- सड़कों पर गोवंश बेशुमार, गोशाला में हालात बदहाल
- गोशाला पहुंचे श्रद्धालु तो हालत देख सिहर उठे
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: महानगर की सड़कों पर आवारा गोवंश खुले में घूमता देखा जा सकता है। गोवंश की इक्का-दुक्का नहीं बल्कि झुंड के रूप में महानगर की सड़कों पर घूमते देखा जा सकता है। नगर निगम को चाहिए की वह सड़कों पर खूले में घूम रहे गोवंश को पकड़कर गोशाला भिजवाये, लेकिन वह इन गोवंश को गोशाला पकड़कर तो क्या भिजवायेगी, लेकिन जो गोवंश पहले से ही गोशाला में मौजूद है। उसकी भी देखभाल अच्छे से नहीं कर पा रहा है। नवरात्र संपन्न होने के बाद कुछ लोगों ने घरों में कन्यापूजन किया
तो कुछ लोगों को पूजन के लिये कन्या नहीं मिली तो ऐसे कुछ लोग गोशाला में गोवंश का पूजन करने पहुंचे। उन्होंने गोशाला में गोवंश की दयनीय हालत देखी तो वह सीहर उठे। वहीं, जनवाणी ने भी रामनवमी के मौके पर बृहस्पतिवार को गोवंश महानगर की सड़कों पर जो खुले में घूम रहा है। वह किस स्थिति एवं अनुमानित कितनी संख्या में है और किस हालात में है। वहीं जो गोवंश नगर निगम या अन्य गोशाला में है। उसकी देखभाल गोशाला में किस तरह से की जा रही है। उस पर लाइव कवरेज की तो गोवंश बड़ी ही दयनीय हालात में देखने को मिला।
सीएम योगी नवरात्र संपन्न होने के बाद कन्या व गोवंश पूजन लगातार कई वर्षों से करते चले आ रहे हैं। उनका गोवंश से इतना बेहदल लगाव रहा है कि वह गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर परिसर में बनी गोशाला में कई बार गोवंश पूजन करते मीडिया कवरेज के द्वारा भी देखे गये। जैसे ही उन्होने प्रदेश में सत्ता की बागडोर संभाली तो उन्होंने जनपद से लेकर तहसील एवं ब्लॉक एवं ग्राम स्तर पर भी गोशालाओं का निर्माण कराया, ताकि गोवंश की जो अनदेखी, दुर्गति हो रही है, वह न हो सके।
उसके लिये उन्होंने बजट में भी प्रावधान किया,कुछ जगहों पर पुरानी गोशाला में ही आवारा गोवंश को भिजवाना शुरू किया। वहीं, दूसरी ओर कुछ नई गोशालाओं का निर्माण भी कराया। कुछ गोशाला प्राइवेट भी उन्हे भी गोवंश के हिसाब से आर्थिक सहायता शुरू की, लेकिन उसके बावजूद हालात में सुधार नहीं होता दिखाई दिया। जिसमें देहात क्षेत्र में जहां एक तरफ आज भी काफी संख्या में गोवंश खेतों में झुंड के रूप में घूमता देख जा सकता है। वहीं, दूसरी ओर महानगर की सड़कों पर भी हजारों की संख्या में गोवंश खूले में घूमते देखा जा सकता है।
वहीं, जो गोवंश गोशाला में है। वह भी दयनीय स्थिति में है, उसके रहने एवं चारे का भी संकट दिखाई देता है। जिसमें गोवंश की हालत देखकर साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि गोवंश की देखभाल गोशाला में भी किस तरह से हो रही है। दिल्ली रोड मोहकमपुर स्थित निजी गोशाला गोपाल गोशाला में जनवाणी ने जाकर लाइव देखा तो गोशाला में क्षमता से अधिक गोवंश दिखाई दिया। जिसमें वहां पर पशुओं की खोर में हरा एवं भूसे के रूप में सूखा चारा पड़ा दिखाई दिया।
गोशाला में करीब साढेÞ सात सौ से अधिक गोवंश मिले। जिसमें से करीब 100 की संख्या में दुधारू, 105 छोटे बछडेÞ व 100 से अधिक बछिया, पांच सांड व अन्य गोवंश शामिल रहा। पशुओं के लिये खोर पर चारा खाने की तो समुचित व्यवस्था दिखाई दी, लेकिन चारा खाने के बाद पशुओं की संख्या अधिक के हिसाब से नहलाने एवं घूमने के लिये पर्याप्त मात्रा में गोशाला में जगह दिखाई नहीं दी। कुछ महिलाएं व बच्चे एवं बडे बुजुर्ग गोशाला में गोवंश पूजन करते मिले।
परतापुर बराल स्थित नगर निगम की कान्हा गोशाला में जनवाणी टीम पहुंची। मौके पर जाकर देखा तो गोवंश की देखरेख करने वालों में प्रवीण एवं विजय मिले। उन्होंने बताया कि सुपरवाइजर गोशाला में नहीं है। जिसके बाद उन्होंने गोशाला की दयनीय हालत देखते हुए मीडिया कर्मी से एक-दो बाद आने को कहा गया, ताकि व्यवस्था दुरुस्त कराई जाए। उसके बाद फोन पर सुपरवाइजर भरत से बात कराई।
जानकारी की गई तो पता चला कि गोशाला में 1118 गोवंश है। जबकि स्थानीय लोगों की माने तो 20-25 हजार गोवंश महानगर की सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर घूम रहा है। जबकि यही जानकारी पशु चिकित्सा एवं कल्याण प्रभारी डा. हरपाल सिंह के द्वारा बताई गई थी, लेकिन संख्या का मिलान तो सही हो गया, लेकिन डा. हरपाल सिंह के द्वारा पशुओं की समुचित देखभाल की बात जो बताई गई थी। वह मौके पर देखने को नहीं मिली। कुछ गोवंश तो टीन शेड के नीचे बैठा हुआ था,
लेकिन कुछ खोर में सूखा चारा पड़ा मिला, कुछ खोर खाली पड़ी थी। हरा चारा तो शायद ही उन्हे अधिकारियों के निरीक्षण आदि के दौरान ही दिया गया हो। वहीं सैंकड़ों की संख्या में गोवंश बिना टीन शेड के खुले में ही धूप में बैठा हुआ था और गर्मी से हांपता दिखाई पड़ रहा था। गोशाला में मिले प्रवीण व विजय ने बताया कि गोशाला की क्षमता 500 से 600 की है, लेकिन 1100 से अधिक गोवंश गोशाला में है तो हालात तो इस तरह के ही दिखाई देंगे। कुछ जगह नई टीन शेड डाली जाने की बात भी उन्होंने बताई।
मेरे द्वारा जिस समय नंदी गोशाला का चार्ज संभाला गया था। उस समय गोशाला में पांच से छह सौ गोवंश था। अब एक हजार से अधिक गोवंश है। एक वर्ष में 87 गोवंश दान में दिया जा चुका है। एक वर्ष में सड़कों पर घूमने वाले 228 गोवंश पकड़े, जोकि जुर्माना वसूली के बाद गोवंश के मालिक की सुर्पुदगी में दे दिये गये।
गोशाला में गोवंश के पर्याप्त मात्रा में चारा दिया जा रहा है। उसमें हरा चारा भी शामिल है। वहीं, महानगर में खुले में जो गोवंश घूम रहा है। उसका सर्वे कराने का कार्य पशु पालन का है, नगर निगम का नहीं। -डा. हरपाल सिंह, प्रभारी चिकित्सा स्वास्थ्य एवं प्रभारी पशु कल्याण प्रभारी नगर निगम