संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रसिद्ध शिक्षाविद और लेखक स्टीफन कोवे की एक पुस्तक है ‘सेवन हैबिट्स आफ हाइली इफेक्टिव पीपल’ जो काफी चर्चित हुई है।
इस पुस्तक में पाठकों को अपने जीवन में सफल होने के लिए अपनी सोच और लाइफ स्टाइल में बदलाव लाने के साथ कई अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं पर फोकस डाला गया है।
उन्होंने सफल शख्स की अनिवार्य जिन सात आदतों की चर्चा की है उनमें एक काफी महत्वपूर्ण है ‘शार्पेन दि साव।’ जिसका अर्थ है अपनीआरी की धार को तेज करना।
यहां पर इसका आशय थोड़ा अलग और असाधारण है। जिस प्रकार किसी पेड़ को काटने के पूर्व कोई लकड़हारा अपनी कुल्हाड़ी या आरी के धार को तेज करता है, उसी प्रकार सफलता के मुरीद शख्स को भी सफल होने के लिए अपने डोमेन के ज्ञान को अपडेट करने रहना चाहिए, निरंतर सीखते रहना चाहिए। वर्षों सीखी गई जानकारियों पर से निरंतर धूल हटाते रहना चाहिए।
किंतु दुर्भाग्यवश सफल होने के लिए हम सपने तो देखते हैं, किंतु उसको साकार करने के लिए कठिन परिश्रम और अध्यवसाय नहीं कर पाते हैं। यही कारण है कि हम असफल हो जाते हैं या फिर एक बार कामयाबी हासिल करने के बाद दुबारा कामयाब नहीं हो पाते हैं।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने एक बार कहा था, ‘अपना जीवन यह मानकर जियो कि कल ही मर जाना है और यह मानकर सीखते रहो कि सदा के लिए जीना है।’ उनके इस कथन का भी यही आशय था कि सीखना एक लाइफ लॉन्ग प्रोसेस है और हम अपने जीवन के अंतिम सांस तक सीखते रहते हैं।
अर्थात सीखना कभी भी पूर्ण नहीं होता है। खुद की प्रतिभा को सदा निखारते रहने वाला शख्स दुनिया में जीवित रहने के लिए खुद को इतना मजबूत बना लेता है कि उसे फिर हराना आसान नहीं होता है।
खुद की अन्तर्निहित प्रतिभा को पहचानें
इस दुनिया में हर शख्स एक अद्भुत प्रतिभा के साथ जन्म लेता है, जिसकी बराबरी कोई और दूसरा नहीं कर सकता है। किंतु अपनी इस काबिलियत को हम पहचान ही नहीं पाते हैं और यही कारण है कि हम जो प्राप्त करना चाहते हैं उसमें असफल रह जाते हैं।
लिहाजा कामयाबी के लिए खुद की स्वाभाविक प्रतिभा को पहचानना अनिवार्य है। दुनिया के महान लोगों की फेहरिस्त पर एक नजर डालें तो यह समझते देर नहीं लगती है कि उन्होंने खुद को पहचाना और फिर उसी डोमेन के लिए खुद को समर्पित कर दिया।
निर्णय करें कि आपको पहुंचना कहां है
खुद की प्रतिभा को पहचान लेने के बाद लक्ष्य का निर्धारण आसान हो जाता है। लक्ष्य का निर्धारण अपने जीवन के सपनों को साकार करने की नींव मानी जाती है। लक्ष्यविहीन व्यक्ति पतवार विहीन जहाज सरीखा होता है, जिसका कोई डेस्टिनेशन नहीं होता है। इसीलिए जीवन में सफलता के लिए अपनी मंजिल की पहचान जरूरी होती है।
कठिन मेहनत के बिना सफलता महज सपना
लक्ष्य निर्धारण के बाद लक्ष्य तक पहुंचना सबसे कठिन कार्य होता है। इस दुनिया में लक्ष्य तक पहुंचने के लिए सबसे अहम शर्त कठिन मेहनत है। बिना कठिन परिश्रम के लक्ष्य तक पहुंच पाना संभव नहीं होता है। आशय यह है कि अपने जीवन के सपनों को साकार करने के लिए कोई शॉर्ट-कट रास्ता नहीं होता है।
सफलता तक पहुंचने के सारे रास्ते कठिन परिश्रम और संघर्ष के रास्तों से गुजरते हैं। दुनिया में सभी कामयाब व्यक्तियों का जीवन कठिन मेहनत, त्याग और अनवरत कोशिशों का जीवन रहा है। उनके लिए भी कामयाबियां किसी जादू की छड़ी सरीखा आसान नहीं थीं।
आत्मविश्वास को डिगने नहीं दें
सफलता प्राप्त करने के लिए आत्मविश्वास की अहम भूमिका होती है। आत्मविश्वास हमें साहसी बनाता है और इसके कारण ही हम सफलता प्राप्ति की राह में आनेवाली बेशुमार चुनौतियों का सामना कर पाते हैं। किन्तु अक्सर असफलता की स्थिति में हम कमजोर पड़ जाते हैं और खुद को अयोग्य मान बैठते हैं।
आत्मविश्वास में यह कमी सफलता के लिए घातक सिद्ध होती है। इसीलिए यह लाजिमी है कि हम किसी भी परिस्थिति में चाहे वो कितनी भी विषम क्यों न हों, हमें अत्मविश्वास और हौसला नहीं खोना चाहिए।
अपनी कमियों को भी पहचानें और उन्हें दूर करें
इस सच्चाई से हम कदाचित ही इंकार कर पाएं कि इस दुनिया में कोई भी शख्स पूर्ण नहीं होता है। हर किसी में कुछ न कुछ कमी अवश्य होती है, किंतु दुर्भाग्यवश हम ताउम्र यह जान ही नहीं पाते हैं कि किसी विशेष डोमेन में सफल होने के लिए हममें क्या कमी है।
सच पूछिए तो खुद की कमी के बारे में हमारी यही अज्ञानता हमारी असफलता का कारण बन जाती है। जब हमें अपनी कमजोरियों के बारे में पता होता है तो हम उन्हें दूर करने के लिए प्रयास करते, सीखते हैं, खुद की कमी को दूर करते हैं और तब फिर कामयाबी हमसे दूर नहीं रह पाती है।
जरूरी है सच्ची लगन
महान भौतिकवेत्ता अल्बर्ट आइन्सटीन के जीवन के बारे में एक प्रसंग अत्यंत प्रेरणादायी है। कहा जाता है कि एक बार एक युवक ने आइन्सटीन से प्रश्न पूछा, ‘लोग आपको महान कहते हैं। कृपा करके मुझे महान बनने के रहस्यों के बारे में बताइए’अल्बर्ट आइन्सटीन ने एक शब्द मे उत्तर दिया, ‘लगन।’
फिर उन्होंने उस युवक का मार्गदर्शन किया, ‘बचपन में मुझे गणित से बहुत डर लगता था। इस विषय में मैं अक्सर फेल हो जाया करता था। फिर मैंने एक दिन काफी विचार किया, आत्ममंथन किया और गणित के सवाल हल करना शुरू कर दिया।
समय के साथ इस विषय में मेरी अभिरुचि बढ़ती गई। सच्ची लगन और कठिन मेहनत के फलस्वरूप ही गणित का विषय मेरे लिए आसान होता गया।’आशय यही है कि किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए यदि प्रयास संपूर्ण समर्पण और सच्ची लगन के साथ किया जाए तो फिर सफलता में कोई संदेह शेष नहीं रह जाता है।
-एसपी शर्मा