Thursday, January 16, 2025
- Advertisement -

सराफों को बंगाली कारीगर दे रहे धोखा

  • लाखों का सोना लेकर बंगाली कारीगर गायब, मौके पर पहुंचते-पहुंचते इंस्पेक्टर ने कर दी शाम
  • सोना लेकर भागने की घटनाओं की बड़ी संख्या पुलिस को नहीं दी सूचना
  • शाहीखर्चे, सट्टे की लत और क्रिकेट पर दांव की लत सारे फसाद की जड़
  • बुलियन ट्रेडर्स ने पुलिस को थमाई अनसुलझी वारदातों की सूची

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: शहर सराफा बाजार से मंगलवार को लाखों रुपये कीमत का सोना लेकर एक बंगाली कारीगर फिर से गायब हो गया है। आए दिन होने वाली सोना लेकर भाग जाने की घटनाओं से सराफा बाजार के कारोबारी दहशत में हैं। एक अपुष्ट जानकारी के अनुसार करीब एक दशक में शहर सराफा कारोबारियों को इस प्रकार की घटनाओं से एक अरब का झटका लग चुका है।

बड़ी संख्या में ऐसे घटनाएं हैं जिनमें कारोबारियों ने बजाय पुलिस को खबर करने के नुकसान उठाना मुनासिब समझा। वहीं, दूसरी ओर आज की घटना की यदि बात की जाए तो लाखों का सोना लेकर भागने की खबर थाना देहलीगेट पुलिस को सुबह दी गयी थी और इंस्पेक्टर को कारोबारियों को पहुंचने का वक्त देर शाम मिला। इससे जाहिर की सोना लेकर भागने की वारदातों को थाना देहलीगेट पुलिस कितनी गंभीरता से ले रही है।

ये है पूरा मामला

मेरठ बुलियन ट्रेडर्स एसोसिएशन के महामंत्री विजय आनंद अग्रवाल ने बताया कि संजू मांझी नामक बंगाली शहर सराफा बाजार स्थित नील की गली से कई लोगों का सोना लेकर फरार हो गया है। इसमें धीरज वर्मा, कच्ची सराय वालों का 13 लाख रुपये का सोना है। एक और व्यक्ति का साढ़े चार लाख रुपये का सोना है। फारुक नामक कोलकाता मार्केट वालों का 1.45 लाख का सोना है। इस तरह लगभग 20 लाख रुपये के सोने का दावा करने वाले लोग सामने आ चुके हैं। विजय आनंद अग्रवाल ने बताया कि लोगों को भी जैसे ही पता चलेगा वह भी सामने आएंगे। घटना की जानकारी थाना देहलीगेट पुलिस को दी गयी है।

मजदूरी पर करता था काम

बताया गया है कि संजू मांझी नाम का जो कारीगर बाजार के कारोबारियों का सोना लेकर भागा है, वह काफी समय से मजदूरी पर सोने के आभूषण बनाने का काम कर रहा था। दरअसल, मार्केट के ज्यादातर कारोबारी बाजार के सोने के आभूषण मजदूरी पर बनाने वाले कारीगरों को जिनमें बंगाल और महाराष्ट्र के कारीगर हैं अपना सोना देकर बनवाते हैं। शहर और सदर सराफा बाजार में इसी प्रकार की रिवायत दशकों से चली आ रही है, लेकिन कारीगरों के सोना लेकर भागने की परंपरा ज्यादा पुरानी नहीं, करीब 20 साल से शहर सराफा मार्केट में कारोबारियों का सोना लेकर भागने की घटनाएं सामने आ रही हैं, लेकिन अब इस प्रकार के मामले कुछ ज्यादा ही सामने आ रहे हैं।

10 4

कारोबारियों में गम व गुस्सा

सोना लेकर भागने की घटनाओं को लेकर आम कारोबारियों में जबरदस्त गम और गुस्सा है। पूर्व में भी थाना दिल्ली गेट, थाना कोतवाली, थाना सदर में इस प्रकार के सोना लेकर भागने के काफी मुकदमे दर्ज हैं, लेकिन कार्रवाई लंबित है। इस तरह से बंगालियों का सोना लेकर भागने का क्रम और हौसला बढ़ता जा रहा है। व्यापारियों में इस घटना को लेकर बहुत रोष है। और वह इसके लिए आंदोलन की राह पर जा सकते हैं।

बहुत देर कर दी मेहरबां आते-आते

कारीगर संजू माझी के लाखों का सोना लेकर भागने की वारदात की सूचना पीड़ितों की ओर से बाजार खुलते ही थाना देहलीगेट पुलिस को दी गयी थी, लेकिन इंस्पेक्टर देहलीगेट को बाजार में पहुंचने का वक्त देर शाम मिला। इंस्पेक्टर देहलीगेट देर शाम को मेरठ बुलियन ट्रेडर्स एसोसिएशन के महामंत्री विजय आनंद अग्रवाल के प्रतिष्ठान पर पहुंचे।

