- आर्मी स्कूल में पकड़ी गई पायरेसी, मिलिट्री इंटेलीजेंस ने की जांच
- एक भाजपा नेता का बेटा भी पायरेसी के धंधे में खुलकर शामिल
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की किताबों का गोरखधंधा कभी न खुलता अगर आर्मी स्कूल में इन किताबों को लेकर शक जाहिर न किया जाता।
इसकी सूचना मिलिट्री इंटेलीजेंस को दी गई और इसकी तह तक जांच कराई गई तो पता चला कि भाजपा नेताओं के संरक्षण में यह धंधा लंगे समय से चल रहा है। एसटीएफ ने इस काले धंधे का उजागर कर सत्तारुढ़ पार्टी की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े कर दिये।
एनसीईआरटी की किताबें जब आर्मी स्कूल तक पहुंची तो इसकी जांच सेना ने कराई। सेना को पता चला कि किताबें मेरठ के परतापुर इलाके में छापी जा रही हैं। आर्मी इंटेलिजेंस इस पूरे मामले की तह तक पहुंच गई। पुलिस ने बताया कि जिस समय एसटीएफ ने प्रिटिंग प्रेस में छापा मारा उस दौरान काम युद्धस्तर पर चल रहा था।
प्रिंटिंग मशीनें चल रही थीं और किताबों की छपाई और उनकी बाइंडिंग का काम किया जा रहा था। हैरानी की बात यह है कि जब प्रिंटिंग प्रेस में सीओ ब्रह्मपुरी चक्रपाणि त्रिपाठी और एसटीएफ ने छापेमारी की उस दौरान वहां पर भाजपा नेता और प्रिंटिंग प्रेस मालिक सचिन गुप्ता भी मौजूद था।
वह भाजपा का झंडा लगी क्रेटा गाड़ी में बैठकर लोगों से बात करता हुआ फरार हो गया। भाजपा का झंडा लगा होने के कारण पुलिस ने भी कार को रोकने की हिम्मत नहीं दिखाई।
इससे पहले भी मेरठ में कई बार एनसीईआरटी की नकली किताबों को लेकर छापेमारी हुई और भारी संख्या में किताबें बरामद हुई थी, लेकिन भाजपा नेताओं का संरक्षण होने के कारण मामला रफादफा कर दिया जाता था। बताया जाता है कि एक जनप्रतिनिधि का बेटा भी इस गोरखधंधे में काफी लंबे समय से लिप्त है और उसके सरंक्षण में एनसीईआरटी की पायरेसी खुलकर हो रही है।
मोटे कमीशन का लालच
एनसीआरटी की किताबें फुटकर विक्रेताओं को 15 प्रतिशत की कमीशन पर मिलती हैं। इनकी छपाई का केंद्र दिल्ली के अलावा कहीं भी नहीं है।
वहीं डुप्लीकेट किताबों पर विक्रेताओं को 30 प्रतिशत का कमीशन मिलता है। इसी कारण डुप्लीकेट किताबों का धंधा मेरठ में खुलकर हो रहा है।
पहले भी पड़ चुके हैं छापे
एनसीईआरटी की नकली किताबों को लेकर मेरठ में कई बार छापेमारी हुई और हजारों किताबें बरामद हो चुकी हैं। इसके बाद भी यह धंधा बंद होने के बजाय तेजी से फलफूल रहा है।
गत तीन अप्रैल 2013 को क्राइम ब्रांच के एसपी उदय शंकर सिंह के निर्देश पर टीम ने थाना लिसाड़ी गेट अंतर्गत गोलाकुआं पर छापा मारा था। यहां पर एक दुकान में एनसीईआरटी की किताबों की बाइडिंग चल रही थी।
बाइडिंग के काम को जावेद, शोएब व इमरान पुत्रगण इकरामुद्दीन करा रहा था। पुलिस को देख जावेद तो भाग गया, जबकि अन्य दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया था। दुकान में पांच हजार किताबें बरामद कीं गई थी।
पूछताछ में पता चला था कि बाइंड करने के बाद किताबें लिसाड़ी रोड स्थित हाजी इलियास चौक के पास गोदाम में रखी जाती हैं।
यहां से 40 हजार किताबें बरामद कीं, अधिकांश किताबें नौवीं से 12वीं तक की फिजिक्स, केमिस्ट्री और गणित की अधिक थी। बाद में प्रभावशाली लोगों के बीच में आने के बाद से खेल खत्म हो गया था।
ये कहना है एसएसपी अजय साहनी का
एनसीआरटी की डुप्लीकेट किताबें उत्तर प्रदेश समेत उत्तराखंड और दिल्ली में सप्लाई हो रही थी। गोदाम और प्रिटिंग प्रेस को सील कर दिया गया है।
