Friday, November 14, 2025
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Delhi News: तालिबान मंत्री की प्रेस वार्ता में महिला पत्रकारों की एंट्री पर रोक, कांग्रेस ने केंद्र सरकार को घेरा

जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी के भारत दौरे के दौरान एक बड़ा विवाद सामने आया है। शुक्रवार को दिल्ली स्थित अफगानिस्तान दूतावास में आयोजित मुत्तकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को प्रवेश नहीं दिया गया, जिससे राजनीतिक बवाल खड़ा हो गया है।

कांग्रेस का मोदी सरकार पर हमला

इस घटना को लेकर कांग्रेस ने केंद्र की भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया है। कांग्रेस महासचिव और वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस घटना पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है। उन्होंने इसे “भारत की सक्षम महिलाओं का अपमान” बताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी।

प्रियंका गांधी ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा?

“अगर प्रधानमंत्री द्वारा महिलाओं के अधिकारों को मान्यता देना एक चुनाव से दूसरे चुनाव तक सिर्फ एक दिखावा नहीं है, तो फिर हमारे देश की सक्षम महिलाओं का अपमान कैसे होने दिया गया?”

कार्ति चिदंबरम भी बोले – ये बेहद निराशाजनक

कांग्रेस सांसद कार्ति पी. चिदंबरम ने भी इस मामले में विदेश मंत्री एस. जयशंकर और विदेश मंत्रालय पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा “मैं उन भू-राजनीतिक मजबूरियों को समझता हूं, जो हमें तालिबान के साथ बातचीत करने के लिए मजबूर करती हैं, लेकिन उनके भेदभावपूर्ण और साधारण रीति-रिवाजों को मानना बिल्कुल हास्यास्पद है। महिला पत्रकारों को बाहर रखना बेहद निराशाजनक है।”

तालिबान मंत्री का भारत दौरा

गौरतलब है कि अमीर खान मुत्तकी 9 अक्टूबर से 16 अक्टूबर तक एक सप्ताह के भारत दौरे पर हैं। यह यात्रा अगस्त 2021 में तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद काबुल से भारत आने वाला पहला उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल है। दौरे के पहले दिन उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने पर चर्चा की।

विपक्षी सवाल: क्या भारत तालिबान के नियमों को मानेगा?

प्रेस वार्ता में महिला पत्रकारों की अनुपस्थिति और रोक ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या भारत तालिबान के कट्टरपंथी नियमों को अपनी धरती पर भी मान्यता देगा? विपक्ष ने यह मुद्दा महिलाओं के अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जोड़कर सरकार को घेरने का प्रयास किया है।

इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर भारत में महिला सशक्तिकरण बनाम विदेशी कूटनीतिक दबाव की बहस को हवा दे दी है। आने वाले दिनों में सरकार की प्रतिक्रिया और इस विवाद का राजनीतिक असर देखने लायक होगा।

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