Saturday, July 27, 2024
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मेरठ: इस हैट्रिक को रोकना विपक्ष के लिए चुनौती, पढ़िए खास रिपोर्ट

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अभी तक भाजपा की अजेय सीट, दोनों बार बसपा से हुए दो-दो हाथ

2012 के मुकाबले 2017 में और बढ़ा जीत का अंतर                         

एक बार सपा और एक बार कांग्रेस रही तीसरी नंबर पर                    


परवेज़ त्यागी

मेरठ: मेरठ दक्षिण विधानसभा सीट पर इस बार भारतीय जनता पार्टी की हैट्रिक रोकना विपक्ष के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। सीट बनने के बाद अभी तक इस पर दो चुनाव हुए हैं और दोनों ही बार बीजेपी प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है। दोनों चुनाव में बहुजन समाज पार्टी रनरअप रही है, मगर बड़ी बात यह है कि भाजपा की जीत का अंतर 2012 के मुकाबले में 2017 में और बढ़ गया था। यहां से एक बार सपा और एक बार कांग्रेस का उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहा।

 

दक्षिण सीट पर पहला विधानसभा चुनाव वर्ष 2012 में हुआ था। पहले ही चुनाव से भाजपा ने यहां अपना कब्जा जमा लिया था। भाजपा प्रत्याशी रविंद्र भड़ाना ने बसपा के राशिद अखलाक को करीब 10 हजार वोटों के अंतर से पटखनी दी थी। इस चुनाव में सपा के उम्मीदवार आदिल चौधरी थे, जिनको 49 हजार 103 वोटों के साथ तीसरा स्थान नसीब हुआ था। भाजपा के भड़ाना ने 71 हजार 584 वोट पाए थे, जबकि बसपा के राशिद को 61 हजार 800 वोट मिले थे।

 

साल 2017 के अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा और बसपा दोनों ने ही अपने पुराने प्रत्याशी बदले, मगर फिर बाजी इस सीट पर बीजेपी के ही हाथ लगी। मौजूदा विधायक रविन्द्र भड़ाना का टिकट काटकर भाजपा ने नए चेहरे सोमेंद्र तोमर को मैदान में उतारा था।

तोमर के मुकाबले बसपा ने राशिद के स्थान पर पूर्व राज्यमंत्री हाजी याकूब कुरैशी को प्रत्याशी बनाया था, मगर इस बार भी परिणाम भाजप के ही पक्ष में गया। भाजपा के नए चेहरे ने दो बार के विधायक हाजी याकूब को बड़े अंतर से हराकर पार्टी को दूसरी जीत दिलाई। इस बार बसपा की बड़ी हार में कांग्रेस-सपा के संयुक्त उम्मीदवार आजाद सैफी ने अहम् भूमिका निभाई, जो याकूब से करीब आठ वोट ही पीछे रहे।

आजाद को लगभग 70 हजार वोट मिले और वह तीसरे नंबर पर रहे। इस बार भी भाजपा के सोमेंद्र तोमर ने बसपा के हाजी याकूब को 35 हजार से अधिक वोटों के बड़े अंतर से हरा दिया। भाजपा प्रत्याशी को एक लाख 13 हजार 225 और बसपा को 77 हजार 830 वोट हासिल हुए।

कांग्रेस-सपा के आजाद सैफी 69 हजार 180 मत मिले। कांग्रेस को मिले मत जहां बसपा प्रत्याशी के लिए मुश्किल बनें, वहीं, भाजपा के लिए उनकी वोटों ने जीत की राह आसान की। बता दें, साल 2012 जैसा ही चुनावी समीकरण इस सीट का वर्ष 2017 के चुनाव में भी रहा, जो पूरी तरह भाजपा के पक्ष में गया। यहां दोनों ही बार जहां भाजपा ने जीत दर्ज की है, वहीं, बसपा दोनों चुनाव में दूसरे नंबर की पार्टी बनी।

इस बार के हालात भी यहां बने पहले जैसे                                      

मेरठ दक्षिण विधानसभा सीट पर पिछले दोनों चुनाव की तरह के हालात ही इस बार के चुनाव में भी बन गए हैं। अभी तक इस सीट पर घोषित मुख्य दलों के प्रत्याशी में भाजपा से वर्तमान विधायक सोमेंद्र तोमर हैं। बसपा ने एक बार फिर इस सीट के लिए नए मुस्लिम चेहरे कुंवर दिलशाद अली पर दांव लगाया है।

वहीं, सपा ने 2012 में चुनाव लड़ चुके अपने पुराने प्रत्याशी आदिल चौधरी को मैदान में उतार दिया है। इस सीट का अभी तक का इतिहास यही बयां करता है कि यहां दोनों चुनाव में प्रमुख दलों से दो मुस्लिम प्रत्याशी का मैदान में आना भाजपा के मुफीद रहा है। इस का समीकरण भी पहले की तरह कुछ ऐसा ही बन गया है। ऐसे में विपक्ष के सामने भाजपा की हैट्रिक रोक पाना बड़ी चुनौती रहेगा। कांग्रेस ने अभी यहां अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है।

 वर्ष          जीत का अंतर         विजयी दल

  • 2012      9784                 भाजपा
  • 2017      35395               भाजपा
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