- इंस्पेक्टर लोहिया नगर और सीओ कोतवाली की कारगुजारी पड़ गई भारी
- इस्माइल गर्ल्स नेशनल इंटर कॉलेज के चपरासी ने प्रिंसिपल पर लगाया था उत्पीड़न का आरोप
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: इंस्पेक्टर लोहिया नगर व सीओ कोतवाली की कारगुजारी व लापरवाही के चलते एससी/एसटी आयोग ने मेरठ के डीएम व एसएसपी को तलब कर लिया है। मामला इस्माइल गर्ल्स नेशनल इंटर कालेज से जुड़ा है। कॉलेज की प्रधानाचार्या पर अनुसूचित जाति के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद यह सब हुआ है। एल-382 शास्त्री नगर निवासी मनोज कुमार पुत्र पूरन सिंह ने बताया कि उनकी मां स्व. शशि देवी इस्माइल गर्ल्स नेशनल इंटर कॉलेज में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थीं। दो अगस्त 2011 में शशि की मृत्यु के उपरांत मनोज कुमार को मृतक आश्रित कोटे से उनके पद पर नौकरी मिली थी।
मनोज का आरोप है कि प्रधानाचार्या मृदुला शर्मा ने नियुक्ति कराने के नाम पर उनसे ढाई लाख की डिमांड की। डिमांड पूरी न होने पर लगभग साढ़े चार साल तक मृदुला शर्मा मनोज कुमार की नियुक्ति को लटकाए रहीं। मनोज का कहना है कि उन्होंने इस मामले में तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक से लेकर तमाम अधिकारियों तक के दरवाजे खटखटाए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। कई बार कॉलेज प्रबंधन को लिखित और मौखिक रूप से प्रधानाचार्या मृदुला शर्मा द्वारा पैसे की डिमांड किए जाने की शिकायत की गई।
आखिरकार साढ़े चार साल बाद कॉलेज प्रबंधन और आयोग के हस्तक्षेप पर मनोज को इस्माइल गर्ल्स नेशनल इंटर कॉलेज में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर नियुक्ति दी गई। मनोज का आरोप है कि उनकी नियुक्ति के बाद से ही प्रधानाचार्या मृदुला शर्मा और उनके पति सुनील शर्मा अक्सर उनका उत्पीड़न करते रहे। बीती 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती के मौके पर कॉलेज में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।
मनोज का कहना है कि कार्यक्रम समाप्ति के समय वह बाबा साहेब के चित्र पर प्रधानाचार्या मृदुला शर्मा और उनके पति सुनील शर्मा ने माल्यार्पण करने से रोकते हुए उनके साथ गाली-गलौज शुरू कर दी। जातिसूचक शब्द कहते हुए अपमानित भी किया गया। मनोज ने मामले में प्रधानाचार्या मृदुला शर्मा और उनके पति सुनील शर्मा के खिलाफ लोहिया नगर थाने में तहरीर दी थी।
न्याय के लिए आयोग से लगाई गुहार
मनोज के मुताबिक, जब कहीं सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने बीती 12 अगस्त को पूरे प्रकरण की शिकायत राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग से की। इसके बाद अब आयोग ने इस संबंध में मेरठ जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से मनोज के प्रकरण में अब तक की गई कार्रवाई को लेकर 15 दिन के भीतर रिपोर्ट मांगी है। यह रिपोर्ट दोनों ही अधिकारी अपने किसी प्रतिनिधि के माध्यम से भी आयोग को सौंप सकते हैं, लेकिन यदि निर्धारित अवधि में रिपोर्ट आयोग को नहीं सौंपी जाती तो आयोग ने डीएम और कप्तान को अपने समक्ष प्रस्तुत होने के आदेश जारी किए हैं।