Saturday, June 10, 2023
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पुस्तक और समय

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बैंजामिन फ्रेंकलिन की किताबों की दुकान थी। एक दिन उनकी दुकान पर एक ग्राहक आया। वह दुकान में इधर-उधर घूमता रहा। कुछ किताबें देखने के बाद उसने एक किताब हाथ में उठाई और दुकान के एक कर्मचारी से पूछा ‘इस किताब की कीमत क्या है?’ कर्मचारी ने कहा ‘एक डॉलर’।

ग्राहक ने कहा ‘यह तो ज्यादा है, कुछ कम नहीं हो सकता क्या?’ कर्मचारी ने स्पष्ट कहा ‘नहीं’। ग्राहक ने कहा ‘क्या बेन फ्रेंकलिन यहां हैं? मैं उनसे मिलना चाहता हूँ।’ कर्मचारी ने जवाब दिया, ‘वे अभी आने वाले हैं’। वह ग्राहक फेंकलिन का इंतजार करने लगा।

फ्रेंकलिन के आने के बाद ग्राहक ने उनसे पूछा ‘इस किताब की कम-से-कम कीमत क्या होगी?’ फ्रेंकलिन ने जवाब दिया, ‘सवा डॉलर’। ग्राहक ने आश्चर्य से कहा, ‘लेकिन आपकी दुकान के कर्मचारी ने तो इसकी कीमत अभी कुछ देर पहले एक डॉलर बताई है!’ बेंजामिन ने अपना काम करते हुए कहा, ‘उसने ठीक बताया है, चौथाई डॉलर मेरे समय की कीमत है’।

ग्राहक ने आग्रह किया, ‘ठीक है, अब आप इसकी सही कीमत बता दीजिये’। इस बार बेंजामिन ने कीमत बताते हुए कहा, ‘अब डेढ़ डॉलर, आप लेने में जितनी देर करते जाएंगे, समय का मूल्य भी इसमें जुड़ता जाएगा।’

ग्राहक के पास अब कोई रास्ता न था। एक डॉलर के बदले डेढ़ डॉलर देकर उसने वह किताब खरीद ली। किताब के साथ ही उसे समय का मूल्य भी ज्ञात हो गया। समय के महत्व को जानने वाले यही बैंजामिन फ्रेंकलिन महान वैज्ञानिक, राजनीतिक और चिंतक बने।


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