Saturday, July 27, 2024
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बिहार चुनाव 2020: भाजपा, राजद और बसपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला

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जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: शाहाबाद की लड़ाई दिलचस्प हो गई है। सीधी टक्कर की नौबत है। शाहाबाद प्रक्षेत्र के चार जिलों में 22 विधानसभा क्षेत्र हैं। राजद के पास 9, जदयू के पास 5, भाजपा के पास 5 सीटें हैं। रालोसपा, माले और कांग्रेस ने भी 1-1 सीट पर जीत दर्ज की थी।

22 सीटों में से 15 सीटें पिछली बार राजद, जदयू और कांग्रेस गठबंधन को मिली थीं। भोजपुरी के इस गढ़ में चुनाव प्रचार भोजपुरी में होता है। पूरा इलाका राजनीतिक दृष्टिकोण से बेहद सजग है। कभी कांग्रेस और वाम दलों का गढ़ रहा यह इलाका बाद में समाजवादियों का गढ़ बना तो फिर कभी दक्षिणपंथियों के साथ खड़ा हुआ।

2015 में शाहाबाद के भोजपुर जिले की सात सीटों में से राजद को 5 सीटों पर जीत मिली थी। जदयू को मात्र एक सीट हासिल हुई। भाजपा का तो यहां खाता भी नहीं खुला। तरारी सीट माले के खाते में गई। इस बार भोजपुर की 7 में से 6 सीटों पर राजग और महागठबंधन के बीच सीधी टक्कर है। सिर्फ एक सीट तरारी में बाहुबली सुनील पांडेय के मैदान में होने से मुकाबला त्रिकोणीय है।

2015 में शाहाबाद का कैमूर जिला पूरी तरह से भाजपा के साथ खड़ा रहा। जिले की कुल चार सीटों भभुआ, चैनपुर, मोहनिया और रामगढ़ में भाजपा ने जीत दर्ज की। इस बार भभुआ में जदयू के बागी डॉ प्रमोद सिंह भाजपा का खेल बिगाड़ने के लिए चुनाव मैदान में हैं।

यहां लड़ाई त्रिकोणीय है। 2015 में चैनपुर में भाजपा और बसपा की बीच टक्कर हुई थी। इस बार नीतीश सरकार के मंत्री बृजकिशोर बिंद भाजपा के टिकट पर राजग उम्मीदवार हैं। महागठबंधन की ओर से कांग्रेस के प्रकाश सिंह उनको चुनौती दे रहे हैं। रामगढ़ में तो भाजपा, राजद और बसपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है।

भाजपा ने यहां अपने मौजूदा विधायक अशोक सिंह को प्रत्याशी बनाया है। मुकाबले के लिए राजद ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और 6 बार विधायक रहे जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह को मैदान में उतारा है। 2015 में रोहतास जिले की कुल सात सीटों में से 3 पर राजद को जीत मिली, 2 सीटों पर जदयू और 1-1 पर भाजपा, रालोसपा की जीत हुई थी।

तब दिनारा से जदयू के जयकुमार सिंह चुनाव जीते और नीतीश सरकार में मंत्री बने। इस बार दिनारा की जंग दिलचस्प हो गई है। भाजपा के बागी राजेंद्र सिंह लोजपा के टिकट पर मैदान में हैं। संध प्रचारक रहे राजेंद्र सिंह यहां कड़ी टक्कर देते नजर आ रहे हैं। राजद उम्मीदवार विजय मंडल समीकरण वोट के जरिए मजबूती से लड़ाई में खड़े हैं।

2015 में बक्सर की लड़ाई में जदयू ने बाजी मारी थी। तब जिले की कुल चार सीटों में से दो पर जदयू ने जीत दर्ज की। बाकी की दो सीटों में एक पर राजद और एक पर कांग्रेस की जीत हुई। भाजपा यहां खाता भी नहीं खोल पाई। इस बार बक्सर की लड़ाई आसान नहीं है।

भाजपा ने यहां से बिहार पुलिस के पूर्व सिपाही परशुराम चतुर्वेदी को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने मौजूदा विधायक संजय तिवारी को मुकाबले में उतारा है। भाजपा के साथ यहां सबसे संकट उसका सहयोगी जदयू ही बन गया है। दरअसल यहां से पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय के चुनाव लड़ने की चर्चा थी।

गुप्तेश्वर ने चुनाव से पहले वीआरएस लिया, जदयू की सदस्यता ली। अंतिम समय में उन्हें टिकट नहीं मिला। बक्सर जिले के डुमरांव विधानसभा सीट पर लड़ाई फंस गई है। यहां बेटिकट हुए जदयू विधायक ददन पहलवान ने निर्दलीय ताल ठोक दी है। जदयू ने अंजुम आरा को मैदान में उतारा है। महगठबंधन ने भाकपा माले के टिकट पर डॉ अजीत कुशवाहा को मैदान में उतारकर लड़ाई को त्रिकोणीय बना दिया है।

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