वहीं पर तमाम पीड़ित कारोबारी जिनका सोना लेकर संजू मांझी भाग गया है, वो भी पहुंचे हुए थे। विजय आनंद ने पुलिस से दो टूक कह दिया है कि हर हाल में घटना का खुलासा किया जाना चाहिए। आए दिन वारदातें हो रही हैं। कारोबारियों में गम और गुस्सा है। कुछ इस प्रकार के उपाय किए जाए ताकि घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके।

10 साल में करीब 100 करोड़ का फटका

सोना लेकर भागने की घटनाओं के चलते बीते एक दशक से ज्यादा के वक्त में महानगर के सराफा कारोबारियों को करीब एक अरब यानि 100 करोड़ का फटका अब तक लग चुका है। जानकारों की मानें तो कारीगरों के सोना लेकर भागने की घटनाओं की संख्या काफी ज्यादा है। जिनमें पीड़ित सराफ बजाय पुलिस को सूचना देने के चुप्पी साध लेते हैं।

इसके पीछे बड़ी वजह पीड़ित का यह सोच लेना बताया जाता है कि माल तो बरामद होगा नहीं, दूसरे थाना पुलिस व कोर्ट कचहरी के चक्कर और काटने होंगे। कई ऐसे भी मामले सुनने में आए हैं। जिनमें कोई कारीगर किसी सराफ का सोना लेकर भाग गया और बाद में पंचों ने दोनों के बीच समझौता करा लिया।

ऐसे होता है समझौता

बताया जाता है कि जब किसी सर्राफ का सोना लेकर कारीगर भाग जाता है तो बाजार के कुछ दूसरे सर्राफ कारोबारी और कारीगर मिलकर किसी प्रकार सोना लेकर भागने वाले के ठिकाने तक पहुंचते हैं। वहां उस पर दबाव बनाया जाता है उसके पास जो सोना होता है वो ले लिया जाता है। इसके अलावा जहां-जहां सोना उसके द्वारा ठिकाने लगाया जाता है। वहां से पुलिस व कोर्ट कहचरी का डर दिखाकर सोना बरामद करा जाता है। बताया जाता है कि जितनी बरामदगी हो जाती है, ठीक है बाकी कारीगर जिस सराफ का सोना लेकर भागता है। उसको सब्र ही करना पड़ता है।

वजह, बुरी आदतें

मेरठ बुलियन ट्रेडर्स एसोसिएशन के महामंत्री विजय आनंद अग्रवाल का मानन है कि सोना लेकर भागने की घटनाओं में पिछले कुछ समय से आयी तेजी के पीछे कई निहितार्थ हैं। पहले जो कारीगर सोना लेकर मजदूरी पर ज्वेलरी बनाने का काम करते थे, वो उन समाजिक बुराइयों से आमतौर पर दूर ही रहते थे जो सामाजिक बुराइयां अब के कारीगरों में देखी जा रही हैं। शहर सराफा की यदि बात की जाए तो अब जो कारीगर काम कर रहें उनमें से ज्यादातर में वो तमाम बुराइयां देखने को मिल रही हैं।

जो पूर्व के कारीगरों में देखने को नहीं मिलती थीं। इन बुराइयों की वजह से जो कारीगर ठीक हैं और जिन पर अभी तक इस प्रकार का कोई दाग नहीं लगा है उनको भी शक की नजर से देखा जाने लगा है। जहां तक बुराइयों की बात है तो जो बुराइयों है उनमें कुछ खास नीचे दी जा रही हैं।

  • शाहीखर्चे: शाहीखर्चे के चलते कुछ कारीगरों की रातें होटलों में रंगीन होती हैं।
  • सट्टे की लत: बंगाली और मराठी कारीगरों में अब रातोंरात अमीर होने का सपना देखने के चलते सट्टा लगाने की भी लत बतायी जाती है।
  • आईपीएल के मैच: कारीगरों में सामाजिक बुराइयों में शुमार आईपीएल व दूसरे मैचों में सट्टा लगाने की आदत भी सोना लेकर भागने की बुराई को जन्म दे रही है।
  • व्याभिचार: बड़ी संख्या कुछ ऐसे भी कारीगरों की बताई जाती है। जिनमें व्याभिचार की बुराई ने जन्म ले लिया है। इस गंदी आदत के चलते ये कारीगर बड़ा खर्च करते हैं।

ज्यादातर वारदातों का खुलासा नहीं कर सकी पुलिस

09 4

महानगर के शहर व सदर सराफा बाजार में कारीगरों के सोना लेकर भागने की घटनाओं को लेकर भले ही पुलिस कुछ भी दावे हों, लेकिन कारोबारियों की मानें तो सोना लेकर भागने की बड़ी घटनाएं ऐसी हैं जिनका खुलासा तक नहीं किया जा सका। मेरठ बुलियन ट्रेडर्स एसोसिएशन के महामंत्री विजय आनंद अग्रवाल सराफा कारोबारियों के साथ जो भी घटना होती है उनमें से ज्यादातर का रिकार्ड अपने यहां रखते हैं। आंकड़े इस बात की गवाह हैं कि ज्यादातर घटनाओं का खुलासा नहीं किया जा सका है।

