- मासूमों की जान से खिलवाड़ कर रहे परिजन
- रेलवे ट्रैक से होकर जाने को मजबूर यात्री
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सिटी स्टेशन रेलवे से यात्रियों को ट्रैक से गुजरकर जाना मजबूरी बन गया है। कोई रास्ता नजर नहीं आने के कारण परिजन अपने साथ मासूमों की जान से भी खिलवाड़ करते नजर आ रहे हैं। स्टेशन से सीधा रास्ता रेलवे ट्रैक से होता हुआ मलियाना को जाता है, लेकिन यह रास्ता यात्रियों को रेलवे ट्रैक से होते हुए तय करना पड़ता है। ट्रेन से उतरते ही परिजन नन्ने-मुन्नों को लेकर रेलवे ट्रैक से होकर जाते हैं।
इस दौरान कई बार बच्चे परिजनों का हाथ छुड़ाकर इधर-उधर चले जाते हैं, जो बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। इतना ही नहीं एक ट्रैक पर ट्रेन दौड़ती है तो दूसरे ट्रैक पर यात्री मासूमों को लेकर जाते नजर आ रहे हैं। इस स्थिति ने आरपीएफ की कार्यप्रणाली पर बड़े सवाल खडेÞ कर दिये हैं। सिटी स्टेशन पर गुरुवार को रोज की भांति महिला यात्री एक मासूम को गोद में उठाकर व दूसरे का हाथ पकड़कर रेलवे ट्रैक से होती हुई मलियाना की तरफ जाती नजर आई।
वहीं, मासूम मां का हाथ छुड़ाकर ट्रैक पर इधर से उधर भागता नजर आया तो दूसरे ट्रैक पर ट्रेन दौड़ती नजर आई। इस तरह की स्थिति अन्य यात्रियों में भी देखी गई, लेकिन जान जोखिम में डालने वाले परिजनों को टोकने वाला कोई नजर नहीं आता है। जबकि स्टेशन पर ट्रेन के आते ही यात्रियों की भीड़ जमा हो जाती है और यात्री हाथों में सामान लेकर व बच्चों को साथ लेकर रेलवे ट्रैक से चलकर अपनी मंजिल की और निकल पड़ते हैं।
बड़ा सवाल आरपीएफ पर उठता है कि वह यात्रियों की व्यवस्था को किस तरह देखते हैं। यदि आरपीएफ यात्रियों को ट्रैक से जाने की बजाय रेलवे रोड से जाने की सलाह दे तो शायद यात्री अपनी व मासूमों की जान से खिलवाड़ करना बंद कर दे। ताकि भविष्य में किसी भी बड़े हादसे को होने से रोका जा सके। वहीं स्टेशन मास्टर आरपी सिंह का कहना है कि यात्रियों के जाने का रास्ता रेलवे रोड व जैन नगर है। जिसके बाद भी यात्री शार्टकट मारकर रेलवे ट्रैक से होते हुए निकल जाते हैं।
नहीं लगाएंगे हेलमेट
मेरठ: हेलमेट न पहनने की लापरवाही कहीं आपकी जान न ले ले। अगर ऐसा हुआ तो त्योहारों में खुशियां मनाने की बजाए आपका परिवार मातम में डूबा होगा। इसलिए सभी लोग दोपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट अवश्य लगाएं। हेलमेट के प्रति लोगों में जागरूकता बेहद जरूरी है। पुलिस कितनी भी कार्रवाई कर ले, लेकिन जब तक लोग जागरूक नहीं होंगे, जीवन रक्षक हेलमेट न लगाने के कारण अपनी जान गंवाते रहेंगे। जबकि उच्च न्यायालय के आदेश एवं पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर दो पहिया वाहन चालकों को हेलमेट लगाना अनिवार्य कर दिया गया है।
दुपहिया वाहन चालकों के साथ होने वाले अधिकांश सड़क हादसों में मौत का कारण सिर में घातक चोट लगना सामने आता है। कहते भी हैं कि अगर हेलमेट लगाया होता तो शायद जान बच जाती, लेकिन जागरूकता के बावजूद शहर में कई दुपहिया वाहन चालक हेलमेट नहीं लगाते। इनमें ज्यादा संख्या युवाओं की है। बड़ी वजह लापरवाही है। अधिकांश युवा यह भी कहते हैं कि हेलमेट लगाने से हेयर स्टाइल बिगड़ जाएगा। ट्रैफिक पुलिस के हेलमेट अभियान के आंकड़ों में यह बात सामने आई है।
लोग नहीं ले रहे हेलमेट लगाने में रुचि
हेलमेट लगाने के प्रति लोग रुचि नहीं ले रहे हैं। इसका उदाहरण सड़कों पर साफ देखा जा सकता है। गुरुवार को भैयादूज के मौके पर शहर में लोग बिना हेलमेट के दो पहिया वाहन चलाते दिखे। इक्का-दुक्का लोग ही वाहन चलाते समय हेलमेट पहने देखे गए।