Monday, May 19, 2025
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कैंट बोर्ड, पुलिस और रिजॉर्ट मालिक के बीच गहरा गठजोड़

  • अब डाक से भेजी गई रिजॉर्ट मालिक को तहरीर, क्या दर्ज करेगी पुलिस मुकदमा?

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: कानून का मजाक कैसे बनाया जाता है, ये देखना है तो कैंट बोर्ड आॅफिस में चले आइए। शुक्रवार को कैंट बोर्ड के सेनेट्री विभाग ने बाउंड्री रोड स्थित 22-बी पर सील लगाने की कार्रवाई की थी। तीन घंटे सील की कार्रवाई करने में कैंट बोर्ड के अधिकारियों को लग गए। यह पूरी कार्रवाई मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में की गई। महत्वपूर्ण बात यह है कि कैंट बोर्ड द्वारा लगाई गई सील को रिजॉर्ट मालिक पंकज जौली ने तोड़ दिया। यहीं से कानून का मजाक शुरू हो गया।

कैंट बोर्ड के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर वापस लौट गए, लेकिन सील तोड़कर बाकायदा रिजॉर्ट में कार्यक्रम आयोजित किए गए। अब सील तोड़ना संंज्ञय अपराध है, जिसको लेकर कैंट बोर्ड के सेनेट्री विभाग के सफाई निरीक्षक वीके त्यागी ने एक तहरीर लिखकर शुक्रवार को लालकुर्ती थाने में कर्मचारी को लेकर भेजा था। उस कर्मचारी से लालकुर्ती थाने में तहरीर लेने से इनकार कर दिया।

यही नहीं, शनिवार को फिर से कैंट बोर्ड अधिकारियों की इस मुद्दे को लेकर मीटिंग हुई, जिसमें तय किया गया कि स्पीड पोस्ट से लालकुर्ती थाने में तहरीर भेजी जाए और स्पीड पोस्ट से तहरीर थाने में भेज दी गई, मगर लालकुर्ती थाना पुलिस ने इसमें कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया, जिस तरह का माहौल सील लगाने से लेकर सील तोड़ने तक हुआ है, उससे स्पष्ट हो रहा है कि कैंट बोर्ड पुलिस और रिजॉर्ट मालिक के बीच गहरा गठजोड़ है, जिसके चलते यह सब तमाशा हो रहा है। एक तरह से ये नूरा-कुश्ती भी सीधे-सीधे होती दिखाई दे रही है, लेकिन इसमें मजाक कानून का बन रहा है, जो मैसेज समाज में जा रहा है।

उससे यही लग रहा है कि रिजॉर्ट मालिक कानून से बड़े हो गए हैं। भविष्य में इसको लेकर और भी लोग कानून तोड़ेंगे। देखिये कि कैंट बोर्ड और लालकुर्ती थाने के बीच की दूरी मात्र पांच मिनट में तय की जा सकती हैं। अब देखना यह है कि यह सफर कितना लंबा हो जाता है? क्योंकि पहले कैंट बोर्ड की तहरीर लालकुर्ती थाने में नहीं ली गई। अब डाक द्वारा चिठ्ठी भेजकर कैंट बोर्ड के अधिकारी अपना बचाव करने में जुटे हैं। क्योंकि हाईकोर्ट में इसका जवाब देना होगा, जिसमें अवमानना के मामले में कैंट बोर्ड के अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है।

इस बात को मानते हुए आप डाक से तहरीर भेजने की प्रक्रिया की खानापूर्ति की जा रही है। महत्वपूर्ण बात यह है कि जब कानून का इतना बड़ा उल्लंघन रिजॉर्ज के मालिक ने किया है तो सीईओ स्तर के अधिकारी को एसएसपी और डीएम से बात करनी चाहिए। आखिर सीईओ ने डीएम और एसएसपी से इस मामले को लेकर बात क्यों नहीं की? यह भी बड़ा सवाल हैं। इस मामले में कार्रवाई की मांग क्यों नहीं की? यहां भी अधिकारियों के शांत बैठने से स्पष्ट हो रहा है कि यह सब नूरा कुश्ती चल रही है। पर्दे के पीछे का खेल कुछ और ही है, जिसके चलते सील लगना और फिर तोड़ना और रिजॉर्ट में कार्यक्रम आयोजित करना यह सब एक सेटिंग का ‘महाखेल’ चल रहा हैं।

सीबीआई के कब्जे से भाग गया था संजय

कैंट बोर्ड के सीईओ ज्योति कुमार यदि सीबीआई टीम का साथ नहीं देते तो सीबीआई का आॅपरेशन फेल हो गया था। दरअसल, सीबीआई जिस संजय को घूसखोरी के मामले में पकड़ने के लिए आई थी, जब सीबीआई की टीम ने एक ही स्कूल में संजय को पकड़ने के लिए आॅपरेशन किया तो वहां से संजय के हाथ में जैसे ही पांच-पांच सौ रुपये के नोट दिए गए, तभी संजय ने पांच रुपयों की गड्डी को स्कूल परिसर में फेंक दिया था और वहां से भाग निकला था।

इस तरह से संजय सीबीआई के बिछाए गए जाल से भाग निकला था, लेकिन सीबीआई संजय के भागने के बाद हाथ मलते रह गई। क्योंकि सीबीआई का आॅपरेशन फेल होने से बड़ी किरकिरी का सामना करना पड़ सकता था। इसके बाद सीबीआई की टीम कैंट बोर्ड आॅफिस पहुंची तथा सीईओ ज्योति कुमार से मिली। सीबीआई टीम ने कहा कि सफाई सुपरवाइजर संजय को कैंट आॅफिस में बुलाए। पूरा प्रकरण सीईओ को बताने से सीबीआई की टीम ने छुपाया।

सीईओ ज्योति कुमार ने सीबीआई टीम से ज्यादा बातचीत भी नहीं की और संजय को बुलाने के लिए फोन कर दिया। संजय ने सीईओ पर पूरा भरोसा किया और आदेश का पालन करते हुए सीईओ आॅफिस में पहुंच गया। इसके बाद फिर से सीबीआई की टीम ने संजय को पाउडर लगे पांच-पांच सौ के नोटों की गड्डी हाथ में थमा दी।

यह सब खेल फिर दोबारा से किया गया। इस तरह से सीबीआई का आॅपरेशन फेल होने के बाद भी सक्सेस हो गया। दरअसल, संजय सीबीआई के छापे के बाद जब स्कूल परिसर में पहली बार टीम से मिला तो वह भाग गया था। यदि वह फिर कैंट आॅफिस नहीं पहुंचता तो सीबीआई का आॅपरेशन फेल हो गया होता।

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