Wednesday, July 3, 2024
- Advertisement -
HomeUttar Pradesh NewsMeerutभीषण गर्मी में बढ़ी घड़े और सुराही की मांग

भीषण गर्मी में बढ़ी घड़े और सुराही की मांग

- Advertisement -
  • बदलते दौर में भी लोगों का मोह मिट्टी के बर्तनों से नहीं हुआ कम

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: पूरा उत्तर प्रदेश इस समय भीषण गर्मी की चपेट में है। तेज चलती गर्म हवाओं ने शहर वासियों का बुरा हाल कर दिया है। जहां एक तरफ लोग प्रचंड गर्मी और तेज धूप से परेशान है। वहीं, दूसरी ओर मिट्टी के बर्तन बनाने वाले लोग काफी खुश है। क्योंकि प्रचंड गर्मी के चलते एक बार फिर शहर में मिट्टी से बने बर्तनों की मांग बढ़ गई है और बड़ी संख्या में लोग मिट्टी के घड़े और सुराही को खरीद रहे हैं।

बता दें कि पहले समय में लोग मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग बड़ी संख्या में किया करते थे और हर घर में घड़े व सुराही देखने को मिल जाया करती थी। मगर समय के साथ धीरे-धीरे इनका प्रचलन कम होता गया और इनकी जगह फ्रीज ने ले ली। हम कितने भी आधुनिक हो जाए, लेकिन पारंपरिक चीजों का अपना अलग महत्व है।

13 18

क्योंकि दो साल कोरोना के कहर के जूझने के बाद एक बार फिर से लोगों ने स्वदेशी कला को अपनाना शुरू कर दिया है और बाजार में लगातार मिट्टी से बने बर्तनों की मांग बढ़ रही है। गर्मी के सीजन में हम फ्रीज में ठंडे किए गए कितने भी शीतल पेय को पी ले, लेकिन मटके के ठंडे पानी जितना संतुष्टि कोई नहीं दे सकता। समय के साथ इनके निर्माताओं इनके आकार और डिजाइन में भी काफी बदलाव किए है।

साधारण मटके के साथ बाजार में अब डिजाइनर सुराही भी मौजूद है। डाइटिशियन डा. भावना गांधी बताती है कि मटके का पानी सेहत के लिए फायदेमंद होता है। क्योंकि मिट्टी में क्षारीय गुण मौजूद होते हैं। मिट्टी के घड़े में पानी रखने से वह क्षारीय अम्लता के साथ प्रभावित होकर उचित पीएच प्रदान करता है। इसको पीने से पेट दर्द और एसिडिटी में भी अराम मिलता है।

टोंटी वाले घड़ों की धूम

समय के साथ-साथ कुम्हारों ने घड़े बनाने की तकनीक में भी काफी बदलाव किया है। जहां पहले घड़े को झुकाकर या फिर घड़े में कुछ डालकर पानी निकाला जिससे घड़े के टूटने का डर रहता था, लेकिन अब इस समस्या से निजात मिल गया है। अब बन रहे घड़ों में कुम्हारों ने टोंटी लगानी शुरू कर दी है।

जिससे पानी निकालने में लोगों को किसी तरह की समस्या नहीं होती है। प्रजापति टेरीकोटा दुकान के संचालक दीपक ने बताया कि गर्मियों में राजस्थान और गुजरात सहित अन्य प्रदेशों से तरह-तरह के मिट्टी के बर्तन लाए जाते हैं। इनकी कीमत भी कम होती है। रेट की बात करे तो यहां 150 रुपये से लेकर 1000 हजार रुपये तक का मटका मौजूद है।

इन बातों का रखे ध्यान

  1. मटके से पानी निकालने के लिए साफ बर्तन का प्रयोग करे।
  2. घड़े में पानी भरने के बाद उसे नमी वाले स्थान पर रखे।
  3. पानी ठंडा रहे इसके लिए घड़े के ऊपर जूट या फिर सूती कपड़ा लपेट दें।
  4. घड़े को हमेशा ढककर रखे।

इस प्रकार है दाम

साधरण मटका                                       100 से 120

टोंटी वाला मटका                                    150 रुपये से 200 तक

डिजाइनर मटका                                     250 से 400 तक

पेटिंग वाला मटका                                   350 से 500 तक

सुराही                                                 250 से 500 तक

What’s your Reaction?
+1
0
+1
1
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
- Advertisement -

Recent Comments