ये हुई घटनाएं

25 जनवरी 2017 को अक्षय जैन नील की गली थाना देहली गेट के साथ वारदात, इसी दिन ब्रजमोहन जैन के साथ कागजी बाजार थाना कोतवाली क्षेत्र में वारदात, 11 मार्च 2019 को मुकेश रस्तोगी के बरेली वालों के साथ वारदात थाना दहेलीगेट क्षेत्र में हुई इनके अलावा 8 मई 2017 को सुशील वर्मा कोतवाली, 23 जुलाई 2017 को राजेश मलिक देहलीगेट, 16 अगस्त 2017 कृष्ण अवगतार अग्रवाल काशीपुर थाना देहलीगेट, 17 जुलाई 2019 बांके बिहारी अग्रवाल परतापुर, 8 अगस्त 2019 रंजीत बेरा डालमपाड़ा के साथ आगरा में वारदात,

8 अक्तूबर 2019 को अनिल कुमार सहारनपुर के साथ देहलीगेट क्षेत्र में वारदात, 18 अक्तूबर 2019 को विपिन कुमार देहलीगेट, 19 नवंबर 2019 को गोविंदराम अग्रवाल देहलीगेट, 7 फरवरी 2022 शाहनजर सदर थाना क्षेत्र, 30 नवंबर 2020 तपस प्रमाणिक कोतवाली, 26 दिसंबर 2020 तेजपाल नौचंदी, 21 जून 2021 पवन कुमार माहेश्वरी इनका मुकदमा ही दर्ज नहीं किया गया। 17 अगस्त 2021 सौरभ गर्ग नौचंदी, 28 जुलाई 2021 नितिन वर्मा देहलीगेट, 30 जुलाई 2022 गौरव रस्तोगी, मनोज कुमार, नीशू वर्मा, गौरव कपूर (इनके साथ हुई वारदात का पुलिस ने मुकदमा तक दर्ज नहीं किया) 9 अगस्त 2022 प्रशांत जैन थाना सदर बाजार, 25 अगस्त हेमेन्द्र राणा नौचंदी,

29 सितंबर 2022 अनिल जैन सदर, 29 सितंबर 2022 चंदन कोइल्या सदर मुकदमा ही दर्ज नहीं किया गया। 17 फरवरी 2023 अनुज जैन सदर, 21 फरवरी आयुष जैन 2023, 28 मार्च 2023 पीयूष गर्ग नौचंदी, 20 अप्रैल 2023 सुरेश चंद वर्मा जीआरपी, 19 अप्रैल 2023 अर्चित जैन टीपीनगर, 23 जून 2023 संजीव वर्मा, सदर बाजार, 7 जून राजकुमार वर्मा देहलीगेट, 25 जुलाई 2023 शशांक अग्रवाल, संजय वर्मा व नमन जैन किसी का भी मुकदमा दर्ज नहीं किया। 3 अगस्त 2023 जहांगीर मलिक थाना सिहानी गेट गाजियाबाद शामिल हैं।

मेरठ बुलियन ट्रेडर्स के महामंत्री विजय आनंद अग्रवाल ने बताया कि उक्त में से कुूछ घटनाओं का खुलासा भी हुआ है, लेकिन बड़ा सवाल है यह है कि घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं और ज्यादा संख्या ऐसी घटनाओं की है जिनका खुलासा नहीं किया जा सका है। पुलिस का रवैया ही पीड़ित सराफा कारोबारियों में असंतोष की वजह है।

पुलिस के रवैये के चलते ही आमतोर पर इस प्रकार की घटनाओं की थाना पुलिस में लिखा पढ़ी कराने से सराफा कारोबारी परहेज करते हैं। इस मामले में सबसे बुरा ट्रेक रिकार्ड थाना देहलीगेट का है। देहलीगेट पुलिस के रवैये से इस प्रकार की वारदातों का शिकार होने वाले सराफ कारोबारियों पर दोहरी मार पड़ती है पहला तो यह कि सोने का नुकसान और दूसरा यह कि बाजार में प्रतिष्ठा पर भी असर पड़ता है।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

आधुनिक जीवनशैली की देन है मधुमेह

अनूप मिश्रा आमतौर पर देखा गया है कि मधुमेह एक...

Latest Job: रेलवे में निकली बंपर भर्ती,ये उम्मीदवार कर सकते हैं आवेदन, जानें पूरी डिटेल्स

नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और...

सत्कर्म

एक संत जन्म से अंधे थे। उनका नित्य का...
spot_imgspot_img