जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने शनिवार को बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच के उपभवन के उद्घाटन के मौके पर अदालतों के इंफ्रास्ट्रक्चर पर सवाल खड़े किए।
उन्होंने कहा कि भारत के यह मानसिकता है कि अदालतें जर्जर इमारतों के बीच ही संचालित होती हैं। जिस समय सीजेआई एनवी रमन्ना अदालतों के बुनियादी ढांचे पर टिप्पणी कर रहे थे, उनके साथ मंच पर कानून मंत्री किरण रिजिजू भी मौजूद थे।
बेहतर बुनियादी ढांचा हमेशा एक विचार ही रहा
सीजेआई एनवी रमन्ना ने कहा कि यह मानसिकता बन चुकी है कि भारतीय अदालतें जर्जर इमारतों में संचालित होती हैं, जिससे न्यायिक कार्यों को करना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा कि लोगों के लिए आज भी अदालतों को बेहतर बुनियादी ढांचा एक विचार ही है।
न्यायिक इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए भेजा प्रस्ताव
राष्ट्रीय न्यायिक इंफ्रास्ट्रक्चर प्राधिकरण की स्थापना के लिए मुख्य न्यायाधीश की ओर से एक प्रस्ताव कानून मंत्रालय को भेजा गया है। उद्घाटन के इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं कानून मंत्री से आग्रह करता हूं कि संसद के आगामी सत्र में इस मुद्दे को उठाकर प्रस्ताव में तेजी लाई जाए।
लोकतांत्रिक अधिकारों की गारंटी देता है न्यायालय
सीजेआई ने कहा कि लोकतांत्रिक समाज के लिए न्यायालयों का होना बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि समाज के लोगों का सबसे ज्यादा भरोसा न्याय व्यवस्था पर ही होता है और एक लोकतंत्र में न्यायालय ही आम आदमी को उसके लोकतांत्रिक अधिकारों की गारंटी देता है।