Friday, March 29, 2024
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जलवायु परिवर्तन का पक्षियों पर बुरा असर

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Samvad


Ali khan 1जलवायु परिवर्तन के चलते होने वाले नुकसान का अधिकांश आकलन इंसानों और उनसे संबंधित प्रक्रियाओं को केंद्र में रखकर होता रहा है। लेकिन पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों पर होने वाले प्रभावों पर कम ही शोध हुए हैं। इस विषय पर हुए एक नए अध्ययन से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन का पक्षियों की छोटी व स्थानीय प्रजातियों की तुलना में बड़े और प्रवासी पक्षियों पर अधिक चिंताजनक प्रभाव पड़ता है। बता दें कि इस अंतरराष्ट्रीय अध्ययन के शोधकर्ताओं ने सभी महाद्वीपों में पक्षियों की 104 प्रजातियों की 201 मादा पक्षियों में 1970 से 2019 यानी पिछले 50 वर्षों के दौरान वार्षिक प्रजनन में आए बदलाव का आकलन किया है। शोधकतार्ओं ने पाया कि जलवायु परिवर्तन पक्षियों की प्रजातियों के पारिस्थितिकी और जीवन इतिहास लक्षणों पर मिश्रित प्रभाव के माध्यम से संतानोत्पत्ति को प्रभावित करता हैं।

उल्लेखनीय है कि इस अध्ययन के निष्कर्ष प्रोसीडिंग्स आॅफ द नेशनल एकेडमी आॅफ साइंसेज यानी पीएनएएस पत्रिका में प्रकाशित किए गए हैं। शोध के मुताबिक, हाल के दशकों में औसत संतानोत्पत्ति में गिरावट आई है। 56.7 फीसदी आबादी में गिरावट की प्रवृत्ति देखी गई, तो वहीं 43.3 फीसदी में वृद्धि देखी गई है। हालांकि प्रजातियों और आबादी के बीच काफी अंतर पाया गया है।

शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रवासी और बड़े शरीर वाली प्रजातियों ने चूजों को पालने की अवधि के दौरान बढ़ते तापमान के साथ संतान उत्पादन में कमी का अनुभव किया, जबकि छोटे शरीर वाली, गतिहीन प्रजातियों में अधिक संतान पैदा करने की प्रवृत्ति थी।

शोधकर्ताओं ने कहा कि इसके अलावा ज्यादा अंडे सेने वाली प्रजातियों ने बढ़ते तापमान के साथ प्रजनन में वृद्धि देखी है, जबकि बढ़ते तापमान में एक बार में एक अंडे देने वाले पक्षियों की प्रजातियों में प्रजनन दर में वृद्धि नहीं पायी गई। अध्ययन में बताया गया है कि क्लच का आकार (प्रति घोंसले में अंडों की संख्या) और सफलता (अंडों से बाहर निकले बच्चे और चूजे) विभिन्न पारिस्थितिकीय कारकों से सकारात्मक रूप से प्रभावित होते हैं।

कहा जा सकता है कि बाहरी वातावरण पक्षियों के प्रजनन की क्षमता को प्रभावित करने के साथ ही साथ समायोजन में समस्या पैदा करता है। लिहाजा, पक्षियों पर जलवायु परिवर्तन का संकट किसी बड़ी चुनौती से कम आंकना खतरनाक साबित हो सकता है। पक्षियों की आबादी के गड़बड़ाने से पारिस्थितिक तंत्र पर बुरा प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। ऐसे में समय रहते जलवायु परिवर्तन के कारणों पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है।

हमें यह समझने की आवश्यकता है कि पक्षियों के बगैर प्रकृति का संतुलन बिगड़ना तय है। आम-आदमी के मस्तिष्क में इस सवाल का कौंधना स्वाभाविक है कि आखिर ये पक्षी हमारे पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में कैसे मददगार है? मालूम हो कि स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए ये अत्यंत आवश्यक हैं। मानव समाज में पक्षियों का हमेशा से एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है।

वे हमें भोजन, औषधि, उर्वरक और मधुर गीत प्रदान करते हैं। इसके साथ-साथ मनोरंजन के विभिन्न स्रोतों के रूप में भी उनका उपयोग किया जाता है और वे हानिकारक फसल कीटों को नष्ट कर जैव नियंत्रण में भी हमारी सहायता करते हैं।
पर्यावरण संतुलन को ध्यान में रखते हुए यदि हम सोचें तो मानव जीवन में पक्षियों का बहुत बड़ा महत्त्व है।

आकाश में उडते हुए ये पक्षी पर्यावरण की सफाई के बहुत बड़े प्राकृतिक साधन हैं। पक्षी हमारे लिए प्रकृति की ऐसी देन हैं जो उनके समस्त कीटों, जीवों तथा प्रदूषण फैलाने वाली वस्तुओं का सफाया करते रहते हैं जो धरती पर मानव जीवन के लिए खतरा उत्पन्न कर सकते हैं।

कीट, कीटाणुओं तथा प्रदूषण युक्त वस्तुओं को खाकर मानव जीवन के लिए उपयोगी वनस्पतियों की रक्षा करते हैं। ऐसे में पक्षियों का न रहना अथवा लुप्त हो जाना किसी बड़े संकट जैसा है। जहां विगत वर्षों में मनुष्य जाति की संख्या बढी हैं, वहीं पर पक्षियों की संख्या दिनोंदिन घटती जा रही है। जो वाकई बेहद चिंताजनक है।

पक्षी पोषक तत्त्वों के चक्रण, पौधों के परागण और बीजों के प्रसार या स्थानांतरण में सहायक होते हैं। इसके अतिरिक्त ये मृदा संरचना को बनाए रखने, उर्वरता में सुधार करने तथा अन्य जीवों की जनसंख्या को नियंत्रित करने में बड़ी महती भूमिका निभाते हैं। पर्यावरण की सफाई में भी इनकी महती भूमिका है। ये मृत और जैविक अपशिष्टों के विघटन में सहायक होते हैं।

विघटन की प्रक्रिया के बिना बीमारियों का प्रसार तेजी से होने के साथ-साथ कई जैविक-चक्र भी प्रभावित होंगे। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि हमारी पारिस्थितिक तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में पक्षियों का बड़ा ही महत्त्वपूर्ण योगदान है।

इनके बिना पारिस्थितिक तंत्र को स्वच्छ रखा जाना काफी मुश्किल होगा। जैव-विविधता के लिहाज से भी पक्षियों की उपस्थिति बेहद जरूरी है। ऐसे में जलवायु परिवर्तन को रोकने की दिशा में बड़ी तेजी के साथ कदम बढ़ाने की आवश्यकता है, ताकि जैव विविधता और पारिस्थितिकी संतुलन को बरकरार रखा जा सके।


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