- जिला अस्पताल में मची अंधेरगर्दी, स्वास्थ्य सेवाएं तोड़ रही दम
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सरकार लाख दावें करती रहे, लेकिन सरकारी अस्पतालों में मरीजों को तमाम तरह की चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध है। गरीब व आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को सभी तरह की स्वास्थ्य सेवाएं दी जाती है। शनिवार को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम ने भी तीन दिनों तक जिला अस्पताल में मरीजों को मिलने वाली चिकित्सा सेवाओं को परखा था। जिसको लेकर टीम के निरीक्षण तक तो व्यवस्थाएं चुस्त-दुरूस्त रखी गई।
लेकिन टीम के वापस लौटते ही जिला अस्पताल अपने पुराने ढर्रे पर लौट आया है। रविवार को एक मां बुखार से तप रहे मासूम बच्चे को जिला अस्पताल लेकर पहुंची, लेकिन कई घंटों तक अस्पताल के बच्चा वार्ड में बच्चें को भर्ती नहीं किया गया। बताया जा रहा है बच्चे की हालत काफी खराब थी लेकिन महिला से बच्चे को भर्ती करने के बदले पैसे की मांग की गई। जिला अस्पताल में मरीजों के जीवन से खिलवाड़ किया जाता है।
रविवार को श्याम नगर की रहने वाली हिना अपने 18 माह के मासूब बेटे अज्Þाान को उल्टी-दस्त व बुखार होने पर जिला अस्पताल में लेकर पहुंची थी। महिला के जानकार ने बताया सुबह 11 बजे बच्चे को इमरजेंसी में दिखाया गया। हालत खराब होने पर बच्चे को कमरा नं. 22 में भर्ती कराने को कहा गया। लेकिन बच्चा वार्ड के स्टाफ ने भर्ती करने के बदले तीन सौ रूपये की मांग की। इसके बाद महिला बच्चे को वापस इमरजेंसी लेकर पहुंची तो यहां डाक्टर ने बच्चे को भर्ती करने से मना कर दिया। जब महिला ने हंगामा किया तो उसके साथ बदसलूकी की गई।
इसके बाद चार घंटे तक महिला बच्चे को भर्ती कराने के लिए भटकती रही तब कहीं जाकर बच्चे को भर्ती किया गया। पहले भी जिला अस्पताल में इस तरह के मामले सामने आते रहें है जिनमें मरीजों को भर्ती कराने के लिए दलालों द्वारा पैसे की मांग की जाती रही है। साथ ही यहां जनरल ओपीडी में एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नशे की हालत में डाक्टरों के साथ मरीजों का इलाज करता पाया गया था। गुरूवार को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से तीन डाक्टरों की टीम जिला अस्पताल का दौरा करने पहुंची थी। यह दौरा शनिवार को ही समाप्त हुआ है।