वहीं, छह प्रिंटिंग प्रेस बरामद की गई हैं। मौके पर पुलिस ने दर्जन भर से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है और उनसे पूछताछ कर रही है।
पुस्तकों की नकल छापना और बेचना गंभीर अपराध
मेरठ बुक सेलर एसोसिएशन के अध्यक्ष आशीष धस्माना का कहना है कि अगर मेरठ के कोई विक्रेता इसमे संलिप्त पाया गया तो एसोसिएशन द्वारा कड़ी कार्रवाई की जायेगी।
मेरठ के कुछ क्षेत्रों में खुलेआम नकली किताबों की बिक्री की जा रही है। इस विषय मे यदि प्रशासन हमसे सहयोग मांगेगा तो हम उन्हें सहयोग करने को तैयार है।
एसोसिएशन के महामंत्री संजय अग्रवाल ने बताया कि पायरेसी व नकली पुस्तको का मेरठ बुक सेलर एसोसिएशन पूर्व से विरोध करता रहा है व एसोसिएशन द्वारा अपनी साधारण सभा मे प्रस्ताव पारित किया गया है कि नकली पुस्तकें बेचने वाले विक्रेताओ को एसोसिएशन द्वारा कानूनी कार्रवाई होने पर कोई सहयोग नही किया जायेगा और उनको एसोसिएशन से निष्कासित किया जाएगा।
सुबूत मिटाने के लिये प्रिंटिंग प्रेस में लगाई आग
एनसीईआरटी की किताबों के गोरखधंधे ने मेरठ में कई लोगों को मालामाल कर दिया है। हींग लगे न फिटकरी और रंग चोखे की कहावत इस धंधे पर सटीक बैठती है।
यही कारण है जब एसटीएफ ने पायरेटेड बुक्स को लेकर छापा मारा तो मालिक सचिन गुप्ता ने प्रिंटिंग प्रेस में आग लगाने का हुक्म जारी कर दिया। जब तक आग नुकसान करती इससे पहले उस पर काबू पा लिया गया।
मोहकमपुर में सुशांतसिटी निवासी सचिन गुप्ता पुत्र प्रदीप गुप्ता की टीएनएचके प्रिंटर्स एंड पब्लिशर्स है जिसका गोदाम अछरोंडा काशी मार्ग पर है। जहां शुक्रवार दोपहर बाद एक सूचना पर छापा मारा गया।
यहां से पुलिस ने एनसीआरटीसी, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के स्कूलों में चलने वाली फर्स्ट से इंटर तक की बुक्स बडी संख्या में पकडी गई थी। जिनकी अनुमानित लागत 35 करोड़ है।
बताया कि 228 प्रकार की बुक्स हैं जिनका स्टाक देखा जा रहा है। जब एसटीएफ की टीम स्थानीय पुलिस को लेकर अंदर घुसी तो वहां पांच बीघे के गोदाम में किताबों का अंबार लगा हुआ था।
मालिक सचिन गुप्ता ने फरार होने से पहले तुरंत किताबों में आग लगाने का आदेश कर दिया। जब तक लोग कुछ समझ पाते इससे पहले आग ने किताबों को अपने आगोश में लेना शुरू कर दिया था। तभी गोदाम में मौजूद कर्मचारियों ने आग पर काबू पा लिया।
एसटीएफ और पुलिस की टीम इस प्रायोजित आग को तुरंत समझ गई और एक दर्जन के करीब कर्मचारियों को पूछताछ के लिये हिरासत में ले लिया। पुलिस ने जब सख्ती से पूछताछ की तो कर्मचारियों ने बताया कि उनका कोई कुसूर नहीं है। उनको तो आग लगाने को कहा गया था। इस बीच पुलिस ने फोर्स को और मंगवा लिया।
सीओ एसटीएफ ब्रजेश सिंह और सीओ ब्रह्मपुरी चक्रपाणि त्रिपाठी ने फोर्स के जिम्मे गोदाम को कर दिया। थोड़ी ही देर में काफी संख्या में पुलिसकर्मियों ने गोदाम को घेर लिया और किसी की भी एंट्री पर रोक लगा दी।
वहीं, एडवोकेट राम कुमार शर्मा का कहना है कि नकली किताबें छापने का कार्य काफी समय से बहुत बड़ी मात्रा में कम चल रहा है। पहले भी छापेमारी हुई थी और बड़े भाजपा नेताओं के कारण प्रभावी कार्रवाई नही हो पाई थी।
उनका नाम भी जांच में शामिल करना चाहिये। नकली किताबें किन किन राज्यों और शहरों में बेची जा रही थी और मेरठ में कौन से बुक सेलर्स इसमें शामिल है उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिये।