नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। दिवाली का पर्व आने ही वाला है। वहीं, दीपोत्सव का आरंभ धनतेरस के दिन से शुरू हो जाता है। दरअसल, नरक चतुर्दशी से एक दिन पूर्व धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसाए धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और कुबेर जी की पूजा आराधना की जाती है। माना जाता है की माता लक्ष्मी और कुबेर जी की पूजा अर्चना करने से जीवन में कभी भी आर्थिक तंगी नहीं आती और भगवान धन्वंतरि की आराधना करने से रोग से मुक्ति मिलती है। तो चलिए जानते हैं कि धनतेरस के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि क्या है?
शुभ-मुहूर्त
- धनतेरस पूजा मुहूर्त: सायं 06: 31 से रात्रि 08:13 तक
- प्रदोष काल: सायं 05:38 से रात्रि 08:13 मिनट तक
- वृषभ काल: सायं 06: 31 से रात्रि 09: 27 मिनट तक
- ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 04: 48 से प्रातः 05:40 मिनट तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 01: 56 से 02: 40 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त: सायं 05:38 से 06: 04 मिनट तक
पूजा विधि
- धनतेरस के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद मंदिर की सफाई करें। सूर्य देव को जल अर्पित करें।
- चौकी पर मां लक्ष्मी, भगवान धनवंतरि और कुबेर जी की प्रतिमा को विराजमान करें।
- इसके बाद दीपक जलाकर चंदन का तिलक लगाएं और आरती करें।
- कुबेर जी के मंत्र ॐ ह्रीं कुबेराय नमः का 108 बार जप करें और धनवंतरी स्तोत्र का पाठ करें।
- इसके पश्चात मिठाई और फल समेत आदि चीजों का भोग लगाएं।
- श्रद्धा अनुसार दान करें, ऐसा करने से धन लाभ के योग बनते हैं।
खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त
धनतेरस के दिन तीन विशेष शुभ मुहूर्त निर्धारित किए गए हैं, जिनमें जातक सोना, चांदी, आभूषण, बर्तन, भूमि आदि की खरीदारी कर सकते हैं।
- पहला शुभ मुहूर्त: प्रातः 07:50 से प्रातः 10:00 बजे तक है। यह समय वृश्चिक लग्न का है, जिसे स्थिर और अत्यंत शुभ माना जाता है।
- दूसरा शुभ मुहूर्त: दोपहर 02:00 से प्रातः 03:30 बजे तक रहेगा जो कुंभ लग्न का है। यह भी स्थिर और शुभ माना जाता है।
- तीसरा शुभ मुहूर्त: संध्या 06:36 से प्रातः 08:32 बजे तक रहेगा जो प्रदोष काल का है। इनमें से यह मुहूर्त सबसे उत्तम और शुभ माना जाता है।