- अवैध निर्माणों को लेकर लगते रहे कैंट बोर्ड कर्मियों पर भ्रष्टाचार के आरोप
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: कैंट बोर्ड में सीबीआई की छापेमारी के बाद अवैध निर्माण पर तीसरी बार सील लगाने की कार्रवाई कर दी। ये कार्रवाई धक्का-मुक्की और भारी विरोध के बीच हुई। अवैध निर्माणों को लेकर कैंट बोर्ड कर्मियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। ये भ्रष्टाचार कैसे पनप रहा हैं? इसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही हैं? ये भी बड़ा सवाल हैं।
अवैध निर्माण पर कैंट बोर्ड के कार्रवाई करते हुए एसीएम संजय कुमार की प्रशासनिक अगुवाई में सदर पुलिस के सहयोग से छावनी परिषद के इंजीनियरिंग सेक्शन द्वारा सदर कबाड़ी बाजार के भवन संख्या 259 के प्रथम व द्वितीय तल पर शुक्रवार को तीसरी बार सील लगा दी। कैंट बोर्ड की इस कार्रवाई का भवन के वर्तमान उपभोगी गुलशन चड़ढा व उनके परिवार के सदस्यों खूब विरोध किया।
महिलाओं ने भी विरोध किया, जिसके बाद कैंट बोर्ड के कर्मचारी बैकफुट पर आते हुए दिखाई दिये। भारी विरोध के बीच कैंट बोर्ड कर्मियों ने सील लगाने गयी टीम से धक्का-मुक्की भी कर दी। कैंट बोर्ड एई पीयूष गौतम ने बताया के मुख्य अधिशासी अधिकारी ज्योति कुमार के निर्देश पर अवैध निर्मार्णों पर कार्रवाई जारी है और इसी क्रम में एक निर्माण जो कि सदर क्षेत्र में 259 कबाड़ी बाजार में है, उस के निर्माण पर पीपीई एक्ट की कार्रवाई कर दी गई हैं।
आखिर अवैध निर्माणों को किस अफसर की शह
आखिर इतने अवैध निर्माण पहले कभी नहीं हुए, जो वर्तमान में कैंट क्षेत्र में हो रहे हैं। निर्माण को पहले रुकवाया जाता हैं, फिर उसका निर्माण करा दिया जाता हैं। इसमें भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया हैं। बीसी लाइन में 152 नंबर कोठी को कैंट बोर्ड ने अवैध बताते हुए गिरा दिया था। अब फिर रात-भर इसमें निर्माण कैसे होने दिया? इसके लिए जिम्मेदार कौन हैं? इसमें भ्रष्टाचार खूब हुआ, सैन्य अफसरों ने भी इसमें आंखें बंद कर ली।
क्योंकि कैंट बोर्ड भंग चल रहा हैं और पूरी जिम्मेदारी सैन्य अफसरों की हैं, लेकिन सेना के अफसर भी अवैध निर्माण होने दे रहे हैं। ये कोठी लगभग बनकर तैयार हो गयी हैं। इसको किसी ने अब रोकना-टोकना गवारा नहीं समझा। यही नहीं, व्हाइट हाउस के बराबर में एक हजार वर्ग गज में एक कोठी का लिंटर तोड़कर फिर से डाल दिया गया। इसकी कोई अनुमति कैंट बोर्ड से नहीं ली गई। निर्माण टूट भी गया और पूरा भी कर दिया गया। अब तो पुताई कर दीपावली पर पूजा भी कर दी गई।
इस तरह से अवैध निर्माण ताबड़तोड़ हो रहे हैं। जो पैसे दे रहा हैं, उसका निर्माण करा दिया जाता हैं, जो घूस नहीं देता, उसका निर्माण गिरा दिया जाता हैं। यही सब कैंट क्षेत्र में चल रहा हैं। कैंट बोर्ड आॅफिस से दस कदम की दूरी पर एक स्कूल का निर्माण चल रहा था। लिंटर डाल दिया। बिल्डिंग पूरी तैयार हो गई। अब इसका विस्तार हो गया। इसमें भी कैंट बोर्ड अफसरों ने कोई कार्रवाई नहीं की।
सीईओ ज्योति कुमार अवैध निर्माणों को लेकर चुप्पी क्यों साधे हुए हैं। उनकी चुप्पी के पीछे चल रहा भ्रष्टाचार किसी को नहीं दिख रहा हैं, जो अब सीधे सीबीआई की पकड़ में आ रहा हैं। सीबीआई की छापेमारी के बाद बड़ा भ्रष्टाचार कैंट बोर्ड कर्मियों का खुल रहा हैं।