- डीएम की रिर्पोट को लेकर शासन व वन विभाग के उच्चधिकारियों क्योंं नही गम्भीर
- सवाल: विभाग ने डीएफओ का झांसी ट्रांसफर कर की कार्यवाही की इतश्री
- बोले पीसीसीएफ सरकार की नीतियों के विरूध व भ्रष्टाचार में लिप्त पाये जाने पर होगी कड़ी कार्रवाई
विजय पान्डेय |
लखनऊ: सीएम योगी की भ्रष्टाचार एवं भ्रष्ट अधिकारियों को लेकर चल रही जीरो टोलरेंसी नीति के साथ प्रदेश को आगे बढाने की नीति को भ्रष्टाचार में लिप्त कुछ अफसर सरकार की छवि को धुमिल करने में जुटे है, जिसकी बानगी जनपद हापुड़ में देखने को मिली। डीएम की शिकायत के बावजूद कार्यवाहक डीएफओ संजय मल्ल को वन विभाग के उच्चधिकारियों ने जनपद झांसी डीएफओ बना कर कार्यवाही के नाम पर इतश्री कर ली। मानों सरकार की नीति को उच्चधिकारी ठेंगा दिखाते नजर आ रहे है। डीएम की रिर्पोट सोशल मीड़िया पर वायरल होने के बाद लखनउ बैठे उच्चधिकारियों में हड़कम्प मचा हुआ है।
आपको बता दे कि कई सप्ताह पूर्व योगी सरकार की छवि धूमिल करने वाले डीएफओ की रिर्पोट डीएम प्रेरणा शर्मा ने शासन एवं वन विभाग के उच्चधिकरियों को भेजकर शिकायत की थी। जिले में कार्यवाहक डीएफओ संजय मल्ल के कारनामों पर शासन की कार्रवाई उॅंट के मुंह साबित हो रही है। कार्यवाहक डीएफओ संजय मल्ल को हापुड़ जिले से हटकार बडे जिले झांसी का चार्ज मिलने से अधिकारियों व जनता के बीच में चर्चाओं का विषय बना हुआ है। योगी सरकार की नीति को नजर अंदाज करने वाले लापहरवाह एवं जनविरोधी कार्यो में लिप्त रहने वाले कार्यवाहक डीएफओ को झांसी का चार्ज कैसे और किस के इशारे पर दिया गया। जिसको लेकर मुख्यालय बैठे उच्चधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवाल खडे हो रहे है।
संजय मल्ल के कारनामों का बड़ा शिकायती पत्र डीएम प्रेरणा शर्मा ने बिन्दुवार लिखकर शासन में अपर मुख्य सचिव सहित मेरठ कमिश्नर और प्रधान मुख्य वन संरक्षक विभाग को भेजा। जिसके बाद भी कार्यवाहक डीएफओ संजय मल्ल पर कोई प्रभावी कार्यवाही अमल में नही लाई गई। बल्कि नियमों अनदेखी करने वाले डीएफओ दूसरे बडे जिले का चार्ज सौंप दिया। विभागीय कर्मचारी की माने तो डीएम द्वारा ली गई वन विभाग के कार्यो की समीक्षा बैठक में कार्यवाहक डीएफओ साहब हमेशा लापहवाह बने रहे जिसके चलते संजय मल्ल को डीएक ने जिले अफसरों के बीच ही कई बार डांट फटकार लगाई। जिले में डीएफओ साहब के कारनामों की चर्चा अब आम बात हो रही है। योगी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं को भी संजय मल्ल महत्व नही देते। डीएम ने संजय मल्ल को सीएम योगी आदित्यनाथ के जिले में हुए अनुसूचित जाति वर्ग का सम्मेलन जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम में वीआईपी पाार्किंग में डयूटी की जिम्मेदारी दी थी। बावजूद संजय मल्ल ने डीएम के आदेश को ताक पर रखते हुए कार्यक्रम से नदाराद रहे।
आरोप है कि संजय मल्ल ने योगी सरकार की महत्वकांक्षी योजना गंगा एक्सप्रैसवे परियोजना के कार्य में भी गैरजिम्मेदाराना रवैया अपनाया जिससे कई माह तक परियोजना का कार्य प्रभावित रहा। जिसके चलते जिला प्रशासन को किसान संगठनों कई आमने—सामने व धरना प्रर्दशन हुआ। उसके बाद कार्तिक पूर्णिमा पर लगने वाले ऐतिहासिक मेले में जहां 30 से 35 लाख श्रद्धालु आते है। उस मेले में भी संजय मल्ल ने कोई कामकाज नही किया और खुद को अवकाश पर बताकर अपने अधिनस्थ कर्मचारियों मेले में भेजकर डयूटी की इतिश्री कर ली।जब डीएम प्रेरणा शर्मा ने संजय मल्ल की छुटटी के बारे में वन विभाग मेरठ के मुख्य वन संरक्षक एन के जानू से बात कर जानकारी कि गई तो संजय मल्ल को किसी प्रकार की छुटटी नही देने की बात कही जिसके बाद डीएम प्रेरणा शर्मा ने संजय मल्ल को तीन बार अलग—अलग मामलों में कारण बताओं नोटिस भी जारी कर दिया था।
क्या कहना है पीसीसीएफ का……
वही वन विभाग के पीसीसीएफ का कहना कि मामला गम्भीर है प्रदेश के समस्त वन विभाग के छोटे—बडे अधिकरियों एवं कर्मचारियों को पूर्व से ही निर्देशित किया जा चुका है कि वह सरकार की नीति के अनुरूप कार्य करे एवं भ्रष्टाचार से दूरी बनाये नही तो उनके खिलाफ सख्त से सख्त कड़ी कार्रवाई की जायेगी। संजय मल्ल के प्रकरणों की जांच मुख्य सतर्कता अधिकारी एवं अन्य स्रोत्रों से भी जांच कराई जा रही है।