्यापार की शुरुआत या निवेश न करें।
  • करवा चौथ पर पूजा के बाद जब भी कोई श्रृंगार की वस्तु बच जाती हैं, तो उसे इधर उधर न फेंकें, बल्कि उसे किसी पवित्र नदी में प्रवाहित करें।
  • इस दिन धारदार चीजों के इस्तेमाल से बचें। साथ ही किसी से कोई भी मनमुटाव न रखें और अपशब्द न कहें।
  • व्रत पारण करने के बाद तामसिक भोजन ग्रहण न करें।

महिलाएं करें ये काम

हालांकि करवा चौथ की पूजा के समय भद्रा नहीं है फिर भी यदि महिलाओं को भद्रा का भय सता रहा है वो नीचे दिए गए मंत्र का जाप कर सकती हैं।

धन्या दधमुखी भद्रा महामारी खरानना।
कालारात्रिर्महारुद्रा विष्टिश्च कुल पुत्रिका।
भैरवी च महाकाली असुराणां क्षयन्करी।
द्वादश्चैव तु नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्।
न च व्याधिर्भवैत तस्य रोगी रोगात्प्रमुच्यते।
गृह्यः सर्वेनुकूला: स्यर्नु च विघ्रादि जायते।

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