Saturday, July 27, 2024
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एफआईआर कराकर पैरोकारी करना भूला निगम

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  • 100 से अधिक डेयरी संचालकों पर हुए मुकदमे, नहीं हुई बाहर
  • नाला चोक होने में सबसे बड़ी बाधा है अवैध डेयरियां

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: शहर में नाला चोक होने का सबसे बड़ा कारण नाले नालियों में गोबर का जाना है। बड़ी संख्या में अवैध डेयरियों से निकलने वाला गोबर इन नालों में बहाया जाता है। अब यहां अगर कार्रवाई की बात करें तो निगम ने डेयरी संचालकों पर मुकदमा कराया और जुर्माना भी वसूला, लेकिन निगम के अधिकारी डेयरी संचालकों पर मुकदमा कराकर भूल चुके हैं। मुकदमा तो हो गया, लेकिन उसकी पैरोकारी कोई नहीं कर रहा है।

जिससे कारण एक भी डेयरी शहर से बाहर नहीं हो पाई है। जबकि सैकड़ों डेयरी संचालकों पर मुकदमे दर्ज किये गये थे। अगर यही लापरवही रही तो बरसात में सभी सड़कें पानी से लबालब होंगी और पॉश कालोनियों का भी यही हाल होगा। निगम की लापरवाही सभी पर भारी पड़ने वाली है।

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शहर में हजारों की संख्या में छोटी और बड़ी अवैध डेयरियां संचालित हैं। इन डेयरियों को शहर से बाहर करने के निर्देश हैं, लेकिन अभी तक डेयरियां शहर से बाहर नहीं हो पाई हैं। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि इन डेयरियों से निकलने वाला गोबर नाले और नालियों में बुरी तरह से जम चुका है।

नगर निगम की ओर से ऐसी ही अवैध डेयरियों के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज कराई गर्इं थी, लेकिन बावजूद इसके कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई है। यह डेयरियां अब भी खुलेआम चल रही हैं और इनका गोबर नालों में खुलेआम बहाया जा रहा है और इन सबके पीछे का कारण निगम के अधिकारियों की लापरवाही है। शहर के पॉश एरिया शास्त्रीनगर में ही आरटीओ पुल के पास नाले के किनारे पूरी जमीन पर अवैध डेयरियों को चलाने वालों का कब्जा है।

यहां डेयरी संचालकों ने पशु पाल रखे हैं और यहीं पर सरकारी जमीन को कब्जाकर डेयरियों को चलाया जा रहा है। पिछले कई सालों से शासन की ओर से शहर में चलने वाली डेयरियों को शहर से बाहर ले जाने के आदेश होते रहे हैं, लेकिन यहां मेरठ में इसका कोई असर होता नहीं दिखाई दिया।

नगरायुक्त के न होने से और बढ़ी थी समस्या

पिछले एक माह से भी अधिक समय से मेरठ में नगरायुक्त का पद खाली था। आज यहां अमित पाल शर्मा नगरायुक्त का पदभार संभाल सकते हैं। सूचना मिल रही है कि वह मेरठ पहुंच चुके हैं। पूर्व नगरायुक्त मनीष बंसल के समय पर डेयरी संचालकों पर मुकदमा कायम किया गया था, लेकिन जब से वह यहां से ट्रांसफार होकर गये, उसके बाद निगम के अधिकारियों की ओर से डेयरी संचालकों के खिलाफ किये गये मुकदमों की पैरोकारी तक नहीं की गई। जिससे समस्या और भी अधिक बढ़ गई। अब देखना यह है कि नए नगरायुक्त पदभार संभालने के बाद क्या एक्शन लेंगे?

सरकारी जमीन पर भी हो चुका है कब्जा

शास्त्रीनगर स्थित आरटीओ पुल के पास सेक्टर-12 में नाले के किनारे ही लोगों ने सरकारी जमीन पर छप्पर डालकर अवैध डेयरियां चला रखी हैं। बल्कि यहां पर डेयरियों से निकलने वाला गोबर खुलेआम इसी नाले में फेंका जाता है बावजूद इसके इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। जबकि इन डेयरियों के संचालकों के खिलाफ भी मुकदमा कायम हो चुका है। फिर भी इन्हें यहां से नहीं हटाया जा रहा है।

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शहर में अधिकांश जगहों पर खुलेआम डेयरियों से निकलने वाला गोबर नालों में बहाया जा रहा है, लेकिन इनका संचालन फिर भी बंद नहीं हो पाया है। अब शायद नगर निगम को नये नगरायुक्त के आने के का इंतजार से इसके बाद भी ही कुछ कार्रवाई शायद आगे बढ़ पाये।

एफआईआर से आगे नहीं बढ़ी कार्रवाई

शहर के नालों के चोक होने और उनमें कूड़ा अटने का सबसे बड़ा कारण यह डेयरियों ही हैं। शहर के ओडियन नाले की बात करें या आबूनाले की इन सभी नालों में धड़ल्ले से गोबर बहाया जाता है। अगर यह गोबर नालों में न जाये तो नाले काफी हद तक अटने बंद हो जायेंगे।

इनकी सफाई के लिये निगम के अधिकारियों को परेशान नहीं होना पड़ेगा। इन डेयरियों को बंद करने के लिये अभी नगर निगम की ओर से बीते माह अभियान चलाया गया था। जिसमें शहर में डेयरी संचालकों के खिलाफ मुकदमे कायम कराये गये थे, लेकिन मुकदमों से आगे कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब भी सभी क्षेत्रों में धड़ल्ले से डेयरियों का संचालन हो रहा है और कोई कुछ कहने को तैयार नहीं है।

निगम की ओर से पिछले माह कंकरखेड़ा में 55, शास्त्रीनगर में 23, ब्रह्मपुरी में 27, माधवपुरम में 22 से अधिक डेयरियों को चिह्नित किया गया था और संबंधित थानों में इनके खिलाफ मुकदमे कार्य कराये गये थे, लेकिन मुकदमों के बावजूद यहां डेयरियां खुलेआम चल रही हैं। पूरे शहर की बात करें तो सैकड़ों की संख्या में डेयरियां चल रही हैं और मुकदमें तक हो चुके हैं, लेकिन इनका संचालन फिर भी किया जा रहा है